मुख्तार, अतीक, अशरफ और शहाबुद्दीन: क्या है डॉन के खात्मे का रमजान कनेक्शन?
DONs Ramzan Connection: मुख्तार, अतीक, अशरफ और शहाबुद्दीन। अपराध की दुनिया के चार बड़े नाम।
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DONs Ramzan Connection: मुख्तार, अतीक, अशरफ और शहाबुद्दीन। अपराध की दुनिया के चार बड़े नाम। मगर अपराध के अलावा इन चारों के बीच एक रिश्ता ऐसा है जो इन चारों को एक कतार में ला खड़ा करता है। और वो रिश्ता है इन चारों के खात्मे से जु़ड़ा। जी हां, चाहे इसे इत्तेफाक कहें या फिर इन अपराधियों की किस्मत, इन चारों का खात्मा रमजान के पाक महीने में हुआ। उसी महीने में जिसमें गरीबों की मदद का स्वांग रच ये चारों मसीहा बने रहने का ख्वाब देखते थे।
28 मार्च 2024- रमजान का 17वां दिन
मुख्तार के बारे में तो बांदा जेल के अधिकारियों ने यहां तक बताया कि अपने आखिरी दिनों में मुख्तार जेल के अंदर भी रोजे रख रहा था। शायद मौत के डर और गुनाहों के बोझ ने उसे धर्म की पनाह लेने पर मजबूर कर दिया था। 26 मार्च को तबियत बिगड़ने पर जब उसे अस्पताल ले जाया गया तब डॉक्टरों ने यहां तक कहा कि खराब सेहत रहते रोजा रखने से मुख्तार की तबियत ज्यादा खराब हुई। पर ऊपरवाले की बंदगी यहां भी काम नहीं आई और महज दो दिन बाद दिल का दौरा पड़ने पर मुख्तार दुनिया को अलविदा कह गया।
1 मई 2021- रमजान का 18वां दिन
इसी तरह उम्र कैद काट रहा माफिया डॉन शहाबुद्दीन भी मई 2021 में तिहाड़ जेल में रहकर गुनाहों से तौबा कर रहा था। एक बार फिर रमजान का महीना था। साथ ही कोविड का खौफ। शहाबुद्दीन पहले से बीमार तो था ही, कोविड के इंफेक्शन ने उसे बुरी तरह तोड़ दिया। और बस रमजान के दौरान ही बिहार के सबसे खतरनाक डॉन शहाबुद्दीन की मौत हो गई।
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15 अप्रेल 2023- रमजान का 22वां दिन
यही अंजाम डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का हुआ। जहां अतीक पर सौ से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे अशरफ के खिलाफ भी हत्या, अपहरण और डकैती समेत कुल 52 मुकदमे चल रहे थे। उमेश पाल केस से जुड़े गवाह की हत्या के मामले में जब कोर्ट के आदेश पर दोनों भाई गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज पहुंचे तब भी रमजान का महीना चल रहा था। अतीक और अशरफ बार-बार पुलिस पर एनकाउंटर का शक जता रहे थे। मगर ऊपरवाले को शायद कुछ और ही मंजूर था। 15 अप्रेल 2023 की रात तीन नौसिखिये शूटरों ने पुलिस कस्टडी में ही ताबड़तोड़ फायरिंग कर अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतार दिया।
कुल मिला कर इन अपराधियों के लिये रमजान का महीना इनके गुनाहों के हिसाब-किताब का महीना बन कर आया। जिंदगी भर जुल्म और आतंक के बूते अपनी हुकूमत चलाने वाले ये डॉन ऊपरवाले की अदालत में मुकदमा हार गए और माफी के बजाए मिली सजाएमौत।
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