Shams Ki Zubani: "Professional हो तो मुझे पकड़ कर दिखाओ" The Monster With 21 Faces की कहानी
Shams Ki Zubani: जापान पुलिस के सबसे बड़ी नाकामी की कहानी जिसने इस हाईटेक पुलिस लोहे के चने चबवा दिए, एक ऐसा केस जो कभी सुलझा ही नहीं।
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Shams Ki Zubani: ये जापान की कहानी है। जापान पुलिस को मिला 38 साल का पुराना जख्म है। यहां की पुलिस बेहद एडवांस और हाईटेक है। जापान में केस के कनविक्शन रेट नंबर 1 पर है। मर्डर के 97 प्रतिशत केस पुलिस साल्व कर देती है। हीरोशीमा नागासाकी के बाद जापान की बाहरी सुरक्षा इंतेजाम अमेरिका देखता है। जापान पुलिस तेज तर्रार है। इसी जापान में केस नंबर 114 है जो कभी नहीं सुलाझा। ये नाकामी जापान पुलिस की है। इस केस की नाकामी से पुलिस अफसर इतना व्यथित हुआ कि आग लगाकर खुदकुशी कर ली।
The monster with 21 faces के नाम से यह केस जाना जाता है। जापान की बहुत बड़ी कंपनी जो कैंडी बनाती थी उसका नाम ग्लाइको था। 18 मार्च 1984 को इस कंपनी के मालिक ईजाकी के घर पर रात में दो नकाबपोश दाखिल होते हैं उनके हाथ में पिस्तौल और रायफल थी। ईजाकी के घर के दो हिस्से थे एक में वो पत्नी बच्चों के साथ रहते थे जबकि दूसरे में उनकी मां रहा करती थी। यह दो नकाबपोश ईजाकी के घर में दाखिल होते हैं तो घर में 70 साल की मां दिखाई देती हैं और टेलीफोन के तार से उनको बांध देते हैं। मुंह पर टेप लगा देते हैं।
Shams Ki Zubani: जिसके बाद नकाबपोश दूसरे घर में दाखिल होते हैं। दरवाजा खोलते ही सामने ईजाकी की पत्नी नजर आती हैं। दोनों नकाबपोश ईजाकी की पत्नी को भी तार से बांधने लगते हैं तभी वो बोलती हैं कि तुमको क्या चाहिए? कितना पैसा चाहिए? नकाबपोश बोलता है कि हमें पैसा नहीं कुछ और चाहिए। इतना बोलने के बाद नकाबपोश ईजाकी की पत्नी के मुंह पर टेप और हाथों को टेलिफोन के तार से बांध देते हैं।
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दोनों ईजाकी की तलाश शुरु करते हैं बाथरुम में आवाज सुनकर जाते हैं तो बाथटब में ईजाकी दोनों बच्चों को नहला रहे थे। ईजाकी नग्न अवस्था में थे। दोनों नकाबपोश ईजाकी को किडनैप कर के कार से ओसाका शहर ले जाते हैं। ये एक वीरान सुनसान इलाका था। दूसरे दिन सुबह होते ही ये खबर पूरे जापान में फैल गई जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरु की। ईजाकी की कंपनी में हड़कंप मच गया। इसी दौरान ग्लाइको कंपनी को को-ऑनर के पास एक संदेश आता है कि तुम्हारे मालिक हमारे कब्जे में हैं उनकी जान की हिफाजत चाहते हो कि 21 मार्च तक एक बिलियन येन और 100 किलो सोना देना होगा। माल नही दिया तो ईजाकी का कत्ल कर दिया जाएगा।
जापान पुलिस तलाश में लगी हुई थी। जापान पुलिस के लिए एक चुनौती बना हुआ था। 21 की तरीख आ गई यानि मियाद खत्म होने वाली थी। लेकिन इसी दौरान ईजाकी अपने हाथ पैर खोलकर अपहरणकर्ताओं के चंगुल से भाग निकलते हैं और जंगल के रास्तों पर चल पड़ते हैं और अपने घर तक पहुंच जाते हैं। घर पहुंचने के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी जाती है।
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दूसरे दिन ईजाकी की तारीफ में खबरें लिखी गईं लिखा गया कि बिना फिरौती के वो छूट आए। अगले दिन ईजाकी के दफ्तर के बाहर खड़ी 6 कारों में आग लग गई। लोग हैरान परेशान थे। एक दो दिन बाद ही कंपनी में एर कंटेनर आया जिसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड भरा हुआ था। जिसके बाद परेशन हाल पुलिस ने कड़ियां जोड़ना शुरु कीं। मार्च का पूरा महीना खत्म हो गया और 8 अप्रैल की तारीख आ गई। पुलिस लाख कोशिशों के बाद इस गैंग का सुराग लगाने में नाकाम थी।
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जापान पुलिस को एक गुमनाम खत मिला जिसमें लिखा गया था कि “ जापान के बेवकबूफ पुलिसवालों के नाम, क्या तुम पागल हो तुम धरती पर कर क्या रहे हो? अगर तुम प्रोफेशनल हो तो मुझे पकड़ कर दिखाओ। मुझे पकड़ना मुश्किल है मै कुछ हिंट देता हूं मैं ईजाकी का रिश्तेदार नहीं हू ना कंपनी में काम करता हूं, ना उसके खेतों में काम करता हूं। मैं इनमें से कोई नहीं हू। हां जो कार मैंने इस्तेमाल की थी उसका रंग ग्रे है मैने खाना डाइके स्टोर से खरीदा था और कोई जानकारी चाहिए तो न्यूजपेपर वालों से भीख मांगों तो मुझे पकड़ लोगे और अगर नहीं पकड़ पाए तो तुम टैक्स चोर हो।
