22 मिनट तक हवा में लटक कर सफर करने वाले एक पायलट की दिल दहलाने वाली दास्तां

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Shams Ki Zubani: इस क़िस्से को जिसने भी सुना उसकी रूह कांप उठी। कोई भी इंसान सपने में भी ऐसा होने की कल्पना तक नहीं कर सकता। जैसा एक पायलट ने अपनी ज़िंदगी में कर दिखाया। ये क़िस्सा उसी पायलट का है जिसने पूरे 20 मिनट तक प्लेन में लटक कर ज़मीन से क़रीब 17 हज़ार फीट की ऊंचाई पर सफर किया।

ये क़िस्सा 10 जून 1990 का है। उस रोज सुबह के क़रीब 8 बजे मौसम पूरी तरह से साफ था। इंग्लैंड के बर्मिंघम से स्पेन के शहर मलाना जाने वाली ब्रिटिश एयरवेज़ की फ्लाइट 5390 A उड़ान की कमान तजुर्बेकार पायलट और उस प्लेन के कैप्टन टिमोथी लैंकास्टर के हाथ में थी। करीब 11500 घंटे की उड़ान का तजुर्बा रखने वाले कैप्टन टिमोथी बेहद खुशमिज़ाज और मिलनसार पायलट थे। उस फ्लाइट में टिमोथी के कोपायलट थे एलिसन। वो भी कम तजुर्बेकार नहीं थे। हवा में हवाई जहाज़ को संभालने का उन्हें भी क़रीब 7500 घंटे का अनुभव उनके पास भी मौजूद था। इन दोनों के अलावा चार क्रू मेंबर के साथ साथ 87 मुसाफिर उस प्लेन में सवार थे।

Shams Ki Zubani: फ्लाइट 5390 A अपने तय समय पर टेकऑफ होती है। जिस वक़्त प्लेन ने टेकऑफ किया था उस वक़्त कोपायलट एलिसन प्लेन की कमान संभाल रहे थे। टेकऑफ होने के बाद प्लेन धीरे धीरे अपने पूरे शेड्यूल के मुताबिक आसमान में ऊँचाई हासिल करने लगता है और क़रीब 13 मिनट गुज़रने के बाद ये फ्लाइट क़रीब 17500 फीट की ऊंचाई पर पहुँच जाता है। प्लेन के भीतर कमान संभाल रहे एलिसन देखते हैं कि प्लेन में सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा है। क्रू मेंबर मुसाफिरों के साथ हंसी मज़ाक के बीच उनकी ज़रूरतों का ख्याल रख रहे हैं उन्हें ड्रिंक और फूड आइटम सर्व कर रहे हैं।

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आसमान पर प्लेन को बैलेंस मोड पर लाकर एलिसन मुसाफिरों के लिए एक अनाउंसमेंट करते हैं कि सभी अपनी सीट बेल्ट खोल सकते हैं। और उधर पायलट एलिसन प्लेन की कमान भी कैप्टन टिमोथी लैंकास्टर के हवाले कर देते हैं। प्लेन को अपनी रफ़्तार पर स्थिर करने के बाद कैप्टन टिमोथी अपनी लेग बेल्ट भी खोलकर खुद को पूरी तरह से रिलैक्स कर देते हैं। सब कुछ ठीक ठाक था।

Shams Ki Zubani: लेकिन उड़ान भरने के ठीक 13 मिनट और 17 सेकंड के बाद यानी क़रीब 8 बजकर 33 मिनट पर कॉकपिट से अचानक एक तेज़ी से धमाके की आवाज़ आती है। उस आवाज़ को सुनकर पूरे प्लेन में सन्नाटा छा जाता है। और एक अजीब सा डर प्लेन में मौजूद तमाम मुसाफिरों के चेहरों पर नुमाया हो जाता है। क्रू मेंबर पर इस धमाके की आवाज़ को सुनकर बुरी तरह से डर जाते हैं। प्लेन के भीतर हंसी खुशी का माहौल अचानक चीख पुकार में तब्दील हो जाता है।

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धमाके की आवाज़ के साथ ही प्लेन पूरी तरह से हवा में डगमगाने लगता है। जो प्लेन अभी तक अपनी स्मूथ फ्लाई का मज़ा दे रहा था वही प्लेन अब इस वक़्त हिचकोले खाने लगता है जिसकी वजह से तमाम मुसाफिर घबराहट में चीखने और चिल्लाने लगते हैं। एक अजीब सा दहशत का माहौल बन जाता है।

