महाभारत काल में भीम ने जिस राक्षस को मारा था वो आज भी इस कुएं से मांगता है इंसान की बलि

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Horror Story in Hindi : ख़ौफ़ की ये कहानी उस कुएं से. सदियों पुराने अंधे कुएं से. जिसका न ही तो अब इस्तेमाल होता है और न ही कोई उसके पास जाता है. वजह है उस कुएं से निकलने वाली अजीबोगरीब आवाज़ें. जिन्हें कोई भी सुन सकता है. और ये आवाजें हर अमावस्या को आतीं हैं. बेहद ही ख़ौफ़नाक आवाज़ें. मगर वो आवाज़ जो मांगती है उसे पूरा करना तक़रीबन असंभव है.

ये कुआं ख़ौफ़नाक इस मायने में है क्योंकि ये बोलता भी है. ना सिर्फ बोलता है बल्कि चीख़ता भी है. और मांगता भी है. ये मांगता भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि इंसानी बलि मांगता है.. घर के बड़े बेटे और बहू की बलि. कहते हैं कि यहां एक शैतान क़ैद है...जिसे हज़ारों साल पहले महाबलि भीम ने क़ैद किया था. इस कुएं की आखिर क्या है हॉरर कहानी. क्या ये सच है या फिर सिर्फ डर. जानिए क्राइम की हॉरर कहानी (Horror Story in Hindi) में.

Horror Kahani : कुआं..जो सरेआम चीख़ता है. इटावा से क़रीब 40 किमी दूर है एक क़स्बा. उसका नाम है चकरनगर. एक पुरानी रियासत. वो रियासत जिसने कभी अंग्रेज़ों को ख़ून के आंसू रुलाए थे. जूदेव राजवंश के अधीन रही ये गौरवशाली रियासत अब भले ही खंडहरों में तब्दील हो गई है. मगर इतिहास अगर दमदार रहा हो तो वो बदहाली में भी अपने तेवर नहीं खोता. वक़्त के हर दौर के साथ वो जीता रहता है. और साथ ही ज़िंदा रहती हैं उससे जुड़ी चंद दास्तानें. ऐसी ही एक दास्तान इस कुएं से निकलती है.

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जी हां, इस खंड़हर हो चुके इस कुंए से. अगर इस कुएं को आप बेजान समझ रहे हों तो हम आपको बता दें कि ये कुआं बोलता है. और सिर्फ़ बोलता ही नहीं चीख़ता भी है. इस कुएं का ताल्लुक महाभारत काल के पांडवों से है. तब चकरपुर का नाम हुआ करता था चक्रनगरी. राजा विराट की राजधानी. कहते हैं कि यहां एक राक्षस था जो हर रोज़ एक घर से बलि मांगता था. जब ये बात पांडवो को पता चली तो भीम ने उसको ललकारा और उसका वध किया.

यहां के लोग भी कहते हैं कि...

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यहां पर एक राक्षस था वक्रासुर. भीम ने मारा और उसको कुएं में डाल दिया. इसके बाद कुएं को उस समय बंद कर दिया गया था. और तब से वो शैतान इस कुएं में क़ैद है. अब उसे बाहर आकर आज़ाद होने के लिए एक और इंसानी बलि चाहिए. शायद इसीलिए वो कभी बचाओ बचाओ की गुहार लगाता है. कई बार वो कहता है कि मुझे बाहर निकाल दो मेरे पास खूब सोना है. उसी सोने से मैं तौल दूंगा. कुछ ऐसे झांसे भी वो देता है. ये बातें हमारे आपके लिए महज़ सुना सुनाया क़िस्सा हो सकता हैं. बेपढ़े लिखे लोगों के दिमाग़ की उपज हो सकती हैं. मगर ये गांव में सब अनपढ़ ही हों. ऐसा भी नहीं है. इसलिए ये कयास भी पूरी तरह सही नहीं है.

इस बारे में गांव की एक टीचर कहती हैं..

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यहां पर एक राक्षस मारा गया...विश्वास करना ही पड़ता है. कुओं से निकलने वाली चीख़ों का सच जानना कोई चाहता है तो दीपावली की अमावस्या पर यहां आकर परख सकता है. उस दिन इस कुएं से निकलने वाली चीख़ें कलेजा चीर कर रख देती हैं. और कहते हैं कि जो इन चीख़ों से निपटना सीख गया तो ख़ज़ाना उसी का होगा. कई लोग ये आवाज सुन चुके हैं.

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Horror kahani hindi Me : वाकई ये रहस्य है एक ख़स्ताहाल हो चुके कुएं से क्या वाकई में ख़तरनाक आवाज़ें आती हैं. क्या वाकई में वो डरावनी चीख़ें निकलती हैं. कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि ये सारा तिलिस्म उस बेशुमार दौलत का है जो इस क़िले में या फिर शायद इस कुएं में ही कहीं दफ़न है. कोशिशें बहुत हुईं इस दौलत को हासिल करने की मगर अंजाम हादसों की शक्ल में सामने आया.

