खून खराबे के लिए क्यों बदनाम है तिहाड़ जेल, ताजा कत्ल की वारदात से जेल की सुरक्षा पर फिर उठे सुलगते सवाल
सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिस तिहाड़ जेल की गिनती देश की सबसे सुरक्षित जेल के तौर पर होती है आखिर उस जेल में कैदी एक दूसरे पर हमला कैसे कर डालते हैं? कैसे पलक झपकते वो एक दूसरे की जान ले लेते हैं? आखिर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह जाती है? क्यों साल दर साल तिहाड़ में गैंगवार का सिलसिला चलता रहता है?
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Delhi Tihar Jail: जेल, जहां जुर्म को अंजाम देने वालों का हिसाब किताब होता है। उसी जेल की चारदीवारी के अंदर अगर कत्ल हो जाए तो ये खबर हैरान करती है। शुक्रवार को एक बार फिर जेल के अंदर हुए एक मर्डर से हड़कंप मच गया। ये मर्डर तिहाड़ की जेल नम्बर-3 में हुआ। शुक्रवार दोपहर कैदियों के बीच लड़ाई हुई जिसके दौरान कुछ कैदियों ने एक विचाराधीन कैदी की हत्या कर दी। मृतक कैदी का नाम दीपक है और वो डकैती और हत्या के आरोप में तिहाड़ में बंद था। उसके सीने में किसी नुकीले हथियार से वार किया गया।
मर्डर तिहाड़ की जेल नम्बर-3 में हुआ
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस तिहाड़ जेल की गिनती देश की सबसे सुरक्षित जेल के तौर पर होती है, आखिर उसी जेल में गैंगस्टर कर एक दूसरे पर हमला कैसे कर डालते हैं? कैसे पलक झपकते वो एक दूसरे की जान ले लेते हैं? आखिर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह जाती है? क्यों साल दर साल तिहाड़ में गैंगवार का सिलसिला चलता ही रहता है? तो इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको तिहाड़ जेल को करीब से समझने की जरूरत है।
तिहाड़ में गैंगवार का सिलसिला
तिहाड़ को बेशक हाई सिक्योरिटी जेलों में गिना जाता है, लेकिन इसके अंदर होनेवाली गैंगवार की वारदात यहां के सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलती है। पिछले 9 सालों में तिहाड़ जेल में गैंगवार की कुल 12 बड़ी वारदात हो चुकी हैं, जिनमें 9 कैदियों की मौत हुई है जबकि इस तरह की गैंगवार में कुछ जेल कर्मियों समेत कुल 47 लोग घायल हुए हैं। अब सवाल ये है कि हाई सिक्योरिटी जेल होने के बावजूद आखिर गैंगवार का ये सिलसिला बंद क्यों नहीं होता? तो जवाब है जेल में क्षमता से दो गुने से भी ज्यादा कैदियों का बंद होना और जेल में बेलगाम भ्रष्टाचार।
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जेल में क्षमता से दो गुने से भी ज्यादा कैदी
20 फरवरी 2023 के आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त तिहाड़ में कुल 13 हजार कैदी बंद हैं जबकि तिहाड़ में कैदियों की कुल क्षमता 5 हजार 200 कैदियों की हैं। यानी जेल में क्षमता से करीब 8 हज़ार ज्यादा कैदी भरे पडे हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लग जाना कोई हैरानी की बात नहीं है। रही-सही कमी कई जेलकर्मियों की रिश्वतखोरी की आदत पूरी कर देती है। रिश्वत लेकर कैदियों को सुविधाएं देने की जेलकर्मियों की इसी आदत की वजह से तिहाड़ पहले से ही घूस महल के नाम से बदनाम है।
जेल की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध
तिहाड़ जेल, जहां पैसे और पहुंच के बल पर तमाम हाईप्रोफाइल कैदी अपने लिए हर वो सुविधा हासिल कर सकते हैं, जो किसी इंसान को बाहर मिलती है फिर चाहे वो मोबाइल फोन हो, नशे का सामान, फाइव स्टार होटल का खाना, शराब, हथियार या फिर कुछ और हो। सुकेश चंद्रशेखर से लेकर वक्त-वक्त पर तमाम तरह की अवांछित चीज़ों के साथ पकड़े जाते कैदी इस बात का सबूत हैं। जबकि सुरक्षा के लिहाज से तिहाड़ जेल के तमाम हाई सिक्योरिटी वार्डों समेत अलग-अलग इलाकों में 7500 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं।
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7500 सीसीटीवी कैमरों का जाल
अब तिहाड़ जेल प्रशासन 1248 सीसीटीवी कैमरे और लगाए जाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि गुनहगार कई बार इन कैमरों को भी गच्चा देने में कामयाब हो जाते हैं और कभी जेलकर्मियों की मिलीभगत से कैमरे खराब कर दिए जाते हैं। जाहिर है, अब जिस जेल में ऊपर से लेकर नीचे तक मुलाजिम भ्रष्टाचार में डूबे हों, कानून तोड़ने की सजा के लिए बनाई गई जगह पर खुद हर तरह से कानून तोडे जाते हों, वहां गैंगवार-खून खराबा और कत्ल होना कोई हैरानी की बात नहीं है।
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