मुंबई से अंडरवर्ल्ड डॉन रवि पुजारी को खदेड़ने वाले पुलिस अफसर को NIA की कमान
Hero of 26/11 terror attack: मुंबई एटीएस के दो साल से चीफ रहे सदानंद वसंत दाते को अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए का नया प्रमुख बनाया गया है।
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Police hero new NIA Chief: सदानंद वसंत दाते। ये नाम है उस जांबाज पुलिस अफसर का जिसके आगे आतंकी भी थर थर कांपने लगते हैं। जिसका नाम सुनकर अंडरवर्ल्ड डॉन भी अंडरग्राउंड होने में ही अपनी गनीमत समझते हैं। IPS बिरादरी में ये कहावत है कि अगर कोई भी मुश्किल टास्क सदानंद वसंत दाते को सौंपा जाता है तो उसकी 100 गारंटी पूरा होने की हो जाती है। ये नाम एक बार फिर कामयाबी की बुलंदी पर छाया और एक बार फिर इस नाम को सुर्खियों में अहमियत मिली है क्योंकि सदानंद वसंत दाते को अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी नेशनल इंटेलिजेंस एंजेंसी यानी NIA के डायरेक्टर जनरल (DG) पद की जिम्मेदारी सौंपी है।
31 दिसंबर 2016 तक संभालेंगे पोस्ट
कुछ अरसा पहले तक महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड की जिम्मेदारी संभाल रहे सदानंद वसंत दाते अब एनआईए में डीजी दिनकर गुप्ता की जगह लेंगे। उनके कंधों पर ये जिम्मेदारी 31 दिसंबर 2016 तक रहेगी। बेहद गरीबी के दिनों में लोगों के घरों में अखबार बांटकर अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले सदानंद वसंत दाते को दो बार राष्ट्रपति का वीरता पुरस्कार मिल चुका है। सदानंद वसंत दाते यूं तो आमतौर पर लाइमलाइट से दूर रहते हैं लेकिन लाइट कैमरा एक्शन की दुनिया वालों के लिए ये नाम राहत का नाम भी कहलाता है। कम से कम मुंबई में तो। उसकी एक नहीं कई वजह हैं-
अंडरवर्ल्ड डॉन को खदेड़ा था मुंबई से
कई साल पहले जब सदानंद दाते मुंबई में बतौर क्राइम ब्रांच चीफ थे तब इन्होंने ऐसा ऑपरेशन चलाया था कि अंडरवर्ल्ड सरगना रवि पुजारी ने अपना बोरिया बिस्तरा समेटकर विदेश में जाकर पनाह ले ली थी। ये सदानंद दाते के दिमाग की ही उपज थी कि मुंबई से वसूली रैकेट और अंडरवर्ल्ड के खौफ खत्म करके उल्टा उनके भीतर ही दहशत पैदा कर दी जाए ताकि मुंबई साफ हो सके।
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फिल्मों से मिलता जुलता किरदार
सदानंद दाते पुणे के रहने वाले हैं और वहीं के पुणे विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।बॉलीवुड इंडस्ट्री ने सदानंद दाते के किरदार के इर्द गिर्द कई फिल्मों भी बनाईं। जिनमें किसी बहादुर पुलिस अफसर की दिलेरी और जांबाजी की कहानी के साथ साथ अंडरवर्ल्ड में उस अफसर की दहशत फैलाने वाले किस्सों को मुख्य किरदार बनाया।
मुंबई को दिलाई डॉन से राहत
