ओडिशा ट्रेन हादसे में CBI के सामने 3 गहरी साजिश, 10 साल में 500 करोड़ का रेलवे को नुकसान, पढ़िए पूरी पड़ताल

SUNIL MAURYA

07 Jun 2023 (अपडेटेड: Jun 7 2023 5:00 PM)

odisha train accident CBI : ओडिशा ट्रेन हादसे की CBI जांच शुरू हो चुकी है. लेकिन सीबीआई कितनी सफल होगी. क्या पहले कभी CBI या NIA ट्रेन हादसे की जांच में सफल रही है. जानिए इस रिपोर्ट से...

How Odisha Train accident

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Odisha Train Accident : ओडिशा में ट्रिपल ट्रेन हादसा. अब तक कुल 288 की मौत. 1100 से ज्यादा लोग घायल. मरने वाले 81 लोगों की पहचान अभी तक बाकी. साथ ही बाकी इस हादसे की साजिश रचने वालों की पहचान भी है. उन लोगों की पहचान भी अभी बाकी है जिनकी गलती से रेलवे का ये काफी बड़ा हादसा हुआ. अब सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है. लेकिन सवाल वही कि क्या सीबीआई किसी नतीजे तक पहुंचेगी. बेशक सीबीआई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी है. लेकिन इसके इतिहास पर नजर डालें तो बड़े बड़े केस में इसकी जांच काफी हद तक ठंडी पड़ जाती है.  

ऐसा नहीं कि सीबीआई किसी रेल हादसे की पहली बार जांच करने वाली है. इससे पहले दो रेल हादसों की जांच कर चुकी है. लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. लेकिन ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में अब तक सबसे ज्यादा मौत हुई है. जिसकी सीबीआई ने जांच शुरू की है. इसमें तमाम पहलुओं पर जांच करने की तैयारी है. आगे जानेंगे कि आखिर किन 3 पहलुओं पर सीबीआई को ज्यादा फोकस करने की जरूरत पड़ेगी.  

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Odisha Coromondel express Train Accident photos 

 

पहले जानते हैं कि आखिर सीबीआई के लिए ओडिशा ट्रेन हादसा क्यों है बड़ी चुनौती 

 

Train Accident CBI Investigation : सीबीआई ने बालासोर से पहले ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन (Jnaneswari Express Train) हादसे की जांच की थी. ये हादसा वेस्ट बंगाल में हुआ था. इसमें 148 लोगों की मौत हुई थी. ये हादसा साल 2010 में हुआ था. इसकी जांच सीबीआई ने की थी. इसमें कई माओवादी लिंक मिला था. सीबीआई ने शक के आधार पर कई संदिग्ध माओवादियों को अरेस्ट किया था. लेकिन 12 साल बाद भी अभी तक इस जांच की फाइनल रिपोर्ट नहीं आ सकी है. उस समय की तत्कालीन रेल मंत्री और अभी की वेस्ट बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि रेल हादसे की जांच के लिए कमिशन ऑफ रेलवे सेफ्टी ही काफी है. सीएम ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि पहले जिन दो हादसों की सीबीआई ने जांच की उसमें क्या नतीजा रहा. उन्होंने 2020 में हुए ज्ञानेश्वरी रेल हादसे का जिक्र करते हुए कहा कि अब 12 साल बीत जाने के बाद भी सीबीआई उस केस में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. ऐसे में जिसमें अब तक सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है लिहाजा, इस केस में भी सीबीआई कैसे किसी नतीजे पर पहुंचेंगी इसकी उम्मीद कम ही है. 

 

Odisha Coromondel express Train Accident photos 

रेल हादसों की जांच में बड़ी एजेंसियां फेल साबित हुईं, NIA भी फेल रही 

 

Rail Accident NIA : अगर रेल हादसों की जांच की बात करें तो नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA भी काफी हद तक फेल साबित हुई है. कानपुर में इंदौर पटना एक्सप्रेस ट्रेन नवंबर 2016 में पटरी से उतर गई थी. इस हादसे में करीब 150 लोगों की मौत हुई थी. इसकी जांच NIA को दी गई थी. इसमें भी किसी गहरी साजिश की आशंका को देखते जांच एनआईए को दी गई थी. इस केस में उस समय के तत्कालीन रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने गृहमंत्री को एनआईए से जांच कराने की मांग की थी. इसके बाद एनआईए ने जांच शुरू की लेकिन इसमें अभी तक कोई चार्जशीट नहीं पेश हो सकी है. इस पूरे मामले को अब खुद पूर्व मंत्री और कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने भी ट्वीट किया है.  