इस कुएं के आसपास कोई चरवाहा या दूसरा भी मजबूरी में गुजरता है तो हाथ में कुल्हाड़ी या कोई हथियार जरूर ले लेता है. ताकी उसके मन में कोई खौफ नहीं आए. यहां की एक घटना का लोग जिक्र भी करते हैं. घटना कुछ अरसा पुरानी है. गांव के कुछ लोगों को किसी ज़रुरी काम से इसी जंगल के रास्ते से गुज़रना पड़ा. बातचीत में गप्पों का दौर जारी ही था कि अचानक माहौल की शांति को किसी चीख़ ने चीर कर रख दिया.

शक़ की कोई गुंजाइश ही नहीं थी क्योंकि चीख़ सबने सुनी थी. लोगों ने सोचा कि कहीं कोई किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया. लिहाज़ा, उस इलाक़े से दूर रहने की सारी चेतावनियों का दरकिनार करते हुए वो चीख़ की दिशा में आगे बढे. मगर जैसे ही कुएं के पास पहुंचे तो ऐसा लगा कि कोई उन्हें जबरन अंदर खींच रहा है और इससे पहले कि वो होश खोते वहां से जान बचाकर भागना ही बेहतर समझा

कुएं से निकलने वाली चीखें जितनी रहस्यमय हैं उससे कहीं ज़्यादा डरावनी हैं. लोग बताते हैं कि कुएं में क़ैद दानव बलि मांगता है. इसके बदले में वो तरह तरह के झांसे देता हैं. इंसान को सोने चांदी में तौल देने का वादा करता है. अकूत संपत्ति का मालिक बना देने की बात कहता है. मगर उस बेशक़ीमती ख़ज़ाने को पाने के बदले में वो जो मांगता है उसे पूरा करने की हिम्मत भला किसमें होगी.

वो इसके बदले घर के बड़े बेटे और बहू की बलि मांगता है. ज़ाहिर है कौन अपने घर के चिराग़ और घर की इज़्ज़त उस शैतान के हवाले करना चाहेगा. हर अमावस्या और ख़ासकर दीवापली की अमावस्या पर तो यहां चीख़ें साफ़ सुनाई देती हैं.

इस गांव के लोगों को हमेशा ये डर सताता है कि अगर किसी ने ग़लती से भी उस दैत्य की मांग पूरी कर दी तो कहीं वो फिर आज़ाद न हो जाए. हांलाकि ये डर अभी तक एक वहम ही साबित हुआ है क्योंकि इस पूरे इलाक़े में ऐसा कोई भी इंसान हमें नहीं मिला जिसे उसे कुएं या क़िले से कोई नुकसान पहुंचा हो.

ताज्जुब भी यही है जब आजतक किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ तो डर किस बात का. कहा जाता है कि ये इलाका एक प्राचीन नगरी था. ये भगवान कृष्ण की कर्मस्थली भी थी और तमाम ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी. लोग कहते हैं कि यहां आज भी कई दिव्य आत्माएं वास करती हैं और यहां तमाम अजीबोगरीब घटनाएं इसीलिए घटती हैं कि लोग यहां से दूर रहें. यहां की शांति भंग न करें. मगर ऐसी घटनाओं को विश्वास मानें या अंधविश्वास.

Horror Kahani : भले ही तमाम लोग उस कुएं से निकलने वाली चीख़ों की गवाही देते हों मगर कहीं ऐसा तो नहीं इस कहानी को जानबूझकर फैलाया गया हो. चूंकि क़िस्सा बीहड़ों का है और इन बीहड़ों और डाकुओं का पुराना रिश्ता रहा है..तो कहीं ऐसा तो नहीं कि ये खंडहर डाकुओं का आशियाना हो और लोग इनसे दूर रहें इसीलिए ऐसे क़िस्सों को हवा दी जाती हो. बहरहाल वजह कुछ भी हो. आदिकाल का वो दानव आज भी यहां ज़िंदा है. सच्चाई में ना सही पर क़िस्सों में तो वो जिंदा ही है. ना सिर्फ जिंदा बल्कि उसका खौफ आज भी है.

आज ये पूरा इलाक़ा उस क़िले के कुंए में क़ैद शैतान के क़िस्सों कहानियों के बीच जीता है. गांव के बड़े बुज़ुर्ग यही सलाह देते हैं कि उस इलाक़े में जाना मौत को दावत देना है. मगर ताज्जुब ये है कि उस शैतान ने किसी की जान ली हो. ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया. जब हमने ये जानना चाहा कि कहीं अंधविश्वास ही तो इन ख़ौफ़नाक किस्सों को हवा नहीं दे रहा..तो लोगों के पास इसकी दलील भी मौजूद थी...

ये सही है कि इस पूरे इलाक़े का ज़िक्र पुरातन ग्रंथों में भी मिलता है...बकासुर दैत्य और भीम के युद्ध का भी उल्लेख मिलता है. मगर क्या सिर्फ़ इसी बिनाह पर इस ख़ौफ़ को पाले रखना औऱ हर अगली पीढ़ी तक पहुंचाना जायज़ है. मगर किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले सबसे बड़ी दिक्क़त ये थी अगर सब अंधविश्वास है तो फिर क्या यहां से जुड़े चश्मदीदों के हैरतअंगेज़ अनुभवों को सिरे से नकार दिया जाए.

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