14 साल पहले लिखी जा चुकी थी यूक्रेन पर रूस के हमले की स्क्रिप्ट, इस वजह से हुआ अटैक!

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14 साल पहले लिखी जा चुकी थी यूक्रेन पर रूस के हमले की स्क्रिप्ट, इस वजह से हुआ अटैक!
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14 साल पहले तैयार हुई थी जंग की ज़मीन

Russian Ukraine War: क्या कोई यक़ीन करेगा कि 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर जो हमला किया है उसकी स्क्रिप्ट तो 14 साल पहले ही लिखी जा चुकी थी। बस उस लिखी हुई इबारत को अमली जामा उतारने में रूस को 14 साल लग गए। लेकिन ऐसा नहीं है कि उस 14 साल पुरानी स्क्रिप्ट में हमले के सामने सिर्फ और सिर्फ यूक्रेन का ही नाम लिखा हो।

उससे पहले भी दो और नाम लिखे हुए हैं, जिसने दुनिया के सामने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मंशा की चुगली कर दी थी। और तभी से दुनिया के कई बड़े देश क्रेमलिन के एक एक क़दम पर बड़ी ही बारीक़ी से देख रही थी।

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जॉर्जिया से की थी रूस ने शुरुआत

बीते 14 सालों के दौरान रूस तीसरी जंग लड़ने जा रहा है। इससे पहले छेड़ी दो जंग में रुस को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी थी। और न ही उसके सैनिकों को ज्यादा गोली चलानी पड़ी और न ही ज़्यादा पसीना बहाना पड़ा था।

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इस सिलसिले की शुरूआत हुई थी 2008 में जॉर्जिया से। जॉर्जिया के ख़िलाफ़ रूस की सेनाओं ने जिस तरह ताबड़तोड़ हमला किया था उसकी वजह से जॉर्जिया पूरी तरह से बिखरकर तीन हिस्सों टूट गया था। हालांकि रूस ने 2008 में जॉर्जिया पर हमला किया था लेकिन उस हमले की शुरूआत भी उससे पांच साल पहले 2003 में हो गई थी।

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जॉर्जिया का वो रोज़ रिवोल्यूशन

Russian Ukraine War: असल में जॉर्जिया भी सोवियत संघ यानी USSR का ही हिस्सा हुआ करता था जैसा रूस था। जॉर्जिया भी पूर्वी यूरोप के हिस्से में आता है और यूरोप को रूस से अलग करता है। लिहाजा कहा जा सकता है कि ये एक बफर स्टेट की तरह भी है।

हुआ ये कि 2003 में जॉर्जिया में आम चुनाव हुए। इन चुनावों में एडुवर्ड शेवर्दनाद्ज़े को राष्ट्रपति भी चुन लिया गया। लेकिन विपक्ष ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाकर बवाल कर दिया। इस बवाल में आम जनता भी शामिल हो गई और पूरे देश में क्रांति हो गई। जिसे वहां के लोगों ने रोज़ रिवोल्यूशन (ROSE REVOLUTION) का नाम दिया।

20 दिनों तक पूरा देश धरना प्रदर्शन से जूझता रहा। आखिरकार हारकर शेवर्दनाद्ज़े को पद से इस्तीफ़ा देना पड़ गया। शेवर्दनाद्ज़े के इस्तीफे के बाद विपक्षी नेता मिखाइल साकाशविलि राष्ट्रपति बन गए। साकाशविलि की सबसे बड़ी ख़ासियत ये थी कि उन्हें पश्चिमी देशों का करीबी नेता माना जाता था और वो इस बात के भी हिमायती थे कि जॉर्जिया भी NATO में शामिल हो जाए।

ऐसे लिखी गई थी जॉर्जिया की बर्बादी की कहानी

Russian Ukraine War: साल 2008 में बुखारेस्ट में हुए एक सम्मेलन के दौरान खुद नाटो की तरफ से जॉर्जिया और यूक्रेन को संगठन में शामिल करने की बात उठाई गई। बस इसी एक बात ने इन दोनों देशों का मुस्तकबिल तय कर दिया कि इन्हें रूस के गुस्से का सामना करना ही पड़ेगा। क्योंकि रूस के राष्ट्रपति पुतिन का मानना था कि नाटो का रूस की सीमा तक पहुँचना उसके देश पर सीधा हमला माना जाएगा।

बस इसी के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जॉर्जिया की बर्बादी की कहानी लिख डाली। जॉर्जिया के दो इलाक़े थे अबकाज़िया और साउथ ओसेशिया। इन दोनों जगहों पर अलगाववादी सक्रिय थे। रूस ने उन अलगाववादियों को हवा दे दी और इन दोनों ही इलाक़ों में नरसंहार का इल्ज़ाम ठोंकते हुए जॉर्जिया की सेना को ठोंकने के इरादे से जंग का ऐलान कर दिया।

हैरत की बात ये थी कि रूस ने तब भी यही कहा था कि वो इलाक़े में शांति के लिए सेना भेज रहा है। और जिन इलाक़ों में बमबारी की गई थी उसको लेकर तो कोई झगड़ा था ही नहीं। ज़्यादा मारकाट न हो और ख़ूनख़राबे से बचाने के लिए फ्रांस ने मध्यस्थता करते हुए जॉर्जिया के साथ रूस का सीज़फ़ायर समझौता करवा दिया। और इस समझौते के 14 रोज बाद ही रूस ने अबकाज़िया और साउथ ओसेशिया को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया।

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