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बालासोर ट्रेन हादसे की जांच में CBI की नजर इन 3 गहरी साजिश पर

 

1- इंटरलॉकिंग सिस्टम और फेल-सेफ दोनों में एक साथ कैसे हुई गड़बड़ी? 

 

अभी तक की शुरुआती पड़ताल में इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी होने का दावा किया जा रहा है. ये कहा जा रहा है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ से ही कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन मेन लाइन से लूप लाइन में चली गई. वहां लूप लाइन में पहले से खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. लेकिन कंप्यूटराइज्ड सिस्टम में इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ या गड़बड़ी होते ही एक ऑटो कमांड दिया गया है. इसके तकनीक के जरिए जैसे ही इंटरलॉकिंग सिस्टम फेल होता है तो ऑटोमेटिक एक नया सिस्टम ‘फेल-सेफ’ शुरू हो जाता है. यानी इंटरलॉकिंग सिस्टम के फेल होने या गड़बड़ी होने पर फेलसेफ सिस्टम को एक्टिव होना था. इसके एक्टिव होते ही इंटरलॉकिंग सिस्टम से जुड़ ट्रैक के सभी सिग्नल ऑटोमेटिक रेड हो जाते हैं. लेकिन बालासोर ट्रेन हादसे में फेल-सेफ सिस्टम भी एक तरह से फेल हो गया. जिसकी वजह से उस ट्रैक के सिग्नल ग्रीन ही रह गया और ये हादसा हो गया.  

सवाल- आखिर इंटरलॉकिंग सिस्टम के खराब होने पर ही हादसे को रोकने के लिए फेल सेफ सिस्टम एक्टिव होता है. लेकिन ये एक साथ इत्तेफाक नहीं हो सकता कि दोनों सिस्टम एक साथ फेल हो जाएं. अब फेल-सेफ सिस्टम का एक्टिव होना एक कंप्यूटराइज्ड सिस्टम है. जिसे अचानक या बिना साजिश के खराब नहीं किया जा सकता है. इसलिए इसे बड़ी साजिश मानकर जांच की जा रही है. 

 

Odisha Coromondel express Train Accident photos 

2- कहीं सिग्नल लोकेशन बॉक्स की गड़बड़ी से हादसा तो नहीं 

 

जिस बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास ये ट्रेन हादसा हुआ था उस जगह पर रेलवे क्रॉसिंग का एक बूम बैरियर के खराब होने की बात सामने आई थी. उस बूम बैरियर की रिपेयरिंग का काम भी चल रहा था. उसी समय कोरोमंडल ट्रेन वहां से गुजर रही थी. ऐसे में आशंका इस बात की भी है कि काम की जल्दबाजी या गड़बड़ी से सिग्नल वाले लोकेशन बॉक्स में अचानक कोई तकनीकी खराबी आ गई है. या फिर उस बॉक्स को नुकसान पहुंचा हो. जिसकी वजह से लोकेशन बॉक्स में मैनुअली बदलाव हो गया. जिसके चलते इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में गड़बड़ी आ गई हो. जिसके चलते मेन लाइन से ट्रैक बदलकर लूप लाइन में चला गया.  

