इराक़ के 'ग्रीन ज़ोन' पर गुस्साई भीड़ का कब्ज़ा, रिपब्लिक पैलेस के स्विमिंग पूल में जनता ने गोते लगाए

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Iraq Civil War: जब जनता उठ खड़ी होती है तो वही होता है जो इस वक़्त इराक़ (Iraq) में हो रहा है। जब जनता शोर मचाती है तो ठीक वैसी ही आवाज आती है जैसी इस वक्त इराक़ की राजधानी बग़दाद (Baghdad) में सुनी जा सकती है। जब पब्लिक (Public) अपने पर आ जाती है तो हुक्मरानों के मखमली महल ठीक उसी तरह रौंदे जाते हैं जैसे इराक़ का रिपब्लिकन पैलेस (Republican Palace) रौंदा गया।
कुछ वक्त ऐसे मंजर की दास्तां श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से सामने आ रही थी...लेकिन अब देश और देश का नाम बदल गया लेकिन मंजर और हालात क़रीब क़रीब एक जैसे ही नज़र आ रहे हैं। इराक की राजधानी बगदाद के सबसे सुरक्षित इलाक़े ग़्रीन ज़ोन में बने रिपब्लिकन पब्लिक पैलेस पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो गया।
प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन की गैलरी घूम रहे हैं, मीटिंग हॉल में चक्कर लगा रहे हैं, बेखौफ होकर पूरे पैलेस को नाप रहे हैं, स्विमिंग पूल में छलांग रहे हैं, नहा रहे हैं, तैर रहे हैं।
इराक में बगदाद से लेकर बसरा तक कुछ ऐसा ही हाल है। लोग सड़कों पर हैं। ना पुलिस की चल रही हैना सेना टिक पा रही है।

Iraq Civil War: अब जान लीजिए कि इराक में आखिर ये सब हो क्यों रहा है। क्यों लोग सड़कों पर हैं? क्यों हुकूमत को चुनौती दी जा रही है। हालात इराक के शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र के सियासत छोड़ने से हुआ। जैसे ही शिया धर्म गुरु ने सियासत से संन्यास का ऐलान किया उनके समर्थक बेकाबू हो गए। देखते ही देखते बगदाद पर और खासतौर पर उस इलाक़े पर जिसे ग्रीन ज़ोन कहा जाता है, प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो गया।
सद्र समर्थकों ने जैसे ही रिपब्लिक पैलेस यानी राष्ट्रपति भवन पर हल्ला बोला रास्ते में सेना आ गई। आंसू गैस के गोले दागे गए। फायरिंग की गई फायरिंग में 20 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई। 300 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए । बावजूद इसके प्रदर्शनकारियों के पांव नहीं थमे।

Iraq Civil War: श्रीलंका की तरह इराक में भी स्थिति अराजक हो गई है। सियासी गतिरोध ना टूट पाने से नाराज शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद सेना ने कर्फ्यू लगाया, लेकिन अल-सद्र के समर्थक सड़क पर उतर आए। इस दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई।

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सद्र के हजारों समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन यानी रिपब्लिक पैलेसे पर धावा बोल दिया। सुरक्षाबलों ने रोकने के लिए पहले आंसू गैस के गोले दागे और फायरिंग भी की, लेकिन वे नहीं माने। इस दौरान 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जब हालात बिगड़े। हिंसा और हथियारों का इस्तेमाल होने लगा, तो शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने हिंसा रूकने तक भूख हड़ताल की घोषणा कर दी है।

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