Ukraine Russia Conflict : बूचा को चेचेन लड़ाकों ने बना दिया बूचड़खाना!

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Russia Ukraine: बिखरी हुई बेकफन लाशें, खून से सनी लाल हो चुकी मिट्टी, चारों तरफ मौत का स्याह मंज़र, लाशों से पटे सड़क-चौराहे, घर। जहां देखो वहां लाशों का अंबार, बेसहारा, बर्बाद हो चुकी इमारतें, तबाही के सामान और निशानों से पटे शहर। दुनिया की तारीख में ऐसा लाशों का अंबार, और ना ऐसा नरसंहार कभी देखा गया और ना शायद कभी देखा जाएगा। जिस बेरहमी से रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की राजधानी कीव के नज़दीकी शहर बूचा को बूचड़खाना बना दिया वो यकीनन शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल हैं। ये तो उन ज़ख्मों की तस्वीरें हैं जिनके निशान बाकी हैं, मगर उन ज़ख्मों का क्या जो यूक्रेनी लोगों के ज़मीर पर लगाए गए हैं। उन बेकसूर महिलाओं की अस्मत का क्या जिसे रूसी सैनिकों ने बड़ी बेरहमी से तार तार किया। उन घरौंदों का क्या जिन्हें बेदर्दी से मलबे के ढेर में तब्दील किया गया। उन आंसुओं का क्या जो आंखों से बहते बहते खुश्क हो गए। रूस ने जंग के नाम पर इस देश को इतने गहरे जख्म दिए हैं, जिन्हें याद कर आने वाली पीढ़ियां भी सिहर उठेंगी।

कहते हैं जितनी दूर से देखा जाए, तस्वीर उतनी ही धुंधली नज़र आती है। मगर बूचा में ये कैसी तबाही है जो आसमान से भी बिलकुल साफ साफ नज़र आती है। यूक्रेन में ये सामूहिक कब्रगाह की सैटेलाइट तस्वीरें है, बूचा के चर्च में पूरा इलाका लाशों से पट गया है। लोग बताते हैं कि अब तक 400 से ज्यादा लोगों को 45 फीट के इस गढ्ढे में दफनाया जा चुका है, मगर लाशों का आना अभी भी थम नहीं रहा है। इन इंसानों को लाशे बनाने वालों ने बड़ी बेरहमी से इनके जिस्म के एक एक हिस्से को रूह से महरूम किया है। किसी के हाथ बंधे हैं तो किसी के हाथ ही कटे हैं। कोई पैरों के बल उलटा पड़ा है तो कोई बिना पैरों के ही दिवार का सहारा लिए खड़ा। किसी के ठीक माथे के बीचोबीच गोली का निशान है, तो किसी के दिल से बंदूक सटा कर गोली मारी गई है। बूचा में औरतों को जो बेरहम मौत दी गई उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाइये कि उनके जिस्म पर कपड़े नहीं हैं, अंदरूनी अंगों को काट दिया गया, या उन्हें इस तरह ज़ख्मी किया गया जैसा कोई कसाई भी जानवरों के साथ नहीं करता है।

Ukraine Russia News: 40 दिन की नाकाम जंग के बाद थके हारे रूसी सैनिक जैसे जैसे कीव और आसपास के इलाकों से हट रहे हैं, वैसे वैसे उनकी बर्बरता के निशान दुनिया देख रही है। बूचा का इलाका इन सबसे सबसे ज़्यादा ज़ख्मी है, वो इसलिए क्योंकि यहां कमान दुनिया के सबसे खूंखार चेचेन लड़ाकों ने संभाल रखी थी। जब यूक्रेन फतह में देर होने लगी तो रूसी राष्ट्रपति ने एक आंकड़े के मुताबिक कम से 10,000 खूंखार चेचेन लड़ाकों को रूसी सेना की मदद के लिए यूक्रेन में दाखिल कराया था। इसकी पुष्टि खुद चेचेन्या के प्रधानमंत्री रमजान कादिरोव भी कर चुके हैं, चेचेन लड़ाके पूरी दुनिया में कुख्यात हैं अपनी क्रूरता और बर्बरता के लिए। हालांकि चेचन्या और रूस के बीच अपनी तारीखी अदावत भी रही है, लेकिन इस वक्त चेचन्या की सरकार एक तरह से पुतिन के हुक्म की तामील करने के लिए तैयार बैठी है।

