तीन साल तक एक लाश हिंदुस्तान में घूमती रही, जब खुलासा हुआ तो हैरान रह गया पूरा देश

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तीन साल तक एक लाश हिंदुस्तान में घूमती रही, जब खुलासा हुआ तो हैरान रह गया पूरा देश
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दिन - 2 सितंबर , जगह - पंच विहार कॉलोनी, ग्रेटर नोएडा

शाम का वक़्त है और पुलिस की मौजूदगी में इस घर के अंदर खुदाई चल रही है. टॉर्च और मोबाइल की रौशनी में जैसे-जैसे कुदाल और फावड़े की चोट ज़मीन पर पड़ती है, लोगों की आंखें ज़मीन के और नीचे झांकने की कोशिश करने लगती हैं. पुलिसवाले वहीं मौजूद एक शख़्स से ख़ुदाई की सही-सही जगह को लेकर पूछताछ करते रहते हैं और उसी के बताए मुताबिक ये सिलसिला चलता रहता है. ये खुदाई क़रीब एक घंटे तक यूं ही चलती रहती है और तब ज़मीन के नीचे जो मंज़र दिखाई देता है, उससे वहां मौजूद दूसरे सभी लोगों के साथ-साथ एकबारगी पुलिसवालों के क़दम भी ठिठक जाते हैं. यहां घर के अंदर ज़मीन के नीचे से किश्तों में इंसानी हड्डियां बरामद होने लगती हैं. छोटी-बड़ी हर तरह की हड्डियां. यानी यहां दफ़्न होनेवालों में बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी शामिल हैं.

लेकिन सवाल ये है कि आख़िरी किसी घर के अंदर ऐसा कैसे मुमकिन है? कोई घर की चारदिवारी के अंदर किसी की लाश कैसे दफ़ना सकता है? इस घर में दफ़नाए गए ये लोग कौन हैं? और यहां उन लोगों को इस हाल में दफ़नानेवाला आख़िर कौन है? और सबसे अहम ये कि इस घर का मालिक आख़िर कौन है?

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तो इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए आपको ग्रेटर नोएडा के इस गांव से क़रीब 165 किलोमीटर यूपी के ही एक और शहर कासगंज चलना होगा और वो भी आज से कोई तीन साल पीछे...

तारीख- 26 अप्रैल 2018, जगह- ढोलना रेलवे ट्रैक, कासगंज, यूपी

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इस रोज़ कासगंज के इसी रेलवे ट्रैक पर एक नौजवान की लाश मिलती है. लाश की हालत बेहद ख़राब है. सिर और हाथ के पंजे कटे हुए हैं. पूरे जिस्म पर चोट के बेशुमार निशान भी मौजूद हैं और पहली नज़र में इस लाश को देख कर ये लगता है कि शायद नौजवान की मौत किसी ट्रेन की चपेट में आने की वजह से हुई है. बहरहाल, इस लाश की खबर मिलते ही पुलिस मौका-ए -वारदात पर पहुंचकर अपनी तफ्तीश शुरू कर देती है. पुलिस को लाश के पास से अलीगढ़ के रहनेवाले राकेश नाम के एक शख्स का आई कार्ड, पर्स और दूसरी चीज़ें हाथ लगती हैं. और इसी के साथ ये लगने लगता है कि हो ना हो मरनेवाला अलीगढ़ का राकेश ही है. ऐसे में पुलिस राकेश के घरवालों से संपर्क करती है और घरवालों की तस्दीक से वही बात साबित हो जाती है, जिसकी आशंका पुलिस को थी. घरवाले मरनेवाले नौजवान की पहचान अपने बेटे राकेश के तौर पर ही करते हैं.

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लेकिन चूंकि मामला एक्सीडेंटल डेथ यानी अस्वाभाविक मौत का है, पुलिस डबल श्योर होने के लिए लाश के डीएनए सैंपल प्रिजर्व कर लेती है और साथ ही राकेश के घरवालों के डीएनए के नमूने भी जुटाए जाते हैं. इसके बाद मामला पूरे तीन सालों से के लिए ठंडा पड़ा रहता है. दरअसल, इन तीन सालों तक डीएनए की रिपोर्ट के इंतज़ार में पुलिस की तफ़्तीश वहीं खड़ी रहती है, जहां से इसकी शुरुआत हुई थी. लेकिन तीन साल बाद जब मरनेवाले शख्स की डीएनए रिपोर्ट सामने आती है, तो पुलिसवाले चौंक जाते हैं। ये लाश राकेश की नहीं है.

अब सवाल उठता है कि फिर ये मरनेवाला कौन है? अगर वो लाश राकेश की नहीं थी तो आख़िर घरवालों ने उसकी पहचान कैसे कर ली? अगर मरनेवाला राकेश नहीं है तो फिर राकेश इन तीन सालों से कहां हैं? कुल मिलाकर, अब एकाएक एक डीएनए रिपोर्ट के सामने आने से पुलिस के सामने एक साथ इतने सवाल खड़े हो चुके थे कि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो शुरुआत कहां से करे और ख़त्म कहां पर?

बहरहाल, आगे छानबीन से पता चलता है कि रेलवे ट्रैक पर मिली वो लाश दरअसल कासगंज के ही रहनेवाले एक दूसरे नौजवान राजेंद्र की थी. जो ठीक 26 अप्रैल 2018 से ही रहस्यमयी तरीक़े से गायब हो गया था. लेकिन अब सवाल ये था कि अगर वो लाश राजेंद्र की थी, तो लाश के पास राकेश का आई कार्ड और पर्स यहां तक लाश पर मौजूद कपड़े भी राकेश के कैसे थे? आख़िर घरवालों ने फौरन उस लाश को अपने बेटे राकेश की लाश के तौर पर कैसे पहचान लिया, जबकि लाश को देख कर पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा था। ये सारी बातें किसी गहरी साज़िश की तरफ़ ईशारा कर रही थीं. और इसी शक में पुलिस ने अब अपना सारा ज़ोर राकेश को ढूंढने में लगा दिया. क्योंकि उसे लगने लगा था कि हो ना वो राकेश अब भी ज़िंदा है और कहीं छुप कर रह रहा है.

