Domestic Violence Act: घरेलू हिंसा अधिनियम को आसान भाषा में समझें, क्या लिव-इन में भी घरेलू हिंसा की हो सकती है FIR दर्ज?

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Domestic Violence Act 2005 : हाल में आई NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ. इसके अलावा भी घर में होने वाले उत्पीड़न के मामले अक्सर जानकारी के बिना पुलिस तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी होता है कि आखिर घरेलू हिंसा क्या है?

इसका कानून क्या है? और क्या कोई घरेलू हिंसा हेल्पलाइन नंबर (Domestic Violence Helpline Number) भी है? और घरेलू हिंसा के कितने प्रकार होते है?

घर में होने वाली हिंसा को ही घरेलू हिंसा कहा जाता है. किसी भी महिला का शारीरिक, मानसिक यहां तक उसकी भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ करना या फिर उसके खिलाफ गंदे तरीके के शब्दों का इस्तेमाल करना घरेलू हिंसा के दायरे में आता है.

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इसके अलावा किसी भी तरह से किसी महिला का मनोवैज्ञानिक हो या फिर मौखिक या किसी भी तरह का यौन शोषण भी घरेलू हिंसा के तहत ही आता है. घरेलू हिंसा के बारे में महिला संरक्षण की धारा 2005 में बताया गया है. दरअसल, ये कानून साल 2005 में आया था. इसलिए इसमें 2005 जोड़ा गया है.

सवाल : क्या सिर्फ मारपीट करना ही इस एक्ट (Domestic Violence Act in Hindi) में शामिल है या फिर मानसिक प्रताड़ना भी?

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जवाब : घरेलू हिंसा में महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना करना इसमें शामिल है। महिला के साथ मारपीट की गई हो या फिर मानसिक तौर पर उसे प्रताड़ित किया गया हो, दोनों ही घरेलू हिंसा के तहत अपराध है। मानसिक हिंसा के तहत महिला को गाली-गलौज देना, उसे ताने मारते रहना, बच्चे या खाना बनाने को लेकर भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाना भी इसमें शामिल है। पैसे मांगने पर नहीं देना या पैसे छीन लेना भी इसी के तहत आता है।

सवाल : कई बार घरेलू हिंसा (Domestic Violence Act-2005) की शिकायत सबसे पहले पत्नी को घर से निकाल देता है ऐसे में इस डर से शिकायत नहीं कर पाते, तो क्या करें?

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जवाब : यह बात सही है कि घरेलू हिंसा के अधिकतर मामले में शिकायत करने या ऐसा महसूस होने पर ही पति या उसके घर वाले विवाहिता को घर से निकाल देते हैं। ऐसे में समाज में बदनामी के डर से महिलाएं शिकायत करने में कतराती हैं। लेकिन कानून बनाते समय पहले ही यह सोच लिया गया था कि ऐसा होगा। इसलिए कानून में यह प्रावधान रखा गया है कि विवाद के दौरान भी पत्नी को उसी घर में रहने का पूरा अधिकार है। किसी भी तरह से पति या अन्य कोई विवाहिता को घर से नहीं निकाल सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ पुलिस तुरंत एक्शन लेगी।

सवाल : मान लिया कि नियम के तहत घरेलू हिंसा (Domestic violence Act-2005) की शिकायत करने के बाद भी उसी घर में तो क्या फिर जान का खतरा नहीं बढ़ जाएगा?

जवाब : बिल्कुल। जान को खतरा हो सकता है। इसीलिए इसे भी ध्यान में रखते हुए कानून में यह है कि अगर विवाहिता उस घर में नहीं रहना चाहती और कोर्ट से सुरक्षित स्थान की मांग करती है, तो कोर्ट पति को महिला के लिए अलग जगह पर रहनेे का आदेश दे सकती है। इस तरह आप सुरक्षित रहेंगी।

सवाल : क्या घरेलू हिंसा (Domestic violence Act-2005) के तहत लिव-इन पार्टनरशिप में रहने वाली लड़की भी शिकायत कर सकती है?

जवाब : हां, शिकायत कर सकती हैं। इस कानून के तहत न सिर्फ शादीशुदा महिलाएं बल्कि लिव-इन-पार्टनर में रहने वाली अविवाहित लड़की भी शिकायत दर्ज करा सकती है। वह अपने पार्टनर के खिलाफ मारपीट करने, भावनाओं को ठेस पहुंचाने की भी शिकायत कर सकती है।

सवाल : मैं नौकरी करना चाहती हूं लेकिन परिवार व पति मना कर रहे हैं तो क्या इसकी शिकायत Domestic violence Act-2005 में कर सकती हूं?

जवाब : हां, बिल्कुल। दरअसल, घरेलू हिंसा (Domestic violence Act-2005) में केवल शारीरिक या मानसिक शोषण ही नहीं आता बल्कि किसी को नौकरी करने से रोकना भी शामिल है। यही नहीं, अगर आप नौकरी नहीं करना चाहती हैं और दबाव डालकर आपसे नौकरी या कोई काम कराया जा रहा है तो यह भी घरेलू हिंसा के तहत ही आता है। इसके लिए आप घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

सवाल : शिकायत करने पर क्या कोर्ट की तरह इसकी प्रक्रिया भी लंबी होती है? इसमें दोषी को कितनी सजा का प्रावधान है।

जवाब : नहीं, इसमेें कानूनी प्रक्रिया ज्यादा लंबी नहीं है। घरेलू हिंसा (Domestic violence Act-2005) के मामलों में 60 दिनों के भीतर ही फैसला देने का प्रावधान है, जिससे जल्द से जल्द न्याय मिल सके। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 1 साल की सजा और 20 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

सवाल : घरेलू हिंसा की शिकायत के लिए कोई हेल्पलाइन नंबर (domestic violence helpline number) है? किन नंबरों पर कर सकते हैं घरेलू हिंसा की शिकायतें?

जवाब : हां, बिल्कुल. घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic violence Act-2005) की शिकायत दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW Domestic violence Helpline number ने भी एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. वो नंबर है 7827170170. इस नंबर पर आप शिकायत कर सकती हैं. इसके अलावा 1091 और 1291 नंबर पर भी महिलाएं अपनी शिकायत दे सकती हैं.

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