पतंजलि मामले मे सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, अब तक क्यों सो रहे थे अधिकारी, पतंजलि के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस रद्द
अदालत ने कहा कि अधिकारी तब जागे, जब कोर्ट ने आदेश दिया। अदालत ने कहा कि अफसरों को खुद सावधानी बरतनी थी। पूछा कि कोर्ट के आदेश के पहले और बाद में क्या एक्शन लिया गया। स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी को 14 मई तक जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
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Delhi News: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पतंजलि भ्रामक विज्ञापन को लेकर सुनवाई की। पतंजलि मामले मे सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी की। उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी की ओर से फाइल एफिडेविट की कोर्ट ने आलोचना की है। अदालत ने कहा कि अधिकारी तब जागे, जब कोर्ट ने आदेश दिया। अदालत ने कहा कि अफसरों को खुद सावधानी बरतनी थी। पूछा कि कोर्ट के आदेश के पहले और बाद में क्या एक्शन लिया गया। स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी को 14 मई तक जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से माफीनामे की ओरिजिनल कॉपी मांगी
सुप्रीम कोर्ट में आईएमए अध्यक्ष का इंटरव्यू आया, जिसमें वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर सवाल उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के वकीलों से अगले दो दिनों में इंटरव्यू को रिकॉर्ड पर लाने को कहा है। उत्तराखंड सरकार ने बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के लगभग 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। यह जानकारी उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सोमवार शाम हलफनामा दायर कर दी गई थी।
रामदेव-बालकृष्ण को अगली पेशी से छूट दी
उत्तराखंड सरकार की लाइसेंस अथॉरिटी ने सोमवार को प्रोडक्ट्स पर बैन का आदेश भी जारी किया था। प्राधिकरण द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर असंतोष जताते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण शीर्ष न्यायालय का 10 अप्रैल का आदेश मिलने के बाद ही कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए सक्रिय हुआ। पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप सहानुभूति और अनुकंपा चाहते हैं तो अदालत के प्रति ईमानदार रहें।
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IMA अध्यक्ष का मीडिया इंटरव्यू मंगवाया
न्यायालय ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता यह है कि क्या लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई की। पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की। न्यायालय ने इस मामले में 10 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निष्क्रियता बरतने के लिए उत्तराखंड के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति कड़ी नाराजगी जताई थी और कहा था कि वह इसे हल्के में नहीं लेगा, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि प्राधिकरण ने ‘‘जान-बूझकर’’ आंखें बंद कर रखी थी।
आयुष विभाग को SC से फटकार
गौरतलब है कि उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने बाबा रामदेव की पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स पर रोक लगा दी है। जिनमें श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, लिपिडोम बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आइग्रिट गोल्ड, पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, दिव्य ब्रोंकोम और मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर शामिल हैं। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. आर वी अशोकन ने सोमवार को कहा कि बाबा रामदेव ने उस समय हद पार कर दी जब उन्होंने दावा किया कि उनके पास कोविड-19 का उपचार है और उन्होंने आधुनिक चिकित्सा पद्धति को ‘‘मूर्खतापूर्ण एवं दिवालिया विज्ञान’’ कहकर बदनाम किया।
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