Delhi Gandhi Nagar Fire : हमेशा क्यों रहता है हादसों का इंतजार, सवालों के घेरे में अधिकारी, स्थानीय लोग

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Delhi Gandhi Nagar Fire Incident: दिल्ली के गांधीनगर इलाके में लगी आग में एक शख्स की मौत हो गई। DELHI FIRE SERVICES की बड़ी लापरवाही आई सामने आई है, लोगों का ऐसा आरोप है। ये आग बुधवार को लगी थी। इस आग को बुझाने में करीब 6 घंटों का वक्त लगा। इस बारे में दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग का कहना था कि संकरी गलियां होने की वजह से आग पर काबू पानें में दिक्कत हुई। आग की वजह अभी साफ नहीं हो पाई है, लेकिन एशिया की सबसे बड़ी इस मार्केट में लगी आग से कई सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या बोले स्थानीय लोग

स्थानीय लोगों के मुताबिक, दिल्ली फायर सर्विस के पानी के पाइप में प्रेशर नहीं था। दशहरा की वजह से जाम लगा हुआ था , जिस वजह से गाड़ियां मौके पर देरी से पहुंची। जिस दुकान में आग लगी, वो टू साइड ओपन दी, लेकिन फायर के कर्मियों को वहां की भौगालिक स्थिति का ही ज्ञान नहीं था, लिहाजा समय रहते आग को काबू नहीं किया जा सका।

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अशोक बाजार के प्रधान के के बल्ली का कहना कि दशहरे की वजह से चार बजे के बाद दुकानें बंद होनी शुरू हो गई थी। मेन रोड पर जाम था। लिहाजा फायर की गाड़ियों को मौके पर पहुंचने में ज्यादा वक्त लगा। उन्होंने बताया कि जनता गली में दो घंटों बाद दिल्ली फायर सर्विस ने पाइप लाइन डाली। दरअसल, जिस दुकान में आग लगी थी, उसका एक हिस्सा नेहरू गली और दूसरा हिस्सा जनता गली में खुलता था।

नेहरू गली में तो फायर सर्विस की पाइप लाइन पहुंच गई थी, लेकिन दूसरी गली में पाइप लाइन नहीं पहुंच पाई थी। बार बार फायर अधिकारियों के बोलने के बाद वहां पाइप लाइन डाली गई। इस दौरान आग ज्यादा फैल गई थी। आरोप है कि दिल्ली फायर सर्विस की गाड़ियां भेज दी गई, उनके हैडल करने के लिए स्टाफ नहीं भेजा।

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क्या बोले दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर ?

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जब कि फायर डायेक्टर अतुल गर्ग ने भी माना कि जिस जनता गली में आग फैल रही थी, वहां स्टाफ देरी से पहुंचा, लेकिन उन्होंने साथ में ये भी कहा कि हमारा स्टाफ दूसरी जनता गली के बाहर समय रहते खड़ा हुआ था। वहां लोगों ने जिस जनता गली के बारे में हमें बताया था , वहां हमारा स्टाफ था। बाद में पता चला कि जनता गली के अंदर सर्विस गली है, उसे भी जनता गली कहते हैं, वहां आग लगी हुई है। बाद में वहां भी स्टाफ पहुंचा।

कैसे हुआ हादसा ?, कई सवाल ? , दिल्ली फायर सर्विस के अधिकार दे अब जवाब

पुलिस के मुताबिक, मृतक की पहचान शाहनवाज के रूप में हुई है। ये आग जय अम्बे गारमेंट्स दुकान में लगी थी। वहां काम करने वाले आफताब के मुताबिक, वो नेहरू गली स्थित जय अम्बे गारमेंट्स में पिछले 12 सालों से काम कर रहा है। शाम 5 बजे के आसपास वो दुकान बंद करके आया। कुल पांच कर्मी दुकान बंद करके बाहर सड़क की तरफ आ गए। अचानक उन्होंने देखा कि दुकान में आग लग गई है। उन्होंने तुरंत दुकान के मालिक को इसकी सूचना दी। उसने देखा कि उसका भाई शाहनवाज दुकान के अंदर ही है।

