ठगी का अनोखा तरीका 'वॉइस क्लोनिंग' के जरिये हो रहा है फ्रॉड, इस तरह से लोगो को फसाते हैं जालसाज!

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ठगी का अनोखा तरीका 'वॉइस क्लोनिंग' के जरिये हो रहा है फ्रॉड, इस तरह से लोगो को फसाते हैं जालसाज!
प्रतिकात्मक तस्वीर
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भूपेंद्र चौधरी के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Noida Cyber Crime Latest News: नोएडा समेत दिल्ली एनसीआर में साइबर क्राइम के नए-नए तरीके देखे जा रहे हैं। नोएडा में एक अजीब तरीके से ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है। साइबर ठगों द्वारा बच्चों के वॉइस क्लोनिंग करके फर्जी केस में फंसाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी हो रही है।

दरअसल नोएडा में पिछले दिनों कई ऐसे मामले आए हैं, जिसमें वॉइस क्लोनिंग करके लोगों को डरा धमका कर ऑनलाइन पैसों डिमांड किए जा रहे हैं। यह गैंग पहले किसी व्यक्ति को फोन करता है और उसे उसके बच्चे को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देता है और पैसे की डिमांड करता है। जब व्यक्ति पैसे देने से इनकार करता है तो उसके बच्चे की वॉइस क्लोनिंग करके बात करवाई जाती है। बच्चे की आवाज सुन व्यक्ति डर जाता है और फर्जी पुलिसकर्मी बने जालसाजों को पैसे ट्रांसफर कर देता है। नोएडा पुलिस के साइबर सेल को ऐसे ही एक पीड़ित ने शिकायत दर्ज करवाई है।

नोएडा के सेक्टर 78 में स्थित महागुन मोर्डन सोसाइटी में रहने वाले एमसीडी के एक इंजीनियर के साथ इसी तरह के ठगी का मामला सामने आया। दरअसल एमसीडी में इंजीनियर हिमांशु शेखर सिंह ने नोएडा साइबर पुलिस सेक्टर 108 में एक शिकायत दी है। शिकायत के मुताबिक, पिछले महीने उनके 18 वर्षीय बेटे का जेईई मॉक टेस्ट था, जिसके लिए वह अपने बेटे को एग्जाम सेंटर पर छोड़कर 20 किलोमीटर दूर काम करने चले गए। एक घंटा बीतने के बाद +92 कंट्री कोड वाले एक नंबर से हिमांशु शेखर को कॉल आया। कॉल रिसीव करने पर दूसरी तरफ से एक व्यक्ति ने खुद का परिचय विनोद कुमार देते हुए बताया कि वह पुलिस इंस्पेक्टर है।

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पुलिसकर्मी ने हिमांशु शेखर को कॉल पर बताया कि उनके बेटे को गैंगरेप करने वाले एक गिरोह के साथ गिरफ्तार किया गया है। अगर वह अपने बेटे को बचाना चाहते हैं तो तुरंत उन्हें ₹30000 पेटीएम के जरिए भेज दिया जाए। हिमांशु को यकीन हो जाए कि उनके बेटे को वाकई पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसके लिए जालसाजों ने बाकायदा हिमांशु से फोन कॉल पर यह कहा कि आप अपने बेटे से खुद बात कर लीजिए। उसके बाद वॉइस क्लोनिंग के जरिए हूबहू हिमांशु के बेटे की तरह आवाज निकाल कर हिमांशु की बात कराई गई। आवाज और बात करने का तरीका सुन हिमांशु को यकीन हो गया कि वाकई पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया है, जिसके बाद हिमांशु ने पुलिसकर्मी के कहे अनुसार पैसे ट्रांसफर करने के लिए तैयार हो गया।

हालांकि हिमांशु ने कहा कि वह ऑनलाइन पेमेंट इस्तेमाल नहीं करते हैं। वो किसी दुकानदार से पैसे ट्रांसफर करवाते हैं। उसके बाद हिमांशु ने अपने ड्राइवर को दुकानदार बताकर उसके नंबर से फर्जी पुलिसकर्मी को 10000 रुपये ट्रांसफर करने को कोशिश की जो पहली बार मे फेल हो गया। दूसरी कोशिश में पैसे ट्रांसफर हो गए, जिसके बाद जालसाज और पैसे की डिमांड करने लगे। हिमांशु शेखर किसी तरह वापस अपने बेटे के एग्जाम सेंटर पहुँचे। हालांकि उनको सेंटर के अंदर नहीं जाने दिया गया। किसी तरह गाज़ियाबाद पुलिस की मदद से सेंटर के अंदर बेटे को सुरक्षित देख उनकी सांस में सांस आई, जिसके बाद हिमांशु शेखर ने नोएडा पुलिस को साइबर ठगी के लिए शिकायत दर्ज करवाई है।

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वॉइस क्लोनिंग के जरिये ठगी के और भी ऐसे मामले सामने आ रहे है। हिमांशु शेखर के ही एक साथी राजेश गर्ग को साइबर जालसाजों ने इसी तरह संपर्क कर ठगी को अंजाम दिया। उनसे भी 30000 रुपये की ठगी कर ली। राजेश के मुताबिक, उनको भी कॉल आया, जिसमें खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए एक शख्स ने उनके बेटे को पकड़ने की बात कही। व्हाट्सएप प्रोफाइल पर पुलिस की ड्रेस में फ़ोटो भी लगाया हुआ था। उनको भी बेटे से बात करवाने की बात कहकर जालसाजों ने वॉइस क्लोनिंग के जरिये बात करवाई क्योंकि राजेश का बेटा हैदराबाद में था, इसलिए वो डर गए और तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दिए। पीड़ितों के मुताबिक, ऐसे कॉल उनके दफ्तर के कई लोगों को आ चुके हैं।

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