Raju Shrivastav Death Reason: मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से जूझ रहे थे राजू श्रीवास्तव, जानिए यह क्या है?

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Raju Srivastava passes away : मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Comedian Raju Srivastava) नहीं रहे. बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि राजू श्रीवास्तव का निधन हो गया है. अब वे हमारे बीच नहीं रहे.

Raju Srivastava Dead: न्‍यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट में मौत की वजह मल्‍टीपल ऑर्गन फेल्‍योर (Multiple organ failure) बताई गई है. नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ की रिपोर्ट कहती है, ICU में होने वाली ज्‍यादातर मौतों की वजह मल्‍टीपल ऑर्गन फेल्‍योर होता है.

Raju Shrivastav Death Reason: राजू श्रीवास्तव का इलाज कर रहे है डॉक्टरों की तरफ से राजू श्रीवास्तव के निधन की वजह ब्रेन में ऑक्‍सीजन नहीं पहुंचना, मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर बताई जा रही है. यह ऐसी स्थिति है जब शरीर के कई अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं. नतीजा, मरीज को एक साथ कई तरह ही दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. 

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आसान भाषा में समझें तो जब शरीर में दो या उससे अध‍िक अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं तो इस स्‍थि‍ति को ही मल्‍टीपल ऑर्गन फेल्‍योर या मल्‍टीपल ऑर्गन डिस्‍फंक्‍शन सिंड्राेम (MODS) कहा जाता है. ऐसे मामलों में शरीर के कई अंगों समेत रोगों से बचाने वाला इम्‍यून सिस्‍टम बुरी तरह प्रभावित हो जाता है. 

kya hota hai Multi Organ Failure: NCBI की रिपोर्ट कहती है, मल्‍टीपल ऑर्गन फेल्‍योर की स्‍थ‍िति में हिमेटोलॉजिक, इम्‍यून, कार्डियोवेस्‍कुलर, रेस्‍पिरेट्री और एंडोक्राइन सिस्‍टम पर सीधे तौर पर बुरा असर होता है. इससे मरीज में एक साथ कई तरह दिक्‍कतें दिखने लगती हैं. नतीजा, स्‍थ‍िति गंभीर हो जाती है. 

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एक्‍सपर्ट कहते हैं, इसके लक्षण मरीजों में अलग-अलग दिख सकते हैं, यह निर्भर करता है कि किस हद तक मरीज के अंदरूनी अंग प्रभावित हुए हैं. दिनभर पेशाब न होना, आसानी से सांस न ले पाना, मांसपेशियों में अत्‍यधिक दर्द महसूस होना या शरीर में थरथराहट या कंपन्‍न महसूस हो तो ये गंभीर लक्षण हैं. ऐसे मामलों में तत्‍काल विशेषज्ञ की सलाह लें. 

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NCBI की रि‍पोर्ट कहती है, ऐसी स्थिति में हृदय, फेफड़े, किडनी जैसे कई अहम अंग सीधेतौर पर प्रभावित होते हैं, इसलिए मरीज की हालत गंभीर हो जाती है.  

किसे खतरा अध‍िक है और इससे कैसे बचें?

मल्‍टीपल ऑर्गन फेल्‍योर का खतरा दो तरह के मरीजों में सबसे ज्‍यादा रहता है. पहला, उन लोगों में इसका सबसे ज्‍यादा रिस्‍क रहता है, जिनके शरीर में इम्‍यूनिटी का लेवल कम है. यानी रोगों से लड़ने की क्षमता कम है. दूसरी, जिन्‍हें किसी तरह की अंदरूनी इंजरी होने का रिस्‍क ज्‍यादा है. विशेषज्ञों के मुताबिक,

ऐसे मरीजों की समय-समय पर जांच के साथ इन्‍हें कुछ खास सावधानियां बरतने को कहा जाता है. खासतौर पर पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो उसे कंट्रोल करने लिए सलाह दी जाती है. इसलिए अगर मरीज पहले से कई तरह की बीमारियों से जूझ रहा है तो डॉक्‍टर्स की देखरेख में उसका इलाज कराना जरूरी है.

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