 

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3- साइबर हैकिंग के एंगल से भी जांच हो सकती है 

 

Train Accident Cyber Attack : इस पूरे ट्रेन हादसे में कुछ मैनुअली गड़बड़ी हुई है तो कुछ साइबर हैकिंग वाला एंगल भी हो सकता है. क्योंकि ये महज संयोग या इत्तेफाक नहीं हो सकता है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम और फेल सेफ सिस्टम दोनों एक साथ फेल हो जाएं. इंटरलॉकिंग सिस्टम में मैनुअल छेड़छाड़ की आशंका है लेकिन फेल-सेफ सिस्टम में कंप्यूटराइज्ड तरीके से गड़बड़ी ही की जा सकती है. ऐसे में आशंका साइबर अटैक वाले एंगल की भी हो सकती है. हालांकि, इससे पहले कभी कोई ऐसा केस सामने नहीं आया है. फिर भी पूरी दुनिया में कई बार ट्रेन हादसों के पीछे साइबर अटैक होने की आशंका जताई जा चुकी है. इसे देखते हुए इस एंगल से भी जांच हो सकती है. 

 

How Odisha Train accident : कैसे पहले कोरोमंडल ट्रेन मालगाड़ी से टकराई

कैसे हुआ था ओडिशा ट्रेन हादसा 

 

How Odisha Train accident : 2 जून की शाम करीब 6 बजकर 55 मिनट पर ओडिशा के बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन की लूप लाइन में दो मालगाड़ी खड़ीं थीं. इस बहानगा बाजार स्टेशन पर 4 लाइनें हैं. दो सीधी मेन लाइन और दो लूप लाइन. उस दिन दो मालगाड़ी लूप लाइन में खड़ीं थीं. उसी समय हावड़ा से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन मेन लाइन में आ रही थी. सिग्नल ग्रीन था. लिहाजा, ट्रेन पायलट अपनी स्पीड में था. करीब 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार थी. ट्रेन पूरी तरह से मेन लाइन में थी लेकिन अचानक लूप लाइन में ट्रैक बदल गया.  

जिसकी वजह से ख़ड़ी मालगाड़ी से कोरोमंडल ट्रेन टकरा गई. इसके डिब्बे एक दूसरे से टकराकर दूसरी पटरी की तरफ आ गए. इत्तेफाक ये था कि उसी समय दूसरी मेन लाइन से बेंगलुरू हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन गुजर रही थी. उसके ज्यादातर डिब्बे हादसे वाले स्थान से आगे जा चुके थे. लेकिन आखिरी के दो डिब्बे हादसे वाली ट्रेन के कोच से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई. इस तरह कुल मिलाकर बालासोर में कुल 3 ट्रेनों के बीच टक्कर हुई. जिसमें अब तक कुल 288 लोगों की मौत होने की खबर है.  

How Odisha Train accident : मालगाड़ी से टक्कर के बाद कोरोमंडल ट्रेन के डिब्बे दूसरी लाइन की ट्रेन के आखिरी दो डिब्बों से टकराई

 

पिछले 10 साल में ट्रेन हादसों से 500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान 

2022 में CAG यानी कैग ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010-11 से लेकर 2019-20 यानी पूरे 10 साल में ट्रेन हादसों से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इस रिपोर्ट में हर साल हुए नुकसान का आंकड़ा दिया गया है. इसमें कुल मिलाकर 505 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी का रेलवे का नुकसान हुआ है. साल 2010 में करीब 60 करोड़ का नुकसान हुआ था तो सबसे ज्यादा 2011-12 में करीब 87.38 करोड़ का नुकसान हुआ था. देखें ये रिपोर्ट... 

Train accident : पिछले 10 साल में ट्रेन हादसों में नुकसान हुए 500 करोड़ रुपये से ज्यादा

रेलवे सुरक्षा पर हर बार कम हो रही है फंडिंग

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे सुरक्षा पर हर साल बजट कम होता जा रहा है. रेलवे में सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष ( RRSK) बना है. इसके जरिए ट्रैक रिनुअल के लिए 2018-19 में कुल फंड 9607.65 करोड़ रुपये था. लेकिन ये फंड 2019-20 में कम होकर मात्र 7417 करोड़ रह गया. यानी करीब इसमें 2400 करोड़ रुपये की कमी की गई. कैग रिपोर्ट में इस बात पर और हैरानी जताई गई है कि रेलवे सेफ्टी पर जितना बजट निर्धारित किया गया था उसे भी पूरा खर्च नहीं किया जा सका. 

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