IPS Sanjay Arora: क्या AGMUT Cadre के अफसर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बनने के लायक नहीं है ?

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IPS Sanjay Arora New Commissioner of Police Delhi: आईपीएस संजय अरोड़ा {1988 बैच} तमिलनाडु कैडर के अधिकारी को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर तो बना दिया, लेकिन दिल्ली में तैनात तमाम सीनियर IPS अफसर अब ये कहने लगे कि क्या AGMUT Cadre {Arunachal Pradesh-Goa-Mizoram and Union Territory (AGMUT) cadre of Indian Administrative Service (IAS)/Indian Police Service (IPS)} से कोई भी ऐसा अफसर नहीं था, जिसे दिल्ली का नया सीपी लगाया जा सकता था।

हालांकि ये अधिकार पूरी तरह से गृह मंत्रालय का होता है, लेकिन अब इस पोस्टिंग को merit के साथ साथ political posting भी कहा जाने लगा है। हालांकि ये कोई पहली मर्तबा नहीं है, जब AGMUT Cadre के अधिकारी को दिल्ली का सीपी नहीं बनाया गया हो। इसके पहले अजय राज शर्मा से लेकर राकेश अस्थाना समेत ऐसे कई अफसर रहे हैं , जिन्हें सीपी बनाया गया था, जो AGMUT Cadre के अफसर नहीं थे।

जब राकेश अस्थाना को सीपी बनाया गया था, तब भी सवाल उठ रहा है कि जब AGMUT Cadre (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर) में पर्याप्त आईपीएस मौजूद हैं, तो गुजरात कैडर के अधिकारी को दिल्ली का पुलिस आयुक्त क्यों लगाया गया था ? इतना ही नहीं सवाल तब भी उठे थे, जब 1999 में अजय राज शर्मा को सीपी बनाया गया था, क्योंकि वो यूपी कैडर के अफसर थे।

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CONGRESS पार्टी रखती थी ध्यान ?

लेकिन बीजेपी सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दिल्ली में बाहर के कैडर के व्यक्ति की सीपी पद पर तैनाती हो, क्योंकि सरकार उसे ही सीपी बनाती है, जो उनका खास अफसर हो,साथ साथ वो विवादों से भी दूर रहा हो। अगर उसका TRACK RECORD अच्छा हो तो ये सोने पे सुहागा जैसी बात है। लेकिन कांग्रेस सरकारें अधिकांश इस बात का ध्यान रखती थी कि IPS अफसर की तैनाती उसी जगह हो, जिस कैडर का वो हो।

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यही वजह है कि जिन अफसरों के साथ विवाद जुड़ा वो दिल्ली के सीपी नहीं बन पाए, चाहे वो IPS जे के शर्मा हो, IPS DEEPAK MISHRA हो, IPS धर्मेंद्र कुमार हो या फिर किरण बेदी। आईपीएस अफसर ताज हसन {87 बैच} के अफसर हैं, जब कि आईपीएस अधिकारी एसबीके सिंह, Balaji Srivastava और Sundari Nanda ये सभी 88 बैच के अफसर हैं, लेकिन सरकार ने इन्हें मौका नहीं दिया। ये सभी AGMUT cadre के अधिकारी है।

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हालांकि ऐसा नहीं है कि अब जिस अफसर को सीपी बनाया गया है , वो काबिल नहीं है, लेकिन तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अफसर ही सरकार की पहली पंसद क्यों थी, ये सवाल जरूर है।

इस बारे मेें एक पूर्व आईपीएस अधिकारी का कहना है कि एक पैनल जाता है और उसमें से एक नाम तय होता कि कौन दिल्ली का सीपी होगा। ये काम गृह मंत्रालय करता है। उन्होंने कहा कि ये ठीक नहीं है कि कैडर के आईपीएस की नियुक्त शीर्ष पद पर न हो। ऐसे में पूरा महकमा डिमोटिवेटिड फील करेगा।

क्यों कैडर के व्यक्ति की नियुक्त उसी के कैडर में हो

इसके पीछे वो कहते हैं कि अगर कैडर के व्यक्ति की नियुक्ति उसी के कैडर मेें होगी तो वो पहले से वहां के लोगों को बेहतर तरीके से जानता है, इसका उसे फायदा मिलेगा। दूसरा, वो इलाके की समस्यों से वाकिफ हैं, साथ साथ वो इलाके के क्राइम ट्रेंड को भी समझता है, ऐसे में वो बेहतर विश्लेषण कर पाएगा, लेकिन सरकार के बैठे लोगों का कहना है कि इससे अधिकारी भ्रष्ट्र हो सकता है।

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