KEJRIWAL VS LG: क्यों शराब नीति को लेकर केजरीवाल और LG आमने-सामने ?

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WHAT IS NEW EXCISE POLICY OF DELHI ? दिल्ली में शराब की नई नीति को लेकर इतना हंगामा क्यों बरपा है ? क्या वाकई कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया ? क्या TENDERING PROCESS में धांधलेबाजी हुई ? क्या कुछ कंपनियों की लाइसेंस फीस माफ की गई ? क्या सरकार नेअपने हिसाब से नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया ? क्या है सच ? बताते है आपको ?

पहले ये समझिए कि शराब बनाने से लेकर आखिरी उपभोक्ता तक टोटल प्रक्रिया क्या है। इसको चार चरणों में विभाजित किया गया है। पहला शराब का प्रोडेक्शन करने वाले(शराब को बनाने वाले), शराब को बेचने वाले (बड़ी बड़ी कंपनियां जैसे कोई एक शराब की बड़ी कंपनी है 100 PIPER,ROYAL STAG आदि), शराब खरीदने वाले (ठेके वाले, जिन्हें सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त होता है और वो शराब को दुकानों पर बेचते हैं और टेक्स देते है) और शराब पीने वाले (आम उपभोक्ता) सब पर सरकार का डायरेक्ट या INDIRECT नियंत्रण होता है। सरकार को आम उपभोक्ता से टैक्स मिलता है, जिस वजह से उनके राजस्व में बढ़ोतरी होती है।

पहले दिल्ली में सरकार जनता के पैसे से शराब खरीद कर उसे जनता को ही बेचती थी और मुनाफा कमा कर राजस्व बढ़ाती थी और बाद में उसे जनता के ही कल्याण में लगाती थी, लेकिन अब ये सिलसिला खत्म हो गया है। अब निजी हाथों में शराब की दुकानें चल गई है। यानी अब ठेकेदार एक लाइसेंस फीस सरकार को देता है। कुछ औपचारिकताएं करता है। जगह किराए पर लेता है। उसका किराया भरता है। अंदर डेकोरेशन में पैसा लगाता है। शराब खरीदता है और इस पर टैक्स सरकार को देता है। अब दिल्ली में नई आबकारी नीति लागू है।

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दिल्‍ली की आबकारी नीति 2021-22 क्‍या है? नई आबकारी नीति के जरिए KEJRIWAL सरकार शराब खरीदने का अनुभव बदलना चाहती थी। नई पॉलिसी में होटलों के बार, क्‍लब्‍स और रेस्‍टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई व छत समेत किसी भी जगह शराब परोसने की परमिशन दी गई।

दिल्ली में शराब की नई नीति क्या है?

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इस नीति के तहत पूरे दिल्ली में 849 ठेके खोलने की अनुमति दी गई है, जिनमें से 552 खुल चुकी है। दिल्ली सरकार ने पिछले साल 17 नवंबर को नई आबकारी नीति लागू की, इस नीति के तहत पूरे शहर में शराब की 849 दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है, जिनमें से 28 जनवरी तक 552 शराब की दुकानें खोली जा चुकी हैं। हालांकि कुछ दुकानें बंद भी हो चुकी है। दिल्ली मेंअलग अलग catagory के लाइसेंस दिल्ली में मिलते है।

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नई आबकारी नीति

दिल्ली सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, जो 17 नवंबर 2021 से लागू हुई थी। नई आबकारी नीति से प्रत्‍येक वार्ड में तीन से चार शराब की दुकानें खोली गई। पहले 272 वार्ड में 79 ऐसे वार्ड थे, जहां एक भी शराब की दुकानें नहीं थीं। वहीं 45 वार्ड ऐसे थे, जहां एक से दो दुकानें ही थीं। केवल आठ फीसदी वार्ड ऐसे थे, जहां पर छह से 10 शराब की दुकानें थीं।

नई नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बांटा गया, जिसके लिए 849 लाइसेंस आवंटित किए गए। इस तरह प्रत्‍येक जोन में औसतन 26 से 27 शराब की दुकानें खोले जाने की योजना थी। एक जोन में आठ से नौ वार्ड शामिल किए गए। अभी तक 60 फीसदी दुकानें सरकारी और 40 फीसदी निजी हाथों में थीं, अब 100 फीसदी निजी हाथों में हैं।

नई आबकारी नीति में और भी बदलाव

- दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र सीमा 25 वर्ष से घटकर 21 वर्ष कर दी गई है।

- अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर संचालित स्वंतत्र दुकान और होटलों में 24 घंटे शराब की बिक्री हो रही है।

- शराब की दुकानों का साइज बढ़ा दिया गया है। पहले ज्‍यादातर दुकानें 150 वर्गफीट होती थीं, अब कम से कम 500 वर्ग फीट में दुकानें खुली हैं।