मुंबई के साथ साथ अंडरवर्ल्ड की खबरों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को याद होगा कि मुंबई में फिल्म निर्माता करीम मोरानी के घर पर रवि पुजारी ने फायरिंग करवाकर दहशत फैलाने की कोशिश की थी। इसके अलावा उसी दौरान बॉलीवुड के बादशाह यानी शाहरुख खान के दफ्तर पर डॉन के फोन की घंटी बजने से दहशत फैलने लगी थी। इसके अलावा रवि पुजारी ने ही मशहूर निर्माता महेश भट्ट की हत्या की साजिश रची थी। लेकिन जब ये बातें मुंबई क्राइम ब्रांच के चीफ सदानंद वसंत दाते के पास तक पहुँची तो उन्होंने क्राइम ब्रांच को एक ही काम पर लगा दिया था। और वो काम था कुछ भी हो जाए मुंबई से अंडरवर्ल्ड का नामों निशान मिट जाना चाहिए। सदानंद दाते के चलाए गए उस मिशन का नतीजा ये हुआ था कि कुछ ही दिनों में मुंबई से रवि पुजारी और उसके जैसे तमाम अंडरवर्ल्ड सरगनाओं ने मुंबई से भागने में ही भलाई समझी थी।
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रवि पुजारी का पक्का दुश्मन
कहते हैं कि रवि पुजारी ने मुंबई से भागकर पहले बेंगलुरू और फिर कर्नाटक के तटीय शहर मैंगलोर में अपना ठिकाना बना लिया था। लेकिन जब रवि पुजारी को ये डर सताने लगा कि अगर गलती से भी वो या उसके साथी सदानंद के हत्थे चढ़ गए तो जिंदा बचना करीब करीब नामुमकिन हो जाएगा। लिहाजा रवि पुजारी ने अपना ठिकाना ऑस्ट्रेलिया बना लिया था। तीन साल पहले रवि पुजारी को सेनेगल से भारत डिपोर्ट किया गया था। और इस मिशन में सारा चक्रव्यूह सदानंद दाते ने ही रचा था।
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ISI के जासूस को दबोचा था
1990 बैच के आईपीएस अधिकारी यूं तो आमतौर पर बड़ ही सादी जिंदगी जीते हैं लेकिन उनके कारनामें बड़े हाई फाई हैं। याद होगा जब DRDO के साइंटिस्ट प्रदीप कुरुलकर को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया था। वो भी सदानंद दाते ने ही किया था। अपनी डीप इनवेस्टिगेशन की वजह से सदानंद दाते आखिरकार उस साइंटिस्ट तक जा पहुँचे थे जो दुश्मन देश के लिए काम कर रहा था। मगर किसी को उस पर कोई शक नहीं हो सकता था। मगर दाते ने बाकायदा मय सबूत के प्रदीप को हथकड़ियों में जकड़ा और ऐसा सलाखों के पीछे डाला कि वो आजततक वहीं मौजूद हैं।
26/11 के आतंकी हमले में पुलिस के हीरो
सदानंद वसंत दाते का सबसे बड़ा कारनामा तो 26/11 हमले के बात का है जब उन्होंने उस ऑपरेशन में हिस्सा लिया था जिसके तहत मुंबई को पूरी तरह से दहशत में डुबो चुके दस आतंकियों ने मुंबई के साथ साथ देश की शान ताज होटल को बंधक बना लिया था। दाते ने कामा और एल्बलेस हॉस्पिटल में बंधक बनाए गए महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने का ऑपरेशन चलाया था और कामयाब भी रहे थे। सदानंद दाते उस ऑपरेशन में शामिल हुए और ताज के न सिर्फ सैकड़ों मेहमानों को सुरक्षित बाहर निकालने का रास्ता तैयार करवाया बल्कि आतंकियों को भी वहीं मौत के घाट उतराने का पूरा ऑपरेशन अपनी देख रेख में चलाया।
अपनी वीरता और कामयाबी को अपनी टीम के साथ बराबर साझा करने वाले सदानंद वसंद दाते के बारे में शायद ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि बेहद गरीब परिवार से निकले सदानंद जिस समय अपनी पढ़ाई लिखाई कर रहे थे उस दौरान पढ़ाई लिखाई का सारा खर्च वो अखबार बेचकर निकाला करते थे। बीते दो सालों से सदानंद मुंबई एटीएस के चीफ थे। और इस दौरान कई हाई प्रोफाइल केस को उन्होंने सुलझाया है। उन्हें कुछ अरसा पहले ही उनके सीने पर वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक का तमगा लगाया गया था।
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