आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बना साइबर अपराधियों का नया हथियार, डीपफेक स्वैपिंग टेक्नॉलॉजी से लाखों की ठगी

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जांच में जुटी पुलिस
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लखनऊ से आशीष श्रीवास्तव की रिपोर्ट

UNIIQUE CYBER CRIME: देश दुनिया में नए नए तरीके से साइबर फ्रॉड हो रहे हैं। हाल ही साइबर क्रिमिनल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके क्लोन कॉलिंग कर ठगी की वारदातों को अंजाम दिया। अब ये साइबर क्रिमिनल क्लोन कॉलिंग से हटकर वीडियो कॉल के जरिए ठगी कर रहे हैं। आर्टिफिशल इंटेलीजेंस टूल का इस्तेमाल करके ही डीपफेक स्वैपिंग टेक्नॉलॉजी के माध्यम से वीडियो कॉल कर रहे हैं और वीडियो कॉल के माध्यम से यह भरोसा दिला दे रहे हैं कि वाकई वह उनका जानने वाला दोस्त,रिश्तेदार है। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ठगी

इतना ही नही इमोशनल ब्लैकमेल करके इमरजेंसी के नाम पर लाखों रुपए हड़प ले रहे हैं। ऐसा ही मामला लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में सामने आया है। जहां साइबर ठग ने आशीष सिंह नामक व्यक्ति से देढ़ लाख रुपए की ठगी कर ली। वो भी वीडियो डीपफेक फेस स्वैपिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से की गई। साइबर ठगों ने पीड़ित आशीष के दोस्त का नकली चेहरा बनाया और वीडियो कॉल की। मिली जानकारी के मुताबिक आशीष के पास उसके दोस्त की वीडियो कॉल आई जो कि महज कुछ सेकंड की थी,जिसमें उसने इमरजेंसी बताकर 1.5 लाख रुपए की मांग की और फिर फोन कट कर दिया और फिर आशीष ने अपना दोस्त समझकर पैसे ट्रांसफर कर दिए लेकिन उसको ठगी का एहसास तब हुआ जब उसने अपने दोस्त के पास कॉल करके पूछा कि अचानक ऐसी क्या इमरजेंसी आ गई। तब जाकर साइबर अपराध का खुलासा हुआ और आशीष को पता चला कि उसके पास जो वीडियो कॉल आई थी वह उसके साथी की नहीं बल्कि साइबर ठगों की थी। 

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ठगी

 

वीडियो कॉल की डीपफेक फेस स्वैपिंग टेक्नोलॉजी 

एसपी साइबर क्राइम प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने आज तक को बताया कि इस तरीके की घटनाएं सुनने में आ रही है खासकर साऊथ व केरल में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश के लखनऊ से भी ऐसी घटना सामने आई है। डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है जोकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड टेक्नोलॉजी है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यूज करके किसी की भी आवाज का इस्तेमाल किया जा सकता है। अब तो वीडियो क्लोनिंग करके सिंथेसिस वीडियो बना सकते हैं। सिंथेटिक वीडियो कॉल का इस्तेमाल करके साइबर अपराधी ठगी का काम कर रहे हैं। साइबर ठग सहकर्मी बनाकर या जानने वाला बनकर उन लोगों के पास फोन करते हैं जिनसे और जिनके नाम पर ठगी करनी होती है फिर कुछ सेकंड का वीडियो कॉल करके फोन कट कर देते हैं और तब तक लोगों को विश्वास हो जाता है कि किसी जानने वालों ने ही फोन किया था और फिर इतने में कभी कभी दोस्त और जानने वाला बनकर क्लोन नॉर्मल कॉल करते हैं और फिर ठग लेते हैं।  

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साइबर क्रिमिनल की क्लोन कॉलिंग से बचना

 

साइबर क्रिमिनल की क्लोन कॉलिंग से बचना

प्रोफेसर त्रिवेणी बताते हैं कि,वीडियो और आवाज की क्लोनिंग करके जब कॉल किया जाता है तो उस वक्त सावधान रहना चाहिए क्योंकि अगर आप ध्यान देकर थोड़े से सचेत हो जाएंगे तो जो वीडियो कॉल आती है उसे देखकर आप समझ जाएंगे कि वीडियो कॉल बनावटी है क्योंकि लिप्स और फेस के एक्सप्रेशन बनावटी नजर आते हैं। ऐसे में सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पैसा मांगते हैं। ऐसे में कई लोगों से बात करके नंबर वेरीफाई करना चाहिए जिस नंबर पर कॉल आया है। जो चेहरा स्क्रीन पर दिखा है उसकी तस्दीक करने के लिए पहले अपने मोबाइल के कॉन्टैक्ट डिटेल में जाकर उसे व्यक्ति को कॉल करलें जिसका वीडियो कॉल या फोन आया है। साथ ही शक होने पर उससे अपने जानने वालों से संबंधित क्रॉस क्वेश्चन करें जिसका हुलिया बनाकर उसने कॉल किया है तो वह ठग पकड़ में आ सकता है।

 

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