रूस ने दी विम्बलडन को धमकी, अगर टूर्नामेंट में खिलाड़ियों पर लगी पाबंदी तो अंजाम बुरा होगा

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News from Wimbledon : यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के हमले के बाद से दूनिया सीधे तौर पर दो खेमों में बंटी हुई है। एक तरफ वो देश हैं जो इस हमले के बाद सीधे तौर पर या परोक्ष रुप से रूस के पाले में खड़े नज़र आ रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ वो लोग हैं जो हर हाल में रूस और उसके हमले का विरोध कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इस छिड़ी जंग की आंच अब खेल के मैदान तक को झुलसाने लगी है।

अगर जंग के ख़िलाफ़ लामबंदी ऐसे ही चलती रही तो बहुत मुमकिन है कि आने वाले दिनों में खेलों की तमाम प्रतियोगिताओं में रूसी खिलाड़ियों के साथ साथ उन देशों के खिलाड़ियों को भागीदारी से हाथ धोना पड़ेगा जिनका ताल्लुक उन देशों से है जो रूस के साथ इस जंग में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

सबसे ताज़ा ख़बर ये आ रही है कि अगर रूस के ख़िलाफ़ दुनिया भर के कई देशों में जिस तरह से प्रतिबंध लगाए हैं अगर वो इसी तरह लागू रहे या और भी ज़्यादा पाबंदियां लगा दी गईं तो दुनिया की सबसे मशहूर और प्रतिष्टित विम्बलडन टेनिस प्रतियोगिता (Wimbledon) में रुसी खिलाड़ी भाग नहीं ले पाएगे।

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News from Wimbledon in Hindi: सिर्फ रूसी ही नहीं बल्कि ये पाबंदी बेलारूस के खिलाड़ियों के ऊपर भी लागू हो सकती है। इस पाबंदी का असर अगर विम्बलडन पर पड़ा तो इस बार हरे घास वाले टेनिस कोर्ट पर दुनिया के नंबर दो टेनिस प्लेयर डेनियल मेदवेदेव और नंबर आठ खिलाड़ी आंद्रेय रूबलेव के साथ साथ बेलारूस की टॉप खिलाड़ी आर्यना सबालेंका 2022 के ग्रैंड स्लेम में नज़र नहीं आएंगी।

गर्मियों के मौसम में इस दुनिया की सबसे बड़ी मानी जानी वाली और सबसे प्रतिष्टित टेनिस प्रतियोगिता के आयोजक आल इंग्लैंड क्लब पहला ऐसा क्लब होगा जो इस जंग के बाद खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में भाग लेने से वंचित कर देगा।

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24 फरवरी के बाद से रूस पर दुनिया के पश्चिम देशों की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि जैसे भी हो यूक्रेन के ख़िलाफ़ छेड़े अपने युद्ध को समाप्त करे। इस जंग की वजह से अभी तक यूक्रेन के लाखों परिवारों को अपने घर द्वार छोड़कर यहां वहां जाना पड़ा जिसकी वजह से तबाही की तस्वीरें और भी ज़्यादा भयानक दिखाई पड़ने लगी हैं।

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News from Wimbledon: आल इंग्लैंड क्लब की तरफ से जारी की गई एक रिलीज़ में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि आने वाली विम्बलडन टेनिस चैंपियनशिप में मुमकिन है कि इस बार महिलाओं की ATP रैंकिंग में 15वें नंबर की खिलाड़ी अनास्तासिया पेवलिंचेन्कोवा, 26वें नंबर की खिलाड़ी दारिया कासात्किना और 29वें नंबर की खिलाड़ी वेरोनिका कुदरमेतोवा हरे टेनिस लॉन पर अपने हुनर का जलवा नहीं बिखेर पाएंगी।