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इसी बीच क्रू मेंबर में से एक तमाम मुसाफिरों के बीच से होता हुआ कॉकपिट की तरफ भागता है, ये पता लगाने के लिए कि आखिर हुआ क्या। ये धमाका किस चीज का था और क्यों ये धमाका हुआ।

Shams Ki Zubani: कॉकपिट के भीतर का मंज़र देखकर फ्लाइट अटैंडेंट की भी चीख निकल पड़ी। उसने देखा कि सामने की विंड स्क्रीन ग़ायब है और साइड पैनल भी अपनी जगह से नदारद है। और प्लेन के कैप्टन टिमोथी का आधा शरीर प्लेन के बाहर और आधा शरीर प्लेन के भीतर। यानी उनका सिर वाला हिस्सा प्लेन के बाहर और नीचे पैरों वाला हिस्सा प्लेन के भीतर। असल में टिमोथी का पैर उनकी सीट में बुरी तरह फंस गया था जिसकी वजह से हवा के तेज़ दबाव के बावजूद वो पूरी तरह से प्लेन से बाहर नहीं निकल सके थे। वर्ना शायद वो हवा की उस रफ़्तार में उड़ भी सकते थे।

फ्लाइट अटेंडेंट को बात समझते देर नहीं लगी कि प्लेन के वैक्यूम को तोड़कर हवा का तेज प्रेशर प्लेन में क्रिएट हो चुका है जिसकी वजह से प्लेन हिचकोले खा रहा है। और इस डगमगाते प्लेन को इतनी ऊंचाई पर इतनी रफ़्तार के बीच और इतने तेज़ और भारी हवा के दबाव में संभालना मुश्किल ही नहीं क़रीब क़रीब नामुमकिन होता है।

Shams Ki Zubani: प्लेन उस वक़्त 600 मील की रफ़्तार से उड़ान भर रहा था। ऊंचाई क़रीब 17500 फीट थी और तापमान क़रीब माइनस 17 डिग्री था। और इस हालात में प्लेन का मेन कैप्टन आधा प्लेन के बाहर लटक रहा और आधा प्लेन के भीतर फंसा हुआ। फ्लाइट अटैंडेंट इस मंजर को देखकर बुरी तरह घबरा जाता है। तभी कॉकपिट में कोपायलट एलिसन वहां पहुँच जाते हैं और मंज़र को देखकर उनकी भी हालत ख़राब हो जाती है। कॉकपिट का आलम ऐसा था मानों वहां तूफान आया हुआ है। कॉकपिट में जो कुछ भी बेल्ट से नहीं बंधा था वो सब कुछ या तो कॉकपिट में तेज़ हवा के झोंकों में इधर उधर उड़ रहा था या फिर विंड स्क्रीन से बाहर निकल रहा था।

बदहवासी के इस आलम में कोपायलट ने तुरंत फैसला किया और प्लेन को ऑटोपायलट मोड में डाल दिया। इसके बाद खुद को अपनी सीट के साथ बांध दिया फिर आधे बाहर लटके पायलट को पैर से पकड़ लिया। तेज़ हवा और गिरते तापमान के बीच डगमगाते प्लेन के कॉकपिट का मंज़र वाकई बेहद डरावना था। किसी भी चीज़ को संभालना मुश्किल हो गया था। इस बीच कॉकपिट में फ्लाइट अटैंडेंट भी पहुंच गए और वो भी कोपायलट की मदद करने लगे।

Shams Ki Zubani: लेकिन दो क्रू मेंबर लगातार मुसाफिरों का हौसला बढ़ाने में लगे रहे। क्योंकि वो जानते थे कि इस हालात में अगर मुसाफिर डर की वजह से इधर उधर भागने लगे तो हालात संभालने कतई मुश्किल हो जाएंगे।

इसी बीच प्लेन में एक और दुश्वारी पैदा हो गई। हवा के तेज़ प्रेशर की वजह से प्लेन में ऑक्सीजन की भी कमी हो गई लोगों को अब सांस लेने में तक़लीफ होने लगी थी। तब कोपायलट ने अपने तजुर्बे के मुताबिक फैसला किया और प्लेन को लगभग नोज़डाऊन करते हुए तेज़ी से नीचे लेकर आए। ताकि प्लेन में ऑक्सीजन की कमी को जैसे तैसे पूरा कर सकें।

