ब्रिटेन का ये ओलिम्पिक चैम्पियन एथलीट नकली नाम से जीतता रहा मेडल और ख़िताब, ऐसे खुला राज़

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Reveal Truth In Documentary: बीबीसी (BBC) ने एक डॉक्यूमेंट्री (Documentary) बनाई है जिसमें एक क़िस्सा (Story) एक ऐसे कामयाब (Success) एथलीट (Athlete) का है जिसने गुनाह (Fraud) के रास्ते पर चलकर खेल के मैदान पर अपना कामयाबी का परचम (Flag) लहराया। ये ऐसा एथलीट है जिसने सारी उम्र अपनी पहचान (Wrong Identity) छुपाई। इस एथलीट का नाम है सर मो फराह (Mo Farah)। ये डॉक्यूमेंट्री अब रिलीज होने वाली है।

खेलों की दुनिया से ताल्लुक रखने वालों के लिए ब्रिटिश एथलीट मो फराह अनजाना नाम नहीं है। ब्रिटेन के खेलों के इतिहास में मो फराह को लंबी दूरी का सबसे कामयाब धावक माना जाता है। लेकिन उन पर बन रही एक डॉक्यूमेंट्री में खुद मो फराह ने अपने बारे में जो सच बयां किया वो उन्होंने ताउम्र छुपाए रखा। उसके बारे में कभी किसी को पता तक नहीं चलने दिया। और अपनी असली पहचान छुपाकर ही वो ब्रिटेन की नागरिकता हासिल करने में भी कामयाब रहे।

Crime of Athlete: बीबीसी ने ब्रिटेन के महान खिलाड़ियों की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इसी सिलसिले में एक एपिसोड मो फराह पर भी है जिन्हें ब्रिटेन में अब तक के महान एथलीट की फेहरिस्त में शुमार किया जाता है। उस डॉक्यूमेंट्री में मो फराह ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि वो ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से सोमालिया से ब्रिटेन पहुँचे थे। और ब्रिटेन में उन्होंने कभी भी किसी को अपनी असली पहचान नहीं बताई थी।

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मो फराह का असली नाम हुसैन अब्दी केहिन है। जबकि लोग उन्हें मोहम्मद मुख्तार जेमा फराह यानी मो फराह के नाम से पहचानते हैं। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में मो फराह कहते हैं कि ये बात उन्होंने तभी से छुपाए रखी जब वो सात आठ बरस की उम्र में गैरक़ानूनी तरीके से सोमालिया से ब्रिटेन पहुँचे थे।

BBC Documentary : डॉक्यूमेंट्री में अपने बारे में बात करते हुए मो फराह ने खुद ये बात कही कि लोग मुझे तो मो फराह के नाम से ही पहचानते हैं लेकिन ये उनका असली नाम नहीं है। हालांकि दुनिया से झूठ बोलने के लिए उन्होंने माफी भी मांगी। उन्होंने बताया कि साल 2000 में उन्हें ब्रिटेन की नागरिकता मिली थी। उसके बाद उन्होंने एथलेटिक्स के ट्रैक पर ब्रिटेन के झंडे तले कामयाबी की नई इबारत लिखी।

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बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में मो फराह ने अपने बारे में बताया कि उनका जन्म अफ्रीकी देश सोमालिया में हुआ था...और बचपन में उनका नाम हुसैन अब्दी केहिन था। जब वो चार साल के थे तो सोमालिया में छिड़े गृह युद्ध में उनके पिता मारे गए थे। और उसी दौर में मची एक भगदड़ में वो अपनी मां से बिछड़ गए थे। उसके बाद वो कुछ ऐसे लोगों के चंगुल में फंस गए जो गैरक़ानूनी तरीके से बच्चों को सोमालिया से यूनाइटेड किंगडम फर्जी नामों से भेजते थे। मुझे भी मोहम्मद फराह के नाम से भेजा गया था।

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Wrong Name Real Fame: लेकिन सोमालिया से UK भेजते समय मुझे डराकर कहा गया था कि अगर गलती से भी अपना सही नाम और पहचान बताओगे तो तुम्हें हमेशा के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। लिहाजा उन्होंने उसी डर के साये में कभी भी अपना असली नाम अपनी जुबान पर आने ही नहीं दिया। और नकली पहचान से ही ब्रिटेन में रहते रहे। जब वो सात या आठ बरस के थे तभी ब्रिटेन पहुँचने के बाद मो फराह ने एक महिला के घर पर एक गुलाम की तरह नौकर का काम किया था, फिर भी उन्होंने अपनी पहचान छुपाए रखी।

क्या अजीब इत्तेफाक था कि मो फराह को इसी नकली पहचान पर ब्रिटेन और यूनाइटेड किंगडम के तमाम ख़िताब और तमगे नवाजे गए। साल 2000 में ब्रिटिश नागरिकता मिलने के बाद 2013 में उन्हें CBE सम्मान मिला था। CBE को कमांडर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर या ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर भी कहा जाता है। इस सम्मान से उस खिलाड़ी को सम्मानित किया जाता है जिसने राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर कामयाबी हासिल की हो।

Crime of Athlete: मो फराह के बारे में कहा जाता है कि वो अपने समय में 5000 मीटर और 10 हज़ार मीटर की दौड़ में ब्रिटेन के सबसे कामयाब धावक रहे। फराह ने 2012 और 2016 ओलिम्पिक खेलों की 5000 मीटर और 10 हज़ार मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते थे। लीज विरेन के बाद वो ऐसे दूसरे एथलीट हैं जिन्होंने लगातार दो ओलिम्पिक खेलों में 5000 मीटर और 10 हज़ार मीटर की लंबी दूरी की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता हो।

मो फराह की इसी कामयाबी के लिए उन्हें 2017 में ब्रिटेन की महारानी ने नाइट की उपाधि से भी नवाजा था...और वो सर मो फराह बन गए। मगर ये खिताब भी मो फराह को ही मिला...यानी उस नकली पहचान को जिसकी आड़ में वो अपनी सच्चाई छुपाए हुए रहे।

अपने शुरुआती दौर के बारे में सर मो फराह ने कहा कि सोमालिया से इंग्लैंड आने के बाद वो शुरु शुरू में अपने चाचा जिबोती के साथ ही रहे थे। इसके अलावा वो कई बार अपनी मां से मिलने के लिए सोमालीलैंड भी गए थे। इतना ही नहीं, वो एक बार सोमालिया में असली मोहम्मद फराह से भी मिल चुका है।

Truth About A star Athlete: सर मो फराह ने डॉक्यूमेंट्री में इस बात को खुलकर माना है कि उन्होंने झूठ बोलकर और फरेब से ब्रिटिश नागरिकता हासिल की है। लेकिन अपने बच्चों और पत्नी को अब वो अपना सच बता चुके हैं। हालांकि कामयाब होने के बाद मो फराह ने अपना सच एक बार ब्रिटेन के गृह विभाग को बताया ताकि वो अपने झूठ से निजात पा सकें।

गृह विभाग ने उन्हें भरोसा दिया, चूंकि वो एक कामयाब इंसान हैं और सफल एथलीट...साथ ही उन्होंने बहुत शोहरत भी हासिल की है इसलिए ब्रिटिश सरकार उनसे न तो उनकी नागरिकता छीनेगी और न ही उनके इस जुर्म के लिए उन्हें कभी सोमालिया डिपोर्ट करेगी।

शायद यही वजह है कि अब मो फराह सर मो फराह बनकर दुनिया के सामने अपनी सच्चाई और असली पहचान को बताने से झिझक नहीं रहे हैं।

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