Rahul Gandhi ED Case : नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस क्या है? ED इस वजह से राहुल से कर रही है पूछताछ

SUNIL MAURYA

22 Jun 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:20 PM)

What is Rahul Gandhi ED Case : जिस नेशनल हेराल्ड न्यूजपेपर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में कांग्रेस लीडर (congress Leader) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से ED पूछताछ कर रही है.

CrimeTak
follow google news

Rahul Gandhi ED Case : नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से ED लगातार पूछताछ कर रही है. अब तक 5 दिन में करीब 50 घंटे से ज्यादा देर तक पूछताछ की गई. राहुल गांधी से सवाल पूछे गए. एक हफ्ते के भीतर राहुल गांधी से 5 दिन पूछताछ हो चुकी है.

यानी हर दिन औसतन 10 घंटे पूछताछ हुई. इस दौरान राहुल गांधी ने मां सोनिया गांधी की खराब तबीयत का हवाला देकर भी कुछ दिनों की राहत मांगी थी. पर राहुल गांधी को सिर्फ एक दिन की राहत मिली थी. इसके बाद ईडी ने 21 जून को पूछताछ के लिए फिर बुला लिया था.

यह भी पढ़ें...

ED अधिकारियों के सूत्रों के मुताबिक, गांधी परिवार से कई वजहों को लेकर पूछताछ की जा रही है. बता दें कि नेशनल हेराल्ड (National Herald) केस में ED ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉंड्रिंग एक्ट की धारा-50 के तहत पूछताछ की है.

What is National Herald Case : सबसे पहले ये जान लीजिए कि नेशनल हेराल्ड अखबार पर कांग्रेस पार्टी का मालिकाना हक है. असल में 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की स्थापना की थी. उसी संस्था के तहत तीन अखबारों का प्रकाशन शुरू किया गया था. ये तीनों अखबार थे कि नवजीवन, उर्दू का अखबार क़ौमी आवाज़ और अंग्रेजी का अखबार नेशनल हेराल्ड. लेकिन साल 2008 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के बोर्ड ने अखबार न छापने का फैसला किया.

कहा जाता है कि साल 2010 में कांग्रेस ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाई जिसमें कांग्रेस ने 50 लाख रुपये का निवेश किया था. कंपनी का मकसद लाभ कमाने का नहीं था. और इस कंपनी में 76 फीसदी की हिस्सेदारी राहुल गांधी और उसकी मां सोनिया गांधी की थी.

जबकि बाकी बचे 24 फीसदी के हिस्से पर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिज़ का अधिकार था. और इत्तेफ़ाक़ से अब ये दोनों ही इस दुनिया में नहीं हैं. यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण किया था. सुमन दुबे और सैम पित्रौदा को इस YIL का निदेशक बनाया गया था. यहां तक सब ठीक था.

इसके बाद साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले को लेकर अदालत पहुँच गए. उन्होंने एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की. ये दावा किया कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार छापने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखा किया है. याचिका में दावा किया गया था कि महज 50 लाख रुपये लगाकर 90 करोड़ रुपये की वसूली की गई है.

सुब्रमण्यम स्वामी ने इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी थर्ड पार्टी के साथ पैसों का लेन देन नहीं कर सकती. स्वामी का दावा था कि कांग्रेस ने पहले यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया और फिर उन्हीं पैसों से कंपनी AJL का अधिग्रहण कर लिया. आरोप ये भी लगा कि अकाउंट बुक्स में हेराफेरी करके उस रकम को ही 50 लाख में तब्दील कर दिया गया और 89 करोड़ 50 लाख रुपये हड़प कर लिए

    follow google newsfollow whatsapp