सहमति से बने संबंधो में नाबालिग लड़की बनी मां, कोर्ट ने FIR रद्द करते हुए कहा- 'प्यार, कानून को ध्यान में रखकर नहीं होता'
Rajasthan High Court News: सहमति से बने संबंधो में नाबालिग लड़की बनी मां, कोर्ट ने FIR रद्द करते हुए कहा- प्यार कानून को ध्यान में रखकर नहीं होता, Read Crime stories in Hindi, क्राइम न्यूज़ on Crime Tak
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Rajasthan Crime News: राजस्थान हाई कोर्ट ने जोधपुर (Jodhpur) में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि देव नगर पुलिस द्वारा रेप और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत दर्ज की गई FIR को रद्द कर दिया जाए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गजेंद्र पवार ने कहा कि नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में बालिग युवक को जोधपुर की देव नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में अगस्त 2022 में एक नाबालिग लड़की ने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन इस दौरान अस्पताल प्रशासन द्वारा आधार कार्ड मांगा गया, जिसमें नाबालिग लड़की की उम्र 16 वर्ष थी. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी और नाबालिग पीड़िता के बच्चे के जन्म के कारण पुलिस ने वयस्क को पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया, हालांकि इस मामले में किसी ओर से पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई, देवनगर पुलिस ने खुद केस दर्ज कर लिया.
Rape Case Judgement: लेकिन बालिग युवक द्वारा मामले को निपटाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में एक याचिका दायर की गई और दोनों परिवारों की ओर से न्यायालय से कहा गया कि वे इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. नाबालिग द्वारा पहले 161 से 164 में दिए गए बयान के बाद कोर्ट में माना कि याचिकाकर्ता से उसकी सहमति से उसके संबंध थे और उससे एक बच्चा भी पैदा हुआ था, इस पर जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने रद्द करने का आदेश दिया.
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पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज की गई FIR वकील गजेंद्र पवार ने कहा कि मेरी याचिकाकर्ता और नाबालिग के बीच प्रेम संबंध था, जिससे नाबालिग गर्भवती हो गई थी, जिस पर पुलिस ने उनकी ओर से मामला दर्ज किया था, जबकि दोनों परिवारों के बीच आपसी समझौता हो गया था और दोनों परिजन नहीं चाहते थे कि याचिकाकर्ता को सजा मिले. और इस एफआईआर को लेकर दोनों के परिजन राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में पेश हुए और कहा कि हम इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं.
Rape Case News: नाबालिग के माता-पिता ने भी कोर्ट में कहा कि हम अपने सामाजिक दबाव के कारण बच्चे को गोद नहीं ले रहे हैं और पिछले 2 महीने से नाबालिग ने बेटे को जन्म दिया है, वह नर्सरी में है और मां का दूध भी नहीं पी रही है. दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद कहा गया कि नाबालिग पीड़िता के 18 वर्ष की होने पर युवक शादी करने को तैयार है और दोनों पक्षों ने कोर्ट को बताया कि FIR नाबालिग नवजात बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखकर की गई है. निरस्त किया जाना चाहिए ताकि भविष्य सुरक्षित रहे.
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राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर के जस्टिस दिनेश मेहता ने उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि अगर मामले को आगे बढ़ाया जाता है तो याचिकाकर्ता को 10 साल की सजा हो सकती है, लेकिन इसका सीधा असर दोनों परिवारों पर पड़ेगा. वह मासूम बच्ची भी प्रभावित होगी, जबकि मामले में परिवार के दोनों सदस्यों ने उन्हें माफ कर दिया है, ऐसे में जब भी नाबालिग 18 साल की हो जाती है, याचिकाकर्ता और नाबालिग एक-दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हो जाते हैं, ऐसे में POCSO के तहत मामला दर्ज किया गया है. मामला खारिज किया जाता है
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