नाक पर मक्खी नही बैठने देते थे आजम खान, अब जेल तन्हाई बैरक में मच्छरों के बीच गुजर रहीं बेचैन रातें

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नाक पर मक्खी नही बैठने देते थे आजम खान, अब जेल तन्हाई बैरक में मच्छरों के बीच गुजर रहीं बेचैन रातें
अदालत का फैसला
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UP CRIME NEWS AZAM KHAN: यूपी के कद्दावर नेता आजम खान का दबदबा किसी से छुपा नहीं है। सपा की जब जब सरकार रही आजम की तूती बोलती थी। ये बात तो सभी जानते हैं कि आजम खान समाजवादी पार्टी में एक कद्दावर नेता हैं मगर इस वक़्त जेल में हैं। सीतापुर की जेल में आजम खान का हाल बेहाल है। जेल की बैरकें मच्छरों से लबरेज हैं। इन मच्छरों ने आजम को भी परेशान कर रखा है। कई रातें जाग कर कट रही हैं। सीतापुर जेल की दीवारें आजम खान से बाखूबी वाकिफ हैं इस बार भी आजम खान को जेल के पुराने वाले तन्हाई बैरेक में ही रखा गया है। 

जेल के बैरक में मच्छरों से परेशान आजम खान

18 अक्टूबर को रामपुर की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के पांच साल पुराने मामले में बुधवार को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई थी। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट शोभित बंसल की अदालत ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के 2019 के मामले में आजम खान, तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराया और अधिकतम सात साल की सजा सुनाई थी।

फर्जी जन्मतिथि प्रमाणपत्र में सजा

दर्ज करायी गई एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे के दो फर्जी जन्मतिथि प्रमाणपत्र प्राप्त किए। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने इसमें से एक जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ से और दूसरा रामपुर से प्राप्त किया गया था। आरोप पत्र के अनुसार, रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी एक जन्म प्रमाणपत्र में, अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 बताई गई थी। इसके अनुसार दूसरे प्रमाणपत्र के अनुसार उनका जन्म 30 सितंबर, 1990 को लखनऊ में हुआ था।

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तजीन रामपुर, अब्दुल्ला हरदोई और आजम सीतापुर जेल

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले अब्दुल्ला आजम को 2008 के एक मामले में दोषी ठहराते हुए गत फरवरी में मुरादाबाद की एक अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी। दोषसिद्धि और सजा के दो दिन बाद, अब्दुल्ला आजम को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अब्दुल्ला आज़म ने सजा पर रोक के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया जहां उनकी याचिका अस्वीकार कर दी गई थी।

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