शाहनवाज शटर पर जोर जोर प्रहार कर रहा था। इन लोगों ने दुकान का ताला तोड़ने की कोशिश की और आफताब ने अपने भाई शाहनवाज के दुकान के ऊपरी हिस्से की तरफ जाने को कहा। जब तक उसने ताला तोड़ा आग पूरी दुकान में फैल गई थी। फिर दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर आई। आग को बुझाने की कोशिश शुरू हुई, लेकिन करीब आग बुझाने में छह घंटों का वक्त लग गया, तब तक बहुत कुछ तबाह हो गया था। फायर की 35 गाडियां मौके पर पहुंची। डेढ़ सौ फायरकर्मियों ने कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।

उधर, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस मसले पर TWEET किया, 'ये घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। दमकल विभाग मुस्तैदी से जुटा हुआ है। मैं घटना की सारी जानकारी ले रहा है।'

सवाल ये भी है सीएम मौके पर क्यों नहीं गए ?

क्या सिर्फ TWEET करके हालात ठीक हो गए ?

दुकान के मालिक के खिलाफ सिर्फ क्यों कार्रवाई, जो नियम तोड़ रहे है उन सबके खिलाफ हो कार्रवाई

डीसीपी शाहदरा के मुताबिक, गुरुवार सुबह दिल्ली फायर सर्विस के कर्मियों को बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर उसका शव मिला। जय अम्बे टेक्सटाइल की दुकान 400 गज में है और चार मंजिला है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए है।

जय अम्बे के मालिक के खिलाफ अब पुलिस क्या कार्रवाई करेगी ?

जय अम्बे का कितने का नुकसान हुआ ?

क्या इसका सही आकलन निकल पाएगा ?

क्यों फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन किया गया ?

क्या चार मंजिला इस दुकान में हर मंजिल पर फायर का सिलिंडर लगा हुआ था ?

क्या इस बाबत सारे कर्मियों को इसे चलाने की ट्रैनिंग दी गई थी ?

क्यों शाहनवाज को दुकान के अंदर छोड़ा गया था ?

शाहनवाज की मौत का जिम्मेदार कौन ?

इतने पैसे कमाने वाले दुकानदार क्यों फायर उपकरणों पर पैसा खर्च नहीं करते ?

गांधी नगर में हजारों दुकान है, ऐसे में क्या सभी के पास फायर की एनओसी है ?

क्या ये दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारियों की लापरवाही नहीं है ?

क्या ये बिल्डिंग कानून के मुताबिक बनी हुई थी ?

जनता गली में पाइप लाइन देरी से क्यों डाली गई ? क्या ये दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारियों की लापरवाही नहीं है ?

क्या फायर की गाड़ियां मौके पर देरी से पहुंची ?

क्या सिर्फ दिखावे के लिए फायर की गाड़ियां मौके पर पहुंची, लेकिन उनमें स्टाफ नहीं था ?

चार मंजिला बिल्डिंग क्या गांधी नगर में ALLOWED है ?

गांधी नगर मार्कट, दुकानदार नई मानते कोई कानून, सरकार लापरवाह

स्थानीय लोगों के मुताबिक, सुभाष रोड, अशोक बाजार और राम नगर मार्केट गांधी नगर मार्किट के अंतर्गत आते है। यहां हजारों दुकान है और कई सौ करोड़ रुपए का बिजनेस रोजाना होता है। ईस्ट दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर के पिता का काम भी इसी मार्कट में है। इतना होने के बाद भी यहां जाम लगा रहता है। जुगाड़ वाले आटो चलते है, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन होता है, फायर सेफ्टी की अनदेख तरकीबन हर दुकान दार कर रहा है। ये तब है , जब यहां दुकान दार लाखों रुपए कमाते हैं, लेकिन फायर सेफ्टी में चंद रुपए खर्च करने में वो कोताही बरतते हैं।

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