CBI Report: आम्रपाली ग्रुप के MD अनिल शर्मा के खिलाफ मर्डर का मुकदमा, 8 साल पहले हुई थी हत्या

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Murder In Bihar: बिहार के लखीसराय (Lakhisarai) में बालिका विद्यापीठ के सचिव डॉक्टर शरद चंद्र की साल 2014 में हत्या (Murder) हुई थी। उन्हें स्कूल (School) परिसर में मौजूद उनके ही घर में घुसकर गोली मारी गई थी। बिहार में हुई उस सनसनीखेज हत्या के सिलसिले में नोएडा और NCR में नामी बिल्डर (Builder) के तौर पर मशहूर हो चुके आम्रपाली ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल शर्मा के खिलाफ मर्डर का मामला दर्ज किया गया है।

असल में इस हत्याकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI ने उस वक्त अपने हाथ में लिया था जब पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में गहराई से जांच करने का आदेश दिया था। सीबीआई की तफ्तीश का खुलासा कहता है कि हत्या की वो वारदात असल में स्कूल की ज़मीन पर कब्जा करने की गरज से हुई थी।

इस मामले में सीबीआई की तफ्तीश कहती है कि आम्रपाली ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल शर्मा के साथ साथ छह और लोग भी हत्या की इस वारदात में शामिल थे।

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केंद्रीय जांच एजेंसी यानी सीबीआई ने अपनी छानबीन में पाया है कि आम्रपाली ग्रुप के MD अनिल शर्मा ने राजेंद्र प्रसाद सिंघानिया, डॉक्टर प्रवीण कुमार सिन्हा, श्याम सुंदर प्रसाद और शंभु शरण के साथ मिलकर ही बालिका विद्यापीठ के ट्रस्ट की ज़मीन हड़पने की पूरी प्लानिंग की और इन सभी ने मिलकर उस ट्रस्ट को हड़प भी लिया था।

Bihar Crime News: सीबीआई की तफ्तीश कहती है कि शरत चंद्र को 2 अगस्त 2014 की सुबह 6.30 बजे उस वक़्त गोली मारी गई थी जब वो घर में बैठकर अखबार पढ़ रहे थे। छानबीन का खुलासा ये भी है कि शरत चंद्र पर ये हमला पहला हमला नहीं था बल्कि पहले भी उन पर जानलेवा हमला हुआ था।

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और ये उस वक़्त की बात है जब अनिल शर्मा और उसके साथियों ने ट्रस्ट को हड़पने के बाद स्कूल चलाने में गड़बड़ियां शुरू की तो शरत चंद्र ने उन पर सवाल खड़े कर दिए थे। शरत चंद्र के सवाल खड़े करने से अनिल शर्मा इस कदर बौखला गए थे कि उन्होंने न सिर्फ उन्हें धमकाया बल्कि उन पर जान लेवा हमला भी करवाया।

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इतना ही नहीं इन सभी के इशारे पर ही शरत चंद्र के घर को ढहा भी दिया गया था। इसके बाद उन्हें गोली मारकर हमेशा हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दी।

Murder Case Report: ये बात गौर तलब है कि अनिल शर्मा इस वक्त बैंक धोखाधड़ी के कई मामलों के मुकदमों का सामना कर रहे हैं। जांच में ये बात भी सामने आ गई है कि जिस साल यानी 2014 में जब ये हत्या हुई थी तभी कुछ ही दिनों के बाद पुलिस ने इनमें से एक आरोपी डॉक्टर प्रवीण कुमार सिन्हा को गिरफ्तार भी कर लिया था।

तब अदालत में डॉक्टर प्रवीण सिन्हा ने खुद को बेकसूर बताते हुए ये दलील दी थी कि उनकी प्रतिष्टा को धूमिल करने के लिए ही उनके खिलाफ साज़िश के तहत ये इल्ज़ाम लगाए गए हैं।

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