सुप्रीम कोर्ट में 3 महीने में बनेंगे 3 चीफ जस्टिस, इतने साल बाद आया मौका, 2027 में फिर ऐसा होगा

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सुप्रीम कोर्ट में 3 महीने में बनेंगे 3 चीफ जस्टिस, इतने साल बाद आया मौका, 2027 में फिर ऐसा होगा
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Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट में दशकों बाद ऐसा मौका आने वाला है जब देश चार महीनों में तीन चीफ जस्टिस देखेगा। इस साल जुलाई से नवंबर के दौरान जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। इस दिलचस्प संयोग के पांच साल बाद देश 2027 में ऐसे ही संयोग का साक्षी होगा। साल 2027 में सितंबर से अक्टूबर के दरम्यान दो महीनों में तीन चीफ जस्टिस आएंगे जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड, परंपरा और प्रैक्टिस के मुताबिक 2027 में 27 सितंबर को जस्टिस विक्रम नाथ मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होंगे और देश को पहली महिला मुख्य न्यायाधीश मिलेगी। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना 35 दिनों के लिए देश की मुख्य न्यायाधीश होंगी। इसके बाद जस्टिस पीएस नरसिम्हा 31 अक्टूबर 2027 से छह महीने तीन दिनों के लिए चीफ जस्टिस बनेंगे।

Supreme Court CJI News : इतिहास साक्षी है कि 2027 तक इतने कम समय में तीन चीफ जस्टिस बनने का ये तीसरा मौका होगा। सुप्रीम कोर्ट का 1950 में अस्तित्व में आने के बाद सबसे पहले, 1991 में नवंबर और दिसंबर के बीच देश में तीन अलग-अलग CJI थे।

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तब CJI रंगनाथ मिश्रा 24 नवंबर, 1991 को रिटायर हुए थे. फिर जस्टिस कमल नारायण सिंह 25 नवंबर से 12 दिसंबर तक यानी कुल 18 दिनों के लिए चीफ जस्टिस बने। फिर न्यायमूर्ति एमएच कानिया चीफ जस्टिस बने और 13 दिसंबर 1991 से 17 नवंबर 1992 तक यानी 11 महीनों तक इस सर्वोच्च पद पर आसीन रहे।

पारंपरिक रूप से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अपनी वरिष्ठता के आधार पर CJI के रूप में कार्यभार संभालते हैं। चीफ जस्टिस के तौर पर कोई कार्यकाल निर्धारित नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु संविधान के तहत 65 वर्ष निर्धारित की गई है।

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अभी हाल ही में भारत के महान्यायवादी यानी अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि वह उन परिस्थितियों का अंदाजा लगा सकते हैं जो वर्तमान सीजेआई, न्यायमूर्ति एनवी रमणा की सेवानिवृत्ति के साथ सामने आएंगी।

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वेणुगोपाल ने कहा कि ’मेरा मानना ​​है कि प्रत्येक CJI का कार्यकाल कम से कम तीन साल होना चाहिए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्याय पालिका के प्रमुख के साथ साथ न्यायिक और प्रशासनिक सुधार जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे भी होते हैं। इन जिम्मेदारियों के साथ ही बड़ी संख्या में बकाया मामलों की समस्या को भी कारगर ढंग से निपटाने की आवश्यकता है।’

रिकॉर्ड सिर्फ चार महीनों में तीन चीफ जस्टिस बनने का ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिटायरमेंट का भी होगा। अगले छह महीनों में नौ जज रिटायर होंगे। इसकी शुरुआत अगले महीने जस्टिस विनीत शरण की 10 मई को सेवा निवृत्ति से होगी।

उसके बाद करीब एक एक महीने के अंतर पर जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एएम खानविल्कर 7 जून तथा 29 जुलाई को सेवानिवृत्त होंगे। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे। इसके अगले ही महीने जस्टिस इंदिरा बनर्जी 23 सितंबर को रिटायर होंगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या घटकर तीन रह जाएगी।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्तूबर को अपना कार्यालय छोड़ेगे। वब सुप्रीम कोर्ट में यदि 8 नवंबर तक कोई नई नियुक्ति नहीं हुई तो नौ रिक्तियां हो जाएंगी। परंपरा के अनुसार सेवा के आखिरी महीनों में मुख्य न्यायाधीश नई नियुक्तियां नहीं कर सकते।

ऐसे में मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमणा को मई, जून और जुलाई में नियुक्तियों के लिए प्रयास करना होगा। इसके बाद जस्टिस ललित के पास नियुक्तियां करने के लिए एक माह बचेगा, क्योंकि उनका कार्यकाल दो माह से कुछ ज्यादा का ही है। रिटायर होने से एक माह पूर्व मुख्य न्यायाधीश को अगले मुख्य न्यायाधीश का नाम सरकार को भेजना पड़ता है। यह संस्तुति करने के बाद मुख्य न्यायाधीश नई नियुक्तियों के कोलेजियम (पांच वरिष्ठतम जजों का चयन मंडल) में बैठ सकते।

चीफ जस्टिस की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर करने की परम्परा और निवर्तमान चीफ जस्टिस की ओर से उत्तराधिकारी की सिफारिश की परंपरा का उल्लंघन अब तक तीन बार हुआ है। पहली बार नेहरू जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में फरवरी 1964 जस्टिस इमाम की वरिष्ठता और बारी को दरकिनार कर जस्टिस गजेंद्र गडकर को चीफ बनाय गया।

इसके सात साल बाद 1971 में नेहरूजी की पुत्री और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जस्टिस शेलत हेगड़े और जस्टिस ग्रोवर की वरिष्ठता और दावेदारी को नजरंदाज कर जस्टिस ए एन रे को मुख्य न्यायाधीश बनाया। इसके छह साल बाद 1977 में इंदिरा गांधी सरकार ने फिर यही मनमानी दोहराई गई।

तब जस्टिस हंसराज खन्ना की दावेदारी को खारिज और वरिष्ठतम जज को नियुक्त करने की परंपरा को धता बताते हुए जस्टिस एमएच बेग को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। उस समय इंदिरा गांधी सरकार के फैसलों को गलत बताने वाले जस्टिस एचआर खन्ना को चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया। लेकिन अब उन्हीं जस्टिस खन्ना के भतीजे जस्टिस संजीव खन्ना दो साल बाद नवंबर 2024 से मई 2025 तक चीफ जस्टिस बनाए जाने की कतार में हैं।

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