अनमोल रतन TATA : बिल फोर्ड ने जब उड़ाया था मजाक, फिर इस कदम ने टाटा को बनाया महान

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Ratan Tata Story in Hindi : डूबती नैया पर सवार होने का जोखिम कौन लेता है? लेकिन ये कहानी उस शख्स की है जिसका सामना हर मोड़ पर मुश्किल हालात से ही हुआ. जन्म तो काफी नामी परिवार में हुआ. गुजरात के सूरत में रहने वाले कारोबारी परिवार में. लेकिन जन्म के बाद ही माता-पिता में ऐसा विवाद हुआ कि दोनों अलग हो गए.

फिर दादी ने उनका पालन-पोषण किया. अच्छी पढ़ाई की. विदेश में भी पढ़े. लेकिन जब कारोबार शुरू करने की बात आई तो फिर से कठिन हालात से गुजर रही कंपनी की जिम्मेदारी सौंप दी गई. लेकिन बचपन से ऐसे हालात का सामना करने की आदत यहां काम आई. उससे मुंह मोड़ने के बजाय हंसकर मुकाबला किया और कंपनी को फायदे में ला दिया.

इसी तरह जब इंडिका कार लॉन्च करने के बाद इतना घाटा हुआ कि उसे बेचने की नौबत आ गई. लेकिन फोर्ड कंपनी मालिक के बेहद ही नकारात्मक कमेंट को भी इन्होंने सकारात्मक रूप में लिया. उस समय फोर्ड कंपनी मालिक ने कहा था, ये कंपनी खरीदकर हम आप पर अहसान कर रहे हैं. इस बात को सुनने के बाद भी इस शख्स ने उसे दिल पर नहीं लिया था.

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बल्कि उसे दिमाग पर लिया और कंपनी बेचने की सोच को ना सिर्फ टाला बल्कि उसे फिर से ऐसी खड़ी की उसने नया इतिहास रच डाला. क्योंकि इन्होंने नई रिसर्च के साथ उसी डूबती नैया को मझधार में छोड़ने के बजाय कुशलता से ऐसे किनारे पर ले आए जहां से फिर जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

फिर उसी शख्स ने फोर्ड कंपनी की खराब हालत पर उसे मदद की. फोर्ड (Ford) कंपनी को खरीदने का ऑफर दिया. अब इस बार वही फोर्ड मालिक अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए आया और खुद ही बोला, हमारी कंपनी खरीदकर आप मेरे ऊपर अहसान कर रहे हैं.

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Ratan Tata Birthday : ये कहानी है देश के महान बिजनेसमैन रतन टाटा की. इनका पूरा नाम रतन नवल टाटा है. इनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत में हुआ था. पिता का नाम नवल टाटा था और माँ का नाम सोनू टाटा. बताया जाता है कि उनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया था.

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इसलिए उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था. रतन टाटा को उन्होंने गोद ले लिया था. इस तरह दत्तक पुत्र के तौर पर उनकी परवरिश हुई थी. वहीं, रतन टाटा के पिता ने सिमोन टाटा से दूसरी शादी की थी. इसलिए रतन टाटा का एक सौतेला भाई भी है. नाम है नोएल टाटा.

रतन टाटा ने शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैथेड्रल और जॉन केनल स्कूल में की थी. इसके अलावा, अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई साल 1962 में की थी. आखिर में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम किया था.

रतन टाटा का संघर्ष और सफलता

Ratan Tata Success Story : रतन टाटा बिजनेस घराने से थे. पढ़ाई के बाद उन्हें साल 1971 में राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (NELCO) में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया. जब उन्हें ये कमान सौंपी गई उस वक्त कंपनी बुरे दौर से गुजर रही थी.

लेकिन इससे मुंह मोड़ने के बजाय रतन टाटा ने अपनी काबिलियत के दम पर NELCO कंपनी को इस झटके से उबारा बल्कि 20 प्रतिशत तक हिस्सेदारी भी बढ़ाने में सफल रहे.

हालांकि, इमरजेंसी और आर्थिक मंदी से कंपनी को काफी नुकसान हुआ था. फिर 1977 में टाटा को यूनियन की हड़ताल का सामना करना पड़ा. जिसके चलते बाद में नेल्को कंपनी बंद करनी पड़ी थी.

Ratan Tata Company List : इसके कुछ महीने बाद ही रतन टाटा को कपड़ा मिल इम्प्रेस मिल्स (Empress Mills) की जिम्मेंदारी दे दी गई. ये कंपनी भी उस समय घाटे में थी. आखिरकार इसे भी बंद करना पड़ा था. लेकिन रतन टाटा ने कभी हार नहीं मानी. कहा जाता है कि रतन टाटा कंपनी बंद नहीं करना चाहते थे लेकिन मजबूरी में ये फैसला लेना पड़ा था.

