कोर्ट की तारीख से पैदल अपने घर लौट रही थीं दो बहनें, तेज रफ्तार कार ने दो बहनों को रौंदा, पति ने कोर्ट में ना जान की दी थी धमकी

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कोर्ट की तारीख से पैदल अपने घर लौट रही थीं दो बहनें, तेज रफ्तार कार ने दो बहनों को रौंदा, पति ने कोर्ट में ना जान की दी थी धमकी
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UP News: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां कोर्ट की तारीख से लौट रही दो बहनों को उनके जेठ ने कार से कुचलने की कोशिश की. यह घटना तब घटी जब दोनों बहनें पैदल अपने घर लौट रही थीं. इससे पहले, उनके पति और जेठ ने उन्हें कोर्ट में हाजिर होने पर जान से मारने की धमकी दी थी. इस मामले ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. फिलहाल, दोनों बहनें अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं, और उनकी हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है.

 तेज रफ्तार कार ने दो बहनों को मारी टक्कर

घटना के शिकार होने वाली बहनों में से एक, समरीन और उसकी छोटी बहन, बुलंदशहर की आवास विकास कॉलोनी में किराए के मकान में रहती हैं. उनके बयान के अनुसार, समरीना के पति और जेठ ने उन्हें कार से कुचलने की धमकी दी थी. उनका कहना है कि कोर्ट में हाजिर होने पर उन्हें जान से मारने की पहले से चेतावनी दी गई थी. इसी चेतावनी को अंजाम देने के लिए जब वे कोर्ट से वापस लौट रही थीं, तो उन पर यह जानलेवा हमला किया गया. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज को आधार बनाकर जांच आगे बढ़ाई जा रही है.

पति और जेठ पर लगाया हमला करने का आरोप

समरीना का अपने पति से पारिवारिक विवाद चल रहा है, और इसी विवाद के चलते मामला कोर्ट में पहुंचा था. कोर्ट में तारीख के दौरान ही समरीन के जेठ ने उन्हें कुचलने की धमकी दी थी. इसके अलावा, समरीन का अपने मायके वालों से भी विवाद चल रहा है. उसके मायके और ससुराल दोनों ही सिकंदराबाद के गद्दीवाड़ा इलाके में स्थित हैं. इस घटना के बाद, पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं और उन्हें जल्द ही जेल भेजे जाने का आश्वासन दिया है.

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इस घटना ने न सिर्फ बुलंदशहर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह घटना दिखाती है कि किस प्रकार व्यक्तिगत विवादों में महिलाएं हिंसा का शिकार हो रही हैं, और उनके खिलाफ अपराध करने वाले बिना किसी डर के खुलेआम धमकियां दे रहे हैं. सवाल उठता है कि जब पीड़िताओं को पहले ही धमकी दी गई थी, तो सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए थे? यह मामला कानून-व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया की विफलता की ओर भी इशारा करता है, जहां पीड़िताओं को न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

 

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