Shraddha Case: श्रद्धा के 'सीक्रेट फ्रेंड' के चलते हो गया उसका क़त्ल, चार्जशीट में चौंकाने वाला ख़ुलासा!

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Shraddha Murder Case: 17 मई 2022 की रात श्रद्धा (Shraddha) अपने एक दोस्त (Friend) से मिलने छतरपुर पहाड़ी के इस घर से गुरुग्राम (Gurugram) गई थी। 17 मई की पूरी रात (Night) वो गुरुग्राम में ही थी। 18 मई को जब वो वापस घर लौटी, तब आफताब घर में ही मौजूद था। गुरुग्राम में रहनेवाले श्रद्धा के दोस्त के बारे में उसे सबकुछ मालूम था।

पूरी रात दोस्त के साथ रहने पर वो श्रद्धा से झगडा करने लगा। उसे ये पसंद नहीं था कि श्रद्धा किसी और दोस्त के साथ रहे। इसी बात को लेकर 18 मई को आफताब और श्रद्धा के बीच झगड़ा हुआ। और इसी झगडे के दौरान आफताब ने श्रद्धा का गला घोंट कर उसे मार डाला। यानी आफताब ने श्रद्धा का कत्ल अचानक किया।

कत्ल का मकसद ये था कि वो श्रद्धा के किसी भी दोस्त को बर्दाश्त नहीं कर सकता था। महज 75 दिन के अंदर श्रद्धा मर्डर केस में दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को अदालत में करीब 6 हजार पन्नों की जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें कत्ल का मकसद यही लिखा है। और खुद ज्वाइंट सीपी ने भी कत्ल का मोटिव एक प्रेस कांफ्रेंस में यही बताया।

यानी चार्जशीट ने एक तरह से श्रद्धा के कत्ल की वजह को लेकर अब तक जो तमाम बातें सामने आ रही थी, उस पर विराम लगा दिया है। अब तक ये कहा जा रहा था कि आफताब श्रद्धा से पीछा छुडाना चाहता था, वो उससे शादी नहीं करना चाहता था। बल्कि यहां तक कहा गया कि खुद श्रद्धा आफताब को छोडना चाहती थी और इसी वजह से श्रद्धा का कत्ल हुआ। लेकिन चार्जशीट के जरिए अब पहली बार श्रद्धा के कत्ल की असली वजह सामने आई है।

चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने श्रद्धा के कत्ल के लिए आफताब को इकलौता आरोपी बनाया है। यानी श्रद्धा के कत्ल की साजिश में कोई और शामिल नहीं है। श्रद्धा के कत्ल से लेकर लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाने का काम आफताब ने अकेले ही किया। आफताब ने श्रद्धा का कत्ल और लाश के टुकडे करने के लिए कई हथियारों का इस्तेमाल किया था। चार्जशीट के मुताबिक इनमें से कई हथियार अब तक नहीं मिले हैं।

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चार्जशीट के मुताबिक आफताब के खिलाफ एक मजबूत केस तैयार करने के लिए पुलिस ने तमाम पहलू से ना सिर्फ मामले की जांच की, बल्कि हर छोटे बडे सबूत भी इकट्ठा किए। साइंटिफिक मैथड के तहत खून, हड्डियां, डीएनए टेस्ट, पॉलीग्राफ, नार्को, लेयर्ड वॉयस, वॉयस स्पेक्टोग्राफ जैसे तमाम किए गए। कुछ एडवांस्ड टेस्ट के लिए नमूनो को हैदराबाद के लैब भी भेजा गया।

साइंटिफिक जांच के अलावा केस को मजबूत करने के लिए तमाम डिटिजल एविडेंस भी हासिल किए गए। इनमें आफताब और श्रद्धा का मोबाइल फोन, लैप टॉप, डेटिंग एप, सोशल मीडिया के तमाम एकाउंट और यहां तक कि जीपीएस लोकेशन को भी टैक किया गया।  साइंटिफिक और डिजिटल एविडेंस के अलावा केस की कड़ियों को जोड़ने के लिए सीसीटीवी कैमरों से बरामद फुटेज को भी चार्जशीट में एक अहम सबूत के तौर पर पेश किया गया।

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चार्जशीट के मुताबिक श्रद्धा मर्डर केस की तफ्तीश के लिए नौ अलग-अलग टीमें बनाने के अलावा एसआईटी का भी गठन किया गया था। केस से जुडे सबूत हासिल करने के लिए दिल्ली और गुरुग्राम के अलावा, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा उत्तराखंड और महाराष्ट् भी टीमें भेजी गईं। आफताब ने श्रद्धा से जुड़े कुछ सबूत महाराष्ट्र में छुपाए थे।

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चार्जशीट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि श्रद्धा के कत्ल की जानकारी, कत्ल होने के करीब छह महीने बाद पुलिस को मिली थी। इस दौरान श्रद्धा की लाश के टुकडे कर आफताब उन्हें अलग-अलग जगहों पर फेंक चुका था। चार्जशीट के मुताबिक उसने लाश के ज्यादातर टुकडे छतरपुर में महरौली के जंगलों में ही ठिकाने लगाए थे।

आफताब की निशानदेही पर महरौली के जंगल से ही श्रद्धा की लाश के कुछ टुकडे मिले, जो डीएनए में श्रद्धा के पिता से मैच कर गए थे। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि इस कत्ल से जुडे तमाम सबूत उसके पास हैं। खास तौर पर साइंटिफिक और टेक्नीकल एविडेंस भी दिल्ली पुलिस की थ्योरी को सपोर्ट करते हैं।

इसलिए पुलिस को उम्मीद है कि इस केस में आफताब को वो अदालत से सख्त से सख्त सजा दिलवाएगी। टायल शुरू होने पर दिल्ली पुलिस पैरवी के लिए बाकायदा वकीलों की एक स्पेशल टीम की तैनाती की भी कोशिश कर रही है।

चार्जशीट में तमाम सबूतों के अलावा 150 लोगों के बयान दर्ज किए जाने का भी जिक्र है। इनमें बाकी लोगों के अलावा श्रद्धा और आफताब के परिवार के लोग भी शामिल हैं। अदालत में चार्जशीट दाखिल करते वक्त आफताब तिहाड जेल से वीडियो कांफेंसिंग के जरिए सारी कार्रवाई को देख रहा था।

आफताब ने अदालत से ये पूछा कि चार्जशीट की पूरी कॉपी उसे कब तक मिलेगी? इतना ही नहीं उसने अदालत से ये भी कहा कि वो अपना वकील बदलनेवाला है। लिहाजा, चार्जशीट की कॉपी उसके पुराने वकील को ना दी जाए। इस चार्जशीट पर अब अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।

दिल्ली पुलिस ने बेशक 75 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी हो, मगर क्या इस केस की सुनवाई फास्ट टैक कोर्ट के जरिए होगी, ये अभी साफ नहीं है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने बार-बार ये कहा है कि उसकी कोशिश यही होगी कि मुकदमे की सुनवाई फास्ट टैक कोर्ट में हो। ताकि जल्द से जल्द फैसला हो सके।

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