संभावना इस बात की भी है कि बेलारूस की टॉप महिला खिलाड़ी सबालेंका को दुनिया में चौथा स्थान है हासिल है जबकि दुनिया की नंबर 18 खिलाड़ी विक्टोरिया अज़ारेंका को भी विम्बलडन में शिरकत करने से रोका जा सकता है। ये क़दम इसलिए उठाया जा सकता है क्योंकि यूक्रेन के खिलाफ़ छिड़ी इस जंग में रूस के साथ बेलारूस भी खड़ा नज़र आ रहा है।

News from Wimbledon: अभी तक यही देखा गया है कि ATP और WTA टूर के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय टेनिस फेडरेशन ने रूस और उसके सहयोगी देशों के खिलाड़ियों को किसी भी टेनिस प्रतियोगिता में भाग लेने से नहीं रोका है। हालांकि खिलाड़ियों को इस हिदायत के साथ प्रतियोगिता में शिरकत करने की इजाज़त दी जा रही है कि वो प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं लेकिन अपने देश का झंडा कहीं भी न तो फहरा सकते हैं और न ही अपने किसी ड्रेस में लगा सकते हैं। साथ ही प्रतियोगिता के दौरान उनके देश का राष्ट्रीय गान भी नहीं गाया जाएगा।

इस साल विम्बलडन टूर्नामेंट 27 जून से 10 जुलाई तक खेला जाएगा। ऑल इंग्लैंड क्लब के सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक टेनिस प्रतियोगिता से जुड़े पदाधिकारियों और ब्रिटिश सरकार के नुमाइंदों के बीच लगातार बातचीत चल रही है। और इस बात पर विचार भी किया जा रहा है कि आगामी प्रतियोगिता में रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में शिरकत करने देना कहां तक उचित है और वो क्या सूरत हो सकती है कि उन्हें अगर प्रतियोगिता में शिरकत करवाया भी जाएगा तो क्या क़ायदे और क़ानून हो सकते हैं।

News from Wimbledon: हालांकि पिछले ही महीने ब्रिटेन के खेल मंत्री निगेल हडलस्टन ने इस बात के संकेत दिए थे कि मेदवेदेव समेत दूसरे रूसी खिलाड़ियों को विम्बलडन टेनिस टूर्नामेंट में खेलने से रोका जा सकता है। क्योंकि ब्रिटेन की सरकार किसी भी सूरत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युदुध के फैसले का कतई समर्थन नहीं करती।

या फिर इस बात की गारंटी खिलाड़ियों से एक राजीनामा करवाकर किया जा सकता है कि वो खिलाड़ी किसी भी सूरत में पुतिन के युद्ध के फैसले का समर्थन नहीं करते। क्योंकि ऐसा पहले हो चुका है। दुबई टेनिस चैंपियनशिप के दौरान रूसी खिलाड़ी रूबलेव का नाम उस वक्त सुर्खियों में छा गया था जब उन्होंने टीवी कैमरा के सामने साफ शब्दों में कहा था कृपया जंग रोक लो (No War Please)। इस टूर्नामेंट के फाइनल में रूबलेव ने पेलैंड के हुबर्ट हरकेज़ को हराया था।

इसी तरह मैक्सिकन ओपन के दौरान मेदवेदेव ने भी हर तरफ अमन रहे (All for Peace) कहकर ये साफ संदेश दिया था कि वो इस जंग के पक्ष में बिलकुल भी नहीं हैं। और इसके बाद मेदवेदेव ने जापान के ख़िलाड़ी योशिहितो निशिओका को हराया भी था।

उधर क्रेमलिन ने ये बात साफ कर दी है कि इस जंग का असर खिलाड़ियों के अधिकार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, ये पाबंदियां किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगी। ये कहां तक जायज़ है कि पुतिन के प्लान को लेकर वहां के टेनिस और पेशेवर खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ अपनी भड़ास निकाली जाए। लेकिन साथ ही क्रेमलिन ने ये भी धमकी दी है कि अगर टेनिस टूर्नामेंट के आयोजक ऐसा कोई फैसला करते हैं तो उन्हें इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।

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