जिस फिल्म को देख क़ातिल ने रची साजिश, उसी फिल्म से पुलिस को हुआ शक़, ऐसे खुला राज

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एक शख्स को अपनी सगी बेटी और उसकी सौतेली मां दोनों में से एक को चुनना था. क्योंकि दोनों के बीच रोजाना झगड़े हो रहे थे. सौतेली मां ने बेटी को घर से निकालने की धमकी भी दे दी.

लिहाजा, उस पिता ने बेहद ही खतरनाक साजिश रच डाली. उसने एक हिंदी फिल्म देखी. उसी फिल्म को कई बार देखी. फिर अपनी दूसरी पत्नी को मायके भेज दिया. कुछ दिनों तक वो घर में पहली पत्नी की बेटी के साथ रहा. फिर एक दिन अचानक सुबह ही घर से चला गया.

उस दिन दोपहर बाद वो शख्स घर लौटा. घर आने के कुछ देर बाद ही वो शोर मचाने लगा. चीखने लगा. रो-रोकर आसपास के लोगों को बुला लिया और बेटी को अस्पताल ले गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृत लड़की 12 वर्षीया उसकी बेटी थी. बेटी का नाम खुशी था. लेकिन पिता और सौतेली मां ने उसे हमेशा गम ही दिया.

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उस शख्स ने दावा किया कि किसी ने उसकी बेटी के साथ गलत हरकत करने का प्रयास किया और गला घोंटकर मार डाला. जब वो घर पहुंचा तो बेटी के कपड़े अस्त-व्यस्त थे और वो फर्श पर बेहोशी की हालत में थी.

पिता की सूचना पर पुलिस ने शुरू की जांच

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ये घटना उत्तर प्रदेश के झांसी जिले (Jhansi Police) के गुरसराय थाना इलाके की है. यहां एक व्यापारी अमित शुक्ला अपने परिवार के साथ रहता है. अमित पेशे से बीड़ी कारोबारी है. कई साल पहले इसकी पहली पत्नी की अचानक मौत हो गई थी. पहली पत्नी से एक बेटी थी.

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अमित शुक्ला ने कई साल पहले ही दूसरी शादी कर ली थी. दूसरी पत्नी से अब एक बेटा है. ये बेटा काफी स्वस्थ्य है जबकि 12 साल की बेटी उतनी ही कमजोर. ये देखकर आसपास के लोग भी टोकते थे. तब पता चला कि सौतेली मां का व्यवहार इस लड़की के प्रति काफी खराब था.

घटना के बारे में अमित शुक्ला ने पुलिस को बताया कि 25 अगस्त की सुबह ही वो घर से चला गया था. दोपहर में जब वो घर पहुंचा तो बेटी अर्धनग्न हालत में थी. ये सुनकर पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू की. इस दौरान घर के ठीक सामने वाले दुकानदार और पड़ोसियों से पुलिस ने बातचीत की.

लेकिन किसी ने भी ये नहीं बताया कि दोपहर तक उस घर में कोई बाहरी व्यक्ति घुसा हो. ऐसे में पुलिस को शक हुआ कि इस घटना में पड़ोस में रहने वाले ही किसी व्यक्ति का हाथ होगा. ये सोचकर पुलिस ने कई लोगों से पूछताछ की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.

मृत लड़की के पिता की FIR से हुआ शक़

झांसी के एसएसपी शिवहरि मीणा (IPS Shiv Hari Meena) ने बताया कि इस मामले में पुलिस की टीम डॉग स्क्वॉड लेकर मौके पर पहुंची थी. डॉग स्क्वॉड को भी घर और आसपास से कुछ संदिग्ध नहीं मिला. इसके अलावा जब उसके पिता से घटना के बारे में पूछा गया तब वो बार-बार इस बात पर जोर दे रहा था कि वो तो सुबह ही दूसरे शहर में चला गया था जहां इनकम टैक्स के सिलसिले में एक वकील से मिला था.

एसएसपी ने बताया कि लड़की के पिता द्वारा कराई गई एफआईआर से सबसे बड़ा शक हुआ. उन्होंने बताया कि अमित शुक्ला ने एफआईआर में बेटी के साथ हुई घटना को लेकर कम जानकारी दी थी.