पुलिस की कोशिश रंग लाई और उसे राकेश के हरियाणा के पानीपत में छुपे होने की ख़बर मिली. पुलिस की ख़बर सही थी और आख़िरकार उसने राकेश को एक दिन कासजंग से ही धर दबोचा. लेकिन राकेश अब अपनी पहचान बदल कर दिलीप शर्मा, पुत्र सुभाष शर्मा, निवासी कुक्कन पट्टी, कुशीनगर यूपी बन चुका था. मगर ये उसकी झूठी पहचान थी. और तो और ज़माने की निगाहों से बचने के लिए उसने अपने चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी भी करवा ली थी. ताकि उसे पहचान पाना मुमकिन ना हो। लेकिन जब पुलिस ने पुख्ता जानकारी के आधार पर राकेश को दबोच कर उससे सख्ती से पूछताछ की, तो उसने ना सिर्फ़ अपनी असली पहचान राकेश होनी कुबूल कर ली, बल्कि राजेंद्र की मौत के साथ-साथ तीन और ऐसे क़त्ल की कहानी बताई, जिसे सुन कर पुलिसवालों के भी रौंगटे खड़े हो गए.

दरअसल, कासगंज के राकेश की शादी 2012 में एटा की रहनेवाली एक लड़की रत्नेश के साथ हुई थी. उसे रत्नेश से दो बच्चे भी थे।तीन साल की बेटी अवनी, जबकि डेढ़ साल का बेटा अर्पित. लेकिन शादीशुदा और दो बच्चों का पिता होने के बावजूद राकेश की ज़िंदगी में एक और लड़की थी -- रूबी. रूबी यूपी पुलिस में कांस्टेबल के पद पर थी. और लगातार राकेश को अपने बीवी बच्चों को छोड़ कर खुद से शादी कर लेने को कहती थी. और तब एक रोज़ राकेश ने अपने बीवी बच्चों से छुटकारा पाने की लिए ऐसी साज़िश रची कि सुन कर किसी के भी रौंगटे खड़े हो जाएंगे.

तारीख -14 फरवरी, 2018, जगह- पंच विहार कॉलोनी, ग्रेटर नोएडा

कहने को तो ये वैलेंटाइन डे का दिन था. प्रेमी-प्रेमिकाओं का दिन.

लेकिन राकेश ने इसी रोज़ पहले तो लोहे की रॉड से वार कर अपनी बीवी रत्नेश और दो फूल से बच्चों की जान ले ली और फिर क़त्ल करने के बाद रातों-रात अपने ही घर के बेसमेंट में तीनों की लाशें दफ़्ना दी. इसके बाद राकेश ने अपने बीवी के मायके जाने की कहानी तो सुनाई, लेकिन खुद अपनी गुमशुदगी की ज़मीन भी तैयार करने लगा और उसे ये मौका मिला दो महीने बाद 25 अप्रैल की रात को, जब कासगंज में ही रहनेवाला उसका एक दोस्त राजेंद्र उसके झांसे में आ गया. उसने राजेंद्र को जमकर शराब पिलाई और जब वो नशे में धुत्त हो गया, तो ना सिर्फ़ रेलवे ट्रैक के पास ले जाकर उसका क़त्ल किया, बल्कि उसे अपने कपड़े तक पहना दिए और लाश के पास ही अपना आई कार्ड वगैरह फेंक कर फ़रार हो गया.

उधर, राकेश की बीवी रत्नेश के घरवालों ने जब अपनी बेटी और उसके बच्चे के गायब होने का इल्ज़ाम अपने दामाद पर लगाया, तो राकेश के घरवालों ने उल्टा उसके ससुरालवालों पर ही अपने बेटे की हत्या कर लाश रेलवे ट्रैक पर फेंकने का इल्ज़ाम लगा दिया. इस तरह मामला काउंटर केस का बन गया और पुलिस की जांच ठंडे बस्ते में चली गई. अब लड़की के घरवाले जब-जब राकेश पर इल्ज़ाम लगाते, राकेश के घरवाले लड़कीवालों को घेर लेते. जबकि सच्चाई ये थी कि राकेश ना सिर्फ़ ज़िंदा था, बल्कि अपना नाम और अपनी पहचान बदल कर अपनी प्रेमिका रूबी के साथ एक सुकून भरी ज़िंदगी गुज़ार रहा था. वो तो डीएनए रिपोर्ट थी, जिसके सामने आने के बाद ना सिर्फ़ रेलवे ट्रैक पर राकेश की मौत की बात झूठी निकली, बल्कि पूरी कहानी ही पलट गई.

डीएनए की रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने ना सिर्फ़ राकेश को धर दबोचा, बल्कि इस पूरी साज़िश में उसका साथ देने के इल्ज़ाम में राकेश के पिता, दो भाई, उसकी मां और उसकी गर्लफ्रेंड रूबी को भी गिरफ्तार कर लिया. वो पकड़े जाने के बाद अपनी बीवी बच्चों की गुमशुदगी को लेकर भी झूठ बोलता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसके साथ सख्ती की, तो उसने ना सिर्फ़ सच्चाई बताई, बल्कि उसकी निशानदेही पर पुलिस ने उसी के घर के बेसमेंट से उसके बीवी बच्चों की हड्डियां भी बरामद कर लीं.

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