अब भले ही जिन दो कंपनियों की कमान उन्हें दी गईं थीं उन्हें बंद करनी पड़ी लेकिन इस बीत रतन टाटा की काबलियत उनके परिवार को समझ में आ गई थी. जितने बुरे हालात में भी उन्होंने कंपनी को काफी हद तक ऊपर उठाया था. उसे देखते हुए जेआरडी टाटा ने साल 1981 में रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्रीज के उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा कर दी.

उस समय तक इनके पास ज्यादा अनुभव नहीं था. इसलिए विरोध भी हुआ. यानी ये भी उनके लिए मुश्किल दौर था. लेकिन रतन टाटा तो वाकई अनमोल रत्न थे. उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते गए. साल 1991 में रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्रीज व इसकी अन्य कंपनियों के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई. इसके बाद ही टाटा ग्रुप हमेशा आगे बढ़ता गया.

इनकी अध्यक्षता में टाटा ग्रुप ने अपने कई बड़े प्रोजेक्ट स्थापित किए और देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी उन्होंने टाटा ग्रुप को नई पहचान दिलाई. रतन टाटा के नेतृत्व में ही टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया.

दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो बनाई

Ratan Tata News : रतन टाटा के निर्देशन में कंपनी ने महंगी गाड़ियों में से एक ‘जैगुआर लैंड रोवर’ का अधिग्रहण भी किया और महंगी कारें भी बनाईं. साथ ही रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार भी बनाई. जिसके बारे में लोगों ने सोचा भी नहीं था.

लखटकिया यानी लाख रुपये में कार लेने के सपने को भी साकार किया. रतन टाटा की महज 1 लाख रुपये की लागत वाली नैनो कार (Nano Car) को दुनिया की सबसे सस्ती कार बताया गया. 28 दिसंबर 2012 को रतन टाटा, टाटा ग्रुप के सभी कार्यकारी जिम्मेदारी से रिटायर हो गए थे.

इसके बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि, रतन टाटा रिटायरमेंट के बाद भी एक्टिव हैं और काम कर रहे हैं. रतन टाटा ने अपने 21 साल के कार्यकाल में कंपनी को उस शिखर पर पहुंचाया जहां जाने के लोग सपने देखते हैं. कंपनी की वैल्यू 50 गुना बढ़ा दी.

सबसे चर्चित रतन टाटा की कहानी

Ratan Tata Biography in Hindi : इस कहानी की शुरुआत होती है साल 1998 में. उस समय टाटा मोटर ने अपनी पहली पैसेंजर कार इंडिका बाजार में उतारी थी. ये रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता था. लेकिन रतन टाटा ने जो सोचा था वैसा हुआ नहीं. टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी. आलम ये आ गया कि उन्होंने पहली बार कंपनी को बेचने का फैसला किया था. कंपनी बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी फोर्ड के पास गए.

उस समय रतन टाटा और फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड के बीच घंटों देर तक मीटिंग हुई. रतन टाटा की हालत को देखकर बिल फोर्ड ने अच्छा व्यवहार नहीं किया. फोर्ड ने यहां तक कह दिया कि जिस कारोबार के बारे में आपको जानकारी नहीं उसमें इतना पैसा क्यों लगा दिया? आखिर में तो फोर्ड ने हद कर दी और कह दिया कि... ये कंपनी खरीदकर हम आप पर अहसान कर रहे हैं.

फोर्ड की बातें सुन कैंसल कर दी थी डील

Ratan Tata Story in Hindi : ये आखिरी शब्द सुनकर रतन टाटा वहां से बाहर निकल आए थे और कंपनी बेचने के फैसले को कैंसल कर दिया. उन्होंने डील भी खत्म कर दी. और शुरू की उसी टाटा इंडिका कार प्रोजेक्ट पर फिर से काम. उन्होंने एक रिसर्च टीम तैयार की. मार्केट में क्या चल रहा है. लोग क्या चाहते हैं. फिर उसे फिर से लॉन्च किया.

फिर वही टाटा इंडिका ने सफलता की नई बुलंदियों को छू लिया. और फिर रतन टाटा लगातार आगे बढ़ रहे थे और वहीं फोर्ड कंपनी का पतन शुरू हो गया. साल 2008 तक आते-आते फोर्ड कंपनी दिवालिया होने की कगार पर आ पहुंची.

इस वजह से रतन टाटा हैं महान

Ratan Tata Story in Hindi : इसका पता चलने पर रतन टाटा ने खुद ही फोर्ड की लग्जरी कार लैंड रोवर और जैगुआर बनाने वाली कंपनी जेएलआर को खरीदने का प्रस्ताव रखा. अब फोर्ड ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया. अब फिर से दोनों कंपनी के प्रमुख के बीच मीटिंग शुरू हुई.

बॉम्बे हाउस में मीटिंग तय हुई. सौदा भी तय हो गया. डील लगभग 2.3 अरब डॉलर में तय हुई. सब सोच रहे थे कि रतन टाटा जरूर कुछ कहेंगे. लेकिन उन्होंने पुरानी बातों को नहीं दोहराया. बल्कि बिल फोर्ड ने खुद ही कहा कि आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं. आप महान हैं.

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