- लाइसेंस धारक मोबाइल एप या वेबसाइट के माध्यम से ऑर्डर लेकर शराब की होम डिलीवरी कर सकते हैं।

- किसी छात्रावास, कार्यालय या संस्थान में शराब की डिलीवरी करने की इजाजत नहीं दी गई।

कहते है कि नई आबकारी नीति को इसलिए लाया गया, क्योंकि सरकार शराब की काला बाजारी खत्म करना चाहती थी।

TENDERING PROCESS

कोई भी शख्स open टेंडर के जरिए शराब का ठेके का लाइसेंस प्राप्त कर सकता है। इसके लिए उसे तमाम formalities को पूरा करना होता है। लाइसेंस फीस जमा करनी होती है। बड़े बड़े प्लेयरर्स अलग अलग नामों से ठेके हासिल कर लेते है। कई बार ये भी देखने में आया है कि जो टेंडर में जितने ठेकेदार शामिल होते है, उनकी आपस में ही मिलीभगत होती है। ताकि घूम फिर कर लाइसेंस उन्हीं के लोगों को मिले। ये भी आरोप लगा है कि बड़ी बड़ी कुछ कंपनियां ही अब टेंडर लेती है और शराब बेचती है।

LG के आरोप, शराब कंपनियां के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए, पर क्यों ? क्या सरकार किसी प्रोविजन के तहत ऐसे लाइसेंस फीस माफ कर सकती है ?

दिल्ली के LG विजय कुमार सक्सेना ने एक आदेश जारी किया। सीबीआई जांच की सिफारिश की गई। एलजी ने ये कदम मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद उठाया। आरोप है लाइसेंस लेने वालों को अवैध तौर पर फायदा पहुंचाया गया है। सबसे बड़ा आरोप ये है कि जब कोरोना की वजह से कारोबार बंद हो रहे थे, लोग शहर छोड़कर जा रहे थे तब दिल्ली सरकार ने लोगों की आर्थिक मदद नहीं की। रिश्वत-कमीशन के बदले 144 करोड़ से ज्यादा की लाइसेंस फीस माफ कर दी। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा। सवाल ये भी है कि 144 करोड़ रुपए किन किन कंपनियां का बकाया था, जो उन्हें सरकार को देना था।

बीजेपी के आरोप, हमारे सवाल

मंगूटा, खाऊ गली, INDO-SPIRIT शराब की कंपनियों का CARTEL

1. 144 करोड़ का फायदा कराया शराब कारोबारियों को - कौन कौन सी ऐसी कंपनियां है ?, जिसको फायदा पहुंचाया गया। इसकी गहनता से तहकीकात होनी चाहिए। क्या सरकार ये फैसला ले सकती है ? क्या सरकार की मंशा राजस्व घटाने की थी ?

2. ब्लैकलिस्टेड कंपनी को ठेका दिया गया। ब्लैक लिस्टिड कंपनी खाऊ गली को 2 जोन में क्यों ठेके दिए गए ? क्या ये सच है ? क्यों ब्लैक लिस्टिड है ये कंपनी ?

3. बीजेपी का आरोप दिल्ली में LIQUOR CARTEL चल रहा है। माफिया चला रहा है। मंगूटा, खाऊ गली, INDO-SPIRIT शराब की कंपनियों का CARTEL। इस आरोप की भी जांच होनी चाहिए।

4. ये कंपनी कौन सी है ? बीजेपी नेता लेखी ने कहा कि, L1 के टेंडर से पहले कुछ अर्नेस्ट मनी डिपोजिट करनी पड़ती है। एक कंपनी ने 30 करोड़ रुपये अर्नेस्ट मनी डिपोजिट की। अगर टेंडर वो कंपनी नहीं लेती है तो ये पैसा जब्त हो जाता है, लेकिन एक कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। उसके पैसे वापस किए गए।

5. किस आधार पर विदेशी शराब पर 50 रुपए की छूट दी गई ? क्या सरकार इस तरह से विदेशी शराब पर पैसे माफ कर सकती है ? ये फैसला क्यों लिया गया ? इसके पीछे क्या मंशा ?

अब सरकार पर आरोप लग रहा है कि लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। सवाल ये उठता है कि किस तरह से नियमों की अनदेखी की गई? क्या ये सच है या नहीं ? ये भी आरोप लग रहा है कि कुछ शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया ? क्या उनकी लाइसेंस फीस माफ की गई ? क्या सरकार इस तरह से फीस माफ कर सकती है ? शराब कंपनियों की क्या सरकार से सैंटिग चल रही थी ?

दरअसल, अब एजेंसी इस मामले की जांच करेगी और सच का पता लगाएगी। इस बीच केजरीवाल सरकार कोर्ट का रुख भी अख्तियार करेगी।

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