जामताड़ा ने फिर किया कंगाल, JNU के प्रोफेसर को लगी 7 लाख की चपत
दिल्ली के एक प्रोफेसर ने पुलिस में शिकायत की है कि उन्हें कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव बनकर 7 लाख रुपये से अधिक का चूना लगा दिया है। पुलिस ने जब इस शिकायत को गहराई से खंगाला तो फरेब के तार जामताड़ा से जुड़ते मिले।
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![जामताड़ा ने फिर किया कंगाल, JNU के प्रोफेसर को लगी 7 लाख की चपत CrimeTak](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/crtak/images/story/202404/662f2c635d6db-jnu-professor-cyber-fraud-291303853-16x9.png?size=948:533)
Cyber Fraud with JNU Professor: क्या आप भी कभी कभी ट्रेन या फ्लाइट की टिकट बुक कराने के बाद उसे कैंसल भी करवाते हैं! अगर हां तो ये खबर जरूर पढ़ लीजिए, लुटने से बच जाएंगे। क्योंकि जिस कस्टमर केयर पर आप अपनी फ्लाइट कैंसल करवा रहे हैं, या टिकट रद्द करवाने की कोशिश में हैं, कहीं ऐसा न हो आप घर बैठे बिठाए ही लुट जाएं। असल में पुलिस को एक नहीं बल्कि 13 एक जैसी शिकायतें जब मिलीं तो एक्शन में पुलिस आई और जो राज खुला तो जामताड़ा गैंग और उसकी खौफनाक मॉडसऑपरेंडी सामने आ गई।
प्रोफेसर साहब का भोलापन
असल में पिछले साल 21 अक्टूबर को दिल्ली के वसंत कुंज के रहने वाले जे एन यू के प्रोफेसर उदय नाथ साहू ने एक शिकायत दर्ज करवाई थी। मिली शिकायत के मुताबिक प्रोफेसर साहब ने अपनी फ्लाइट की टिकट कैंसल करवाने के बाद रिफंड के लिए एयर एशिया का कस्टमरकेयर नंबर गूगल पर सर्च किया। यहां गूगल के पेज पर एक विज्ञापन नज़र आया जिसमें एक नंबर दिखाई पड़ रहा था। प्रोफेसर साहब ने फौरन उस नंबर को मिलाया, दूसरी तरफ से जिस शख्स ने फोन उठाया उसने खुद को कस्टमरकेयर सर्विस का एग्जीक्यूटिव बताया।
मददगार बनकर फेंका चारा
प्रोफेसर साहब ने फोन करने का अपना मकसद उसके सामने जाहिर कर दिया। उसने भी मदद करने का नाटक किया और फिर उसने प्रोफेसर साहब से एनी डेस्क एप्लीकेशन डाउनलोड करने की सलाह दी ताकि उनका काम आसानी से हो जाए। इसके बाद उस तरफ से प्रोफेसर साहब को ये कहकर एक लिंक भेजा, कि इस पर एसबीआई खाते का ब्योरा देने वाला एक प्रोफॉर्मा है, जिसे भरते ही आपके खाते में रिफंड की रकम भेज दी जाएगी।
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![JNU Professor Looted by Jamtara Gang](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/styles/medium_crop_simple/public/images/story/202404/jnu-1.png)
फिशिंग लिंक में फंसे प्रोफेसर गंवाए 7 लाख
प्रोफेसर साहब ने उस फिशिंग लिंक को जैसे ही क्लिक किया वो उस जालसाज के जाल में बुरी तरह जा फंसे। उसी लिंक से प्रोफेसार साहब ने अपना नेट बैंकिंग में लॉग इन भी कर दिया। इधर प्रोफेसर साहब अपने मोबाइल की स्क्रीन पर देख रहे थे और उधर वो झांसेबाज प्रोफेसर साहब के खाते से रकम निकाल रहा था। देखते ही देखते उसने खाते से 7, 32 हजार 510 रुपये की रकम निकाल ली।
मनी ट्रेल से पुलिस ने पता लगाया
जब तक प्रोफेसर साहब को होश आता तब तक तो वो लुट चुके थे। इसके बाद उन्होंने साइबर पुलिस स्टेशन पर जाकर केस दर्ज करवाया। पुलिस के पास ऐसे ही कई और शिकायतें भी मिली थीं लिहाजा पुलिस फौरन एक्टिव हुई और उसने मनी ट्रेल को ट्रैक करते हुए ये पता लगा लिया कि खाते से निकाली गई रकम कोलकाता, मुंबई, लुधियाना और वाराणसी के खातों में ट्रांसफर हुई है। सभी खातों को वैरिफाई किया गया। तो पता चला कि ये खाते कहीं और से ही चलाए जा रहे हैं।
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मास्टरमाइंड तक पहुँची पुलिस
जब पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस और सीडीआर के जरिए तफ्तीश को गहराई से करना शुरू किया तो पता चला कि ये सब कुछ झारखंड के जामताड़ा से ऑपरेट हो रहा है और इसका मास्टरमाइंड है रियाज अंसारी। तब पुलिस ने एक टीम बनाकर रियाज अंसारी के पीछे लगाई और उसे झारखंड के ही बरियापुर गांव से दबोच लिया। पूछताछ में उसने कबूल भी किया कि वो अपने भाई मुख्तार के साथ मिलकर कस्टमरकेयर सर्विस के बहाने लोगों को चूना लगाते रहे हैं। पुलिस अब उसके भाई की तलाश में है।
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