PFI को किया बैन !

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अभिषेक भल्ला के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

PFI Banned: केंद्र सरकार ने आखिरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन कर दिया है। इतना ही पीएफआई के 8 सहयोगी सगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। गृह मंत्रालय ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी की है।

अधिसूचना के मुताबिक, पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों का संबंध स्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से है। ये संगठन देश में एक विशेष समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है। ये संगठन आतंकी गतिविधियों में भी शामिल रहा है।

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गृह मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन

गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बताया, पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में काम करते हैं।

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PFI का ISIS से संबंध

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पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश से भी रहा है। ये दोनों संगठन प्रतिबंधित संगठन हैं। पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं।

पहले रेड, फिर बैन

NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने 22 सितंबर और 27 सितंबर को PFI पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. पहले राउंड की छापेमारी में 106 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार हुए थे। दूसरे राउंड की छापेमारी में 247 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार-हिरासत में लिए गए।

राज्यों ने की बैन की सिफारिश

पीएफआई को बैन करने की मांग कई राज्य सरकारों ने भी की थी। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात राज्य सरकारों ने पीएफआई को प्रतिबंधित करने की मांग की थी।

ऐसे आता था इनके पास पैसा ?

पीएफआई के पदाधिकारी और काडर इससे जुड़े अन्य लोग हवाला, दान आदि के माध्यम से भारत के भीतर और बाहर से धन इकट्ठा कर रहे हैं। उस धन को वैध दिखाने के लिए कई खातों का सहारा लिया जाता है। यानी BLACK MONEY को WHITE MONEY में बदला जाता है। इस धन का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए होता है।

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