क्या मैं पुलिस हेडक्वार्टर में जाके तुम्हारे किसी अफसर को किडनैप कर लूं। इस खत में दो हिंट थे कार और खाना कहां से लिया था। पुलिस ने जांच शुरु की हजारों ग्रे कार ढूंढी गई। हजारों कार और मालिक हिरासत में लिए गए। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हां ये खत सभी न्यूजपेपर में छप गया। पुलिस की ये समझ नहीं आ रहा था कि किडनैपर चाहता क्या है? एक महीना दो दिन बाद 10 मई 1984 को दूसरा खत आया जो एक कंपनी मोरीनागा को भी भेजा गया। खत में लिखा था कि मैने तुम्हारी कंपनी के प्रोडक्ट में पोटेशियम साइनाइड मिलाकर अलग अलग स्टोर में रखवा दिए हैं जो भी खाएगा मर जाएगा और उनका जिम्मेदार कंपनी होगी: The Monster With 21 Faces
Shams Ki Zubani: इसी के साथ एक चिट्ठी पुलिस और ग्लाइको कंपनी को भी भेजी गई। जिसमें लिखा कि कैंडी में जहर मिला है और कई स्टोर में कैंडी पहुंच चुकी है। हां लिखने वाले ने ये नही लिखा कि किस कैंडी में जहर है? जिसके बाद ग्लाइको नें सभी स्टोर से कैंडी वापस मंगवा ली प्रोडक्ट हटा लिए गए। कंपनी को 130 मिलियन येन का नुकसान हुआ। कुछ महीने बाद कंपनी की माली हालत खराब होने लगी। एक रोज खत आया लिखा था कि ग्लाइको शर्मिंदा है उनका बहुत नुकसान हो चुका है। हमारा मकसद कंपनी को परेशान करना था अब हम इनकों परेशान नहीं करेंगे।
धीरे धीरे वक्त बीता और 1 नवंबर को अचानक फिर खत सामने आता है या खत मौरीनागा के पास आया। खत में मोरीनागा के प्रेसिंडेंट को लिखा कि तुमने हमारी पावर देख ली होगी बात नहीं मानी तो कंपनी डुबा दूंगा। हमें 200 मिलियन येन चाहिए। The Monster With 21 Faces. खत के बाद कंपनी में हड़कंप मच गया। इसकी जांच भी जापान पुलिस ने करदी। फिर एक खत आया कि कैंडी में फ्लेवर लगा दिया है जो भी खाएगा मारा जाएगा।
ये जहरीला फ्लेवर 10 डिब्बों में लगाया गया है हर बॉक्स में खत भी रखा है। जिसके बाद कंपनी ने सभी सिटोर से कैंडी वापस ले ली। पुलिस ने सीसीटीवी देखे तो एक शख्स कैंडी के डिब्बों में कुछ रखता दिख रहा है। ये डिब्बे भी मिल गए बाकायदा उसमें खत भी रखे थे। खत में लिखा था कि ये जहरीली है इसको खाने से जान चली जाएगी।
Shams Ki Zubani: ये कैंडी लैब में भेजी गई तो कुछ में जहर के तत्व मिले लेकिन इस गैंग और धमकियां देने वालों का राज नहीं खुल रहा था। पुलिस परेशान थी चिट्टियां लगातार आ रही थीं। इसी के चलते सवा लाख लोगों से पूछताछ की जा चुकी थी सैंकड़ों गैंग से पूछताछ हुई लेकिन खुलासा नहीं हुआ। तभी एक अफसर शोजी यमामोतो ने जांच से नाखुश होकर एक रोज अगस्त 1985 में खुद को आग लगा ली और उनकी मौत हो गई।
शोजी की जब मौत के खबर आई तो एक और खत आया। इस खत में लिखा था कि “ये कैसा बेवकूफ अफसर था? हमारी संवेदनाएं पुलिस अफसर के परिवार के साथ हैं अब हम किसी कंपनी को तंग नहीं करेंगे। अगर हमारे नाम पर कोई खत लिखता तो समझ लिया जाए कि वो फर्जी है। हम बुरे लोग हैं हमे इस काम में मजा आता है: The Monster With 21 Faces
हैरानी की बात ये है कि अगस्त महीने के बाद ना कोई धमकी आई। ना कोई धमकी भरा खत आया। हां पुलिस की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस केस में ना कोई फिरौती दी गई है ना ही जहर से किसी की मौत हुई। जापान पुलिस को नुकसानव उठाना पड़ा जिसमें पुलिस अफसर को अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन Monster With 21 Faces के खतरनाक चेहरे कभी सामने ना आ सके।
ये जापान पुलिस की सबसे बड़ी नाकामयाबी थी। केस को 25 साल हो चुके हैं जापान के कानून मुताबिक किसी केस में मुल्जिम पर 25 साल तक यानि 25 साल के अंदर ही कार्रवाई की जा सकती है। तो क्या Monster With 21 Faces कभी जापान पुलिस या दुनिया के सामने आएंगे।
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