Bageshwardham Sarkar: कौन है बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री? क्यों आजकल चर्चा में है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री?

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Bageshwardham Sarkar: आजकल मध्य प्रदेश के छतरपुर का बागेश्वर धाम सुर्खियों में है। बागेश्वर धाम इन दिनों देश और दुनिया में बहुचर्चित होता जा रहा है। इसके पीछे वजह है यहां के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा आयोजित होने वाली श्रीराम कथा और दिव्य चमत्कारी दरबार। धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जगह-जगर जाकर श्रीराम कथा के साथ अपना दिव्य चमत्कारी दरबार लगाते हैं। अब क्या वाकई इसमें चमत्कार होता है? इसको लेकर अलग-अलग राय है।

सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं धीरेंद्र कृष्ण महाराज

बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण महाराज के कई वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल है। ऐसी मान्यता है कि धीरेंद्र कृष्ण के पास जो भी जाता है, उसकी तमाम समस्याओं का समाधान हो जाता है। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि कोई किसी के बारे में इतना कैसे बता सकता है? धीरेंद्र कृष्ण के भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लाखों प्रशंसक है। उनके YOU TUBE पर ही 35 लाख से ज्यादा subscribers हैं। फेसबुक पर उनके 26 लाख फोलोवर्स हैं।

एक संस्था कर रही है विरोध!

एक संस्था, जिसका नाम अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति है, उसने धीरेंद्र शास्त्री का विरोध किया है। अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने कहा है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जादू-टोने और अंधश्रद्धा फ़ैला रहे हैं। दूसरी ओर, धीरेंद्र कृष्ण ने कहा, 'हम तो बाबा जी (बागेश्वर बालाजी) की सेवा करते हैं।' हाल ही में 'श्रीराम चरित्र-चर्चा' महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित हुई थी।

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कौन है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ?

Bageshwar Dham Sarkar: धीरेंद्र कृष्ण के दादा भगवान दास गर्ग पहले दिव्य दरबार लगाते थे। वे निर्मोही अखाड़े से जुड़े थे। उनकी मौत के बाद धीरेंद्र भी छतरपुर के गांव गड़ा में बालाजी हनुमान मंदिर के पास दिव्य दरबार लगाने लगे।

बागेश्वर धाम एमपी में एक धार्मिक तीर्थ स्थल है। यहां भगवान बाला जी बागेश्वर धाम (हनुमान मंदिर) में विराजमान है। धीरेंद्र शास्त्री भगवद् महापुराण के कथावाचक है। उनका जन्म 4 जुलाई 1996 को हुआ था। वो गांव गढ़ा में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम राम करपाल गर्ग है। उनकी माता का नाम सरोज गर्ग है। उन्होंने अपने दादा भगवान दास गर्ग से ही दीक्षा ली। धीरेंद्र कक्षा 12 वीं तक पढ़े हैं। इसके बाद वो कथावाचक बन गए।

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