चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर CBI के छापे, UP में सबसे ज्यादा साइबर पोर्नोग्राफी के मामले, क्या है बाकी राज्यों का डाटा?

PRIVESH PANDEY

16 Nov 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:09 PM)

चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child pornography) पर CBI के छापे, UP में सबसे ज्यादा साइबर पोर्नोग्राफी के मामले, क्या है बाकी राज्यों को डाटा? CBI Raid . Read More Crime news on Crimetak.in

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Child Pornography Case: बच्चों के अश्लील वीडियो बनाने और उन्हें शेयर करने के मामले में CBI मंगलवार की सुबह से देश के 76 लोकेशन पर ताबड़तोड़ छापामारी कर रही है. CBI के प्रवक्ता आरसी जोशी ने भास्कर डॉट कॉम को बताया कि आज सुबह से देश के 14 राज्यों और UT के 76 शहरों में सर्च ऑपरेशन चल रहा है. 14 नवंबर को इस मामले में 83 आरोपियों के खिलाफ 23 नामजद FIR दर्ज किए गए थे.

आज सुबह से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर लोगों के घरों में छापा मारा गया है. सूत्रों के मुताबिक, मध्यप्रदेश के 3 बड़े शहरों में भी छापामारी की जा रही है.

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बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम के मामले 400% बढ़े

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के पिछले दिनों जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देशभर में बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम 2019 की तुलना में 2020 में 400% से ज्यादा बढ़े हैं. इनमें से ज्यादातर मामले यौन कार्यों में बच्चों को दिखाने वाली सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण से जुड़े हैं.

UP में सबसे ज्यादा साइबर पोर्नोग्राफी के मामले

NCRB के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक बच्चों के खिलाफ साइबर पोर्नोग्राफी के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में 161, महाराष्ट्र में 123, कर्नाटक में 122 और केरल में 101 दर्ज किए गए हैं.

इसके अलावा ओडिशा में 71, तमिलनाडु में 28, असम में 21, मध्यप्रदेश में 20, हिमाचल प्रदेश में 17, हरियाणा में 16, आंध्रप्रदेश में 15, पंजाब में 8, राजस्थान में 6 केस सामने आए थे. इनमें से केरल व कर्नाटक को छोड़कर बाकी राज्यों में आज छापे की कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा गुजरात व दिल्ली में भी आज CBI की जांच चल रही है.

सुप्रीम कोर्ट के जज ने किया था आगाह

बच्चों के अधिकारों को लेकर पिछले महीने हुए एक संवाद कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यू.यू. ललित ने कहा था कि सिर्फ बाल तस्करी और बाल शोषण ही नहीं, चाइल्ड पोर्नोग्राफी भी एक ऐसी चीज है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

सरकार ने भी हाथ खड़े किए

2015 में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने 850 पोर्न साइट्स पर बैन लगा दिया था. इसका विरोध हुआ. तब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी सफाई पेश की थी. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने तब के चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की बेंच के सामने कहा था, ‘अगर कोई अकेले में पोर्नोग्राफी देखना चाहता है तो उस पर बैन नहीं है. इंटरनेट के इस दौर में सभी पोर्न साइट्स को बैन करना मुश्किल है। हम किसी के बेडरूम में जाकर नहीं झांक सकते.’ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पोर्न साइट्स से जुड़े सभी सर्वर ब्लॉक करना मुमकिन नहीं है. ऐसी कई वेबसाइट्स हैं, जो VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए इन साइट्स तक एक्सेस देती हैं.

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