अफ़ग़ानिस्तान में दिखा तालिबान का ख़ौफ़नाक चेहरा, स्टेडियम में खुलेआम फांसी पर लटकाया
Afghan Taliban News: तालिबान के कब्ज़े में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में पहली बार किसी को सरेआम फांसी पर लटकाकर सज़ा-ए-मौत दी गई है। इस वाकये के सामने आने के बाद दुनिया सकते में है।
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Afghanistan News: 15 अगस्त 2021 के दिन की तस्वीरों को दुनिया अभी तक पूरी तरह से भूल भी नहीं पायी थी जब अफग़ानिस्तान पर बेरहम तालिबान (Taliban) का कब्जा हो गया था और अफग़ानिस्तान में अफरा तफरी (Cheos) मची हुई थी। जिसे देखो वही देश को छोड़कर भागने की फिराक में नज़र आ रहा था। लेकिन एक साल और साढ़े चार महीनों के बाद अफग़ानिस्तान से जो तस्वीर सामने आई है, उसने एक तरह से तालिबान के चाल चरित्र और चेहरे को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है।
अफग़ानिस्तान में एक नागरिक को फराह प्रांत के एक स्टेडियम (Stadium) में हजारों आंखों के सामने सरेआम फांसी (Public Execution) पर लटकाकर मौत की सज़ा दी गई है। जिस शख्स को खुलेआम फांसी पर लटकाया गया उस पर हत्या का ही इल्ज़ाम था। हाथ के बदले हाथ और जान के बदले जान के इस तालिबानी क़ानून को अब दुनिया सरेआम देख पा रही है।
Afghanistan Crime: तालिबान के प्रवक्ता के मुताबिक क़ातिल को जो सज़ा दी गई है वो शरिया क़ानून के मुताबिक सही है। तालिबान के प्रवक्ता ने ये दावा किया है कि अफग़ानिस्तान के पश्चिम प्रांत फराह में सैकड़ों तमाशबीनों और तालिबान के आला अधिकारियों के सामने ही क़त्ल के आरोपी को सज़ा-ए-मौत की सज़ा दी गई और उसे सबके सामने फांसी पर लटकाया गया।
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और ये 15 अगस्त 2021 पर सत्ता पर काबिज होने के बाद पहला मौका है जब किसी को इस तरह खुलेआम और सरेआम फांसी पर लटकाया गया।
तालिबान के प्रवक्ता के मुताबिक अफग़ानिस्तान के हेरात का रहने वाले ताजमीर को फराह प्रांत के मुस्तफा की हत्या करने के साथ साथ उसकी मोटरसाइकिल और मोबाइल चुराने के इल्ज़ाम में ये सज़ा दी गई है। हालांकि इस सज़ा पर अफगानिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई थी।
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ये बात खासतौर पर ध्यान रहे कि अफग़ानिस्तान में शरीया क़ानून के मुताबिक जो सज़ाएं दी जाती है उनमें सार्वजनिक तौर पर फांसी के साथ साथ, पत्थरों से पीट पीट कर क़त्ल, कोड़े मारना और चोरी के इल्ज़ाम में शरीर के अंगों को काटना भी शामिल है।
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Taliban Terror: अफग़ानिस्तान में तालिबान के सुप्रीम कमांडरों ने साफ साफ हिदायत दी है कि गुनहगारों को शरीया क़ानून के मुताबिक ही सज़ा सुनाई जाए। दावा किया गया है कि ये सज़ा तालिबान के सबसे बड़े नेता मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदज़ादा की सिफारिश पर ही तजवीज की गई। और प्रवक्ता का ये भी दावा किया गया है कि ये सज़ा देते समय बहुत एहतियात बरता गया है।
बताया जा रहा है कि पांच साल पहले पीड़ित परिवार की शिकायत पर तालिबान के सुरक्षा बल ने ताजमीर को गिरफ्तार किया था। और अदालती कार्रवाई के दौरान ताजमीर ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था। तालिबान की सबसे बड़ी अदालत ने जब ताजमीर को ये सज़ा सुनाई तो सारी दुनिया की निगाहें अफगानिस्तान की तरफ टिक गई थी।
तालिबान की तरफ से जारी किए गए बयान में कहीं भी इस बात का की जिक्र नहीं है कि ताजमीर की गिरफ्तारी कब हुई थी। हालांकि ये बात साफ साफ शब्दों में ज़रूर लिखी है कि ताजमीर ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
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