कैप्टन टिमोथी अब भी उसी हाल में हैं आधे बाहर आधे भीतर। इसी बीच कोपायलट को महसूस हुआ कि टिमोथी के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही। यही ख़्याल किया कि इतने कम तापमान में और इतनी तेज़ हवा के बीच सांस लेना नामुमकिन है। ऐसे में कैप्टन के बचने की उम्मीद न के बराबर है। इसी बीच हवा के तेज़ दबाव और प्रेशर की वजह से कॉकपिट का दरवाजा भी उड़ गया। अब कॉकपिट का मंजर तमाम मुसाफिरों के सामने था। इस मंज़र को देखते ही मुसाफिर डर के मारे बुरी तरह से चीखने चिल्लाने लगते हैं।

Shams Ki Zubani: अब कोपायलट एलिसन ने एटीसी से कॉन्टेक्ट किया और एटीसी को पूरी बात बताई। ताकि आस पास के किसी भी हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग की जगह निकाली जा सके।

मगर यहां सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि पायलट एलिसन ने तो अपनी बात एटीसी को बता दी लेकिन एटीसी ने उन्हें क्या जवाब दिया वो सुन ही नहीं सके क्योंकि कॉकपिट में हवा का इतना शोर था कि उस शोर में सुना ही नहीं जा सकता था।

इस जद्दोजहद से जूझते हुए करीब 20 मिनट गुज़र गए। इसी बीच एक फ्लाइट अटेंडेंट की मदद से कोपायलट ने बैल्ट और पैर की मदद से विंड स्क्रीन के बाहर आधे लटके कैप्टन को पूरा अंदर खींच लिया। कैप्टन को अंदर लाकर जब चेक किया तो उनकी सांस चल रही थी लेकिन वो पूरी तरह से बेहोश हो चुके थे। उनका शरीर क़रीब करीब जम सा चुका था। उन्हें देखकर कोई भी पूरे यकीन से ये कह सकता था कि इनके बचने की कोई उम्मीद नहीं है।

Shams Ki Zubani: इसी बीच एटीसी को बात समझते देर नहीं लगी कि प्लेन के हालात क्या होंगे। तब एटीसी ने साउथेम्पटन एयरपोर्ट पर प्लेन को इमरजेंसी लेंडिंग की इजाज़त मिल गई। वक़्त करीब सुबह के 8 बजकर 55 मिनट पर कोपायलट ने बड़ी ही मुश्किल के बाद साउथेम्पटन एयरपोर्ट पर प्लेन को लैंड कराने में कामयाबी हासिल कर ली। एयरपोर्ट पर इंमरजेंसी सर्विस अलर्ट जारी हो चुका था लिहाजा सारी व्यवस्था हो चुकी थी। अपनी उड़ान भरने के क़रीब 35 मिनट के बाद एक प्लेन बिना विंड स्क्रीन और बिना लेफ्ट पैनल के एयरपोर्ट पर लैंड करता है।

प्लेन के लैंड होते ही सबसे पहले कैप्टन को अस्पताल पहुँचाया जाता है। इसके अलावा उन पांच पैसेंजर को भी अस्पाताल पहुंचाया जाता है जो इस मंजर को देखकर सदमे में आ जाते हैं।

सोचिये एक पायलय 600 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ते प्लेन के बाहर आधा लटककर क़रीब 20 मिनट तक 17500 फीट की ऊंचाई पर सफर कर रहा था। ये वाकई किसी अजूबे से कम नहीं था। लेकिन गनीमत थी कि कैप्टन टिमोथी जिंदा रहे। तेज़ हवा और हिचकोलों की वजह से उनकी उनकी पसली, उनके चेहरे और उनकी आंख में चोटें ज़रूर आती हैं लेकिन कैप्टन टिमॉथी पूरी तरह से ठीक होते हैं। और इसे किसी चमत्कार से कम भी नहीं कहा जा सकता है कि पांच महीनों के भीतर ही उन्होंने दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर ली। मगर 10 जून 1990 की वो सुबह उनके ज़ेहन में आज भी उसी तरह से ताज़ा है, जैसे ये कल का वाकया हो।

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