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रूस और चेचन लड़ाकों के भयंकर हमले का शिकार हुए बूचा को यूक्रेनी फौज ने हाल ही में कब्ज़े से छुड़ाया है, लेकिन कीव से 37 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिमी शहर बूचा पर कब्जे के बाद जो कुछ देखने को मिला वो दिल दहलाने वाला था। बूचा में ज़िंदा बचे यूक्रेनी लोग और अधिकारियों के मुताबिक वो कयामत का मंज़र था जब चेचेन लड़ाके बूचा की दहलीज़ में दाखिल हुए। हर तरफ कत्ले आम करते हुए उन्होंने थोड़ी ही देर में शहर के अंदर लाशों का ढेर लगा दिया। लोगों के हाथ-पांव बांधकर करीब से उन्हें गोलियां मारी गई, घर और बेसमेंट में छिपे लोगों को जला दिया गया, जो बचने के लिए भागे उनपर गोलियां बरसाई गईं। महिलाओं को मारने से पहले उनके साथ बड़ी बेरहमी से रेप किया गया।

मैं चाहता हूं कि हर रूसी सैनिक की मां बूचा, इरपिन और होसटोमेल में मारे गए लोगों के शव देखेँ। उन्होंने क्या किया था? उन्हें क्यों मार डाला? सड़कों पर साइकिल से जा रहे इंसान का क्या कसूर था? महिलाओं के कानों की बालियां खींचकर उनका गला क्यों घोटा गया? ये कैसे मुमकिन है कि उनके बच्चों के सामने महिलाओं से रेप कर उन्हें मार दिया जाए और फिर मरने के बाद उनके शव का मजाक बनाया जाए? उन्होंने लोगों के शवों को टैंक से क्यों कुचल डाला? यूक्रेन के शहर बूचा ने रूस का क्या बिगाड़ा था?

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- वोलोदिमीर जेलेंस्की, राष्ट्रपति, यूक्रेन

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Ukraine Russia War: रूसी फौज और चेचेन लड़ाकों के जाने के बाद बूचा के मेयर ने खुद मीडिया के लोगों को बूचा का हाल दिखाय़ा। कैमरों के लेंस में शहर का जो मंजर रिकॉर्ड होता चला गया उसने दुनिया को दहला दिया, सड़कों पर लाशें, मॉल में टैंकर, ज़मीन में गड़े ज़िंदा मोर्टार, खंडहर में तब्दील हो चुकी इमारतें, टूट चुके घरौंदे, हर तरफ मलबा.. बस मलबा। ऊपर से सितम ये कि शहर में बर्फबारी हो रही है, पारा शून्य से दो डिग्री नीचे है, सब कुछ ठंडा पड़ा है बस श्मशान में तब्दील हो चुके इस शहर में रूसी फौज की बर्बरता की कहानी गर्म है।

24 फरवरी को हमले के बाद कुछ ही दिनों में रूसी फौज ने बूचा पर कब्जा कर लिया था, इसके बाद रूसी फौज चेरनोबिल पर कब्जा करते हुए कीव की तरफ बढ़ गई। लेकिन थोड़े दिन बाद ही यूक्रेनी फौज ने बूचा और इरपिन में रूसी फौज पर पलटवार शुरू कर दिया और आखिरकार रूसी फौज को इन दोनों शहरों से बेदखल करने में कामयाब रही। बड़े ही रणनीतिक तरीके से यूक्रेनी सेना ने रूसी टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को नष्ट कर दिया, रूस की सेना को यूक्रेनी सैनिकों ने नाकों चने चबवा दिए। इस बात की तस्दीक़ रूस की बर्बाद हुए टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के मलबे कर रहे हैं जो अब तक बूचा की सड़कों पर ही पड़े हुए हैं। तो एक सवाल ये भी है कि आखिर यूक्रेन की सेना ने अपने से कई गुना मज़बूत रूसी सैनिकों को बूचा में मात दी कैसे?

दरअसल बूचा की सड़के संकरी और सीधी है, घात लगाने या छिप कर हमला करने के लिए एकदम मुफीद मानी जाती हैं, बकौल चश्मदीदों के थोड़ा वक्त ज़रूर लगा लेकिन यूक्रेन के सैनिकों ने ना सिर्फ घात लगाकर रूसी सैनिकों को निशाना बनाया बल्कि तुर्की से खरीदे गए बायरख़्तर अटैक ड्रोन से रूस के काफ़िले पर हमला भी किया। इस हमले में आम लोगों ने भी यूक्रेनी सेना का साथ दिया जिससे कई रूसी सैनिक भाग खड़े हुए तो कुछ पकड़े जाने पर अपनी जान की भीख मांगते हुए नज़र आए। जल्द ही यूक्रेनियन सेना ने बूचा पर दोबारा कब्जा तो कर लिया लेकिन इसका जश्न मनाने के लिए यूक्रेनी फौज के पास कुछ नहीं था, क्योंकि अब यहां बची हैं तो सिर्फ बर्बादी की दुखभरी कहानी।

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