इसके बजाय उसने सबसे ज्यादा ये लिखा था कि सुबह से लेकर दोपहर तक वो कहां-कहां गया और किससे-किससे मिला. उसने सबूत के तौर पर कुछ पर्चियों को लेने का भी जिक्र किया था. उसकी शिकायत एफआईआर पढ़कर तुरंत फिल्म दृश्यम (Drishyam) की याद आई.

एसएसपी शिवहरि मीणा ने बताया कि उसकी एफआईआर में लिखी बातों को पढ़ते ही ये लगा कि कहीं ये फिल्म दृश्यम जैसी चाल तो नहीं चल रहा है. क्योंकि जिस शख्स की बेटी की मौत होगी वो अपनी बेटी की चिंता को लेकर बात करेगा. ना की वो बार-बार ये बताने का प्रयास करेगा कि घटना वाले दिन कहां गया और किससे मिला.

एफआईआर की वो बातें, जिनसे हुआ शक़

लड़की के पिता अमित शुक्ला ने FIR में लिखा था कि 25 अगस्त की सुबह करीब 6:30 बजे ही वो अपने घर से निकला था. उस समय 12 साल की बेटी को अकेले घर पर ही छोड़ दिया था. इसके बाद वो सकुशल मऊरानीपुर इनकम टैक्स वकील देवेंद्र कुमार विचपुरिया से मिलने गए थे. वकील के पास लगभग 5 घंटे तक काम करवाया.

इसके बाद अपने पापा से मिलने अपने मूल निवास गया था. लेकिन वो नहीं मिले तो फिर नगरपालिका के नीचे जयभारत प्रेस से 40 बिलबुक लेकर गुरसराय के लिए रवाना हुआ था. यहां आने पर बेटी की हत्या का पता चला था...

इस पूरी एफआईआर को पढ़ते ही पुलिस को शक हो गया. दरअसल, शक करने की कई वजहें थीं. शक करने वाला पहला शब्द था, सकुशल. जिसे अमित ने लिखा कि घर से निकलकर वो सकुशल मऊरानीपुर पहुंचा.

क्या कोई परेशान शख्स जिसकी बेटी की हत्या हुई वो ऐसे शब्दों से बचेगा नहीं? फिर दूसरा शब्द वकील का पूरा नाम. वकील का नाम देवेंद्र भी लिख सकते थे लेकिन खुद सबूत देने के लिए पिता ने पूरा नाम देवेंद्र कुमार विचपुरिया लिखा था.

ऐसे में सवाल ये है कि बेटी की हत्या के बाद परेशान व्यक्ति वकील का पूरा नाम लिखने पर ध्यान नहीं देगा. शक़ करने वाला तीसरा शब्द था, 5 घंटे. उसने जानबूझ कर लिखा था कि वकील के पास करीब 5 घंटे तक काम करवाया. ये सबूत देने के लिए वो घर से बाहर ही रहा था.

आखिर में हाथ में सबूत के तौर पर वो नगरपालिका के नीचे जयभारत प्रेस से 40 बिलबुक लेने की बात लिखी थी और उसे बिना मांगे पुलिस को दिखाया भी था. इससे पुलिस का शक यकीन में बदल गया था.

फिल्म Drishyam जैसी बनाई थी कहानी, खुला राज

एसएसपी शिवहरि मीणा ने CRIME TAK को बताया कि पूरी एफआईआर पढ़ने और पूछताछ के दौरान भी अमित शुक्ला के बार-बार बिलबुक दिखाने से मुझे दृश्यम फिल्म की याद आ गई. इसलिए इस बारे में जांच अधिकारियों को बताया कि ये मामला पूरा दृश्यम फिल्म जैसा है. ये सुनते ही जांच अधिकारी भी समझ गए. क्योंकि उन्होंने ये फिल्म देखी थी. इसके बाद पुलिस की एक टीम उसके बैकग्राउंड के बारे में पता लगाने लगी.

इस दौरान पता चला कि सौतली मां से बेटी की रोजाना लड़ाई होती थी. सौतेली मां इस लड़की को खाने के लिए भी नहीं देती थी और उसे घर से निकालना चाहती थी. इसी बात को लेकर वो अमित से भी बात नहीं करती थी. उसने पति से यहां तक कह दिया था कि घर में या तो वो लड़की रहेगी या फिर मैं. इस बारे में आसपास के लोगों को भी जानकारी मिल गई थी. इसके अलावा, घर से कोई सामान गायब नहीं था.

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लड़की के कपड़े हटे थे लेकिन चोट नहीं, कैसे?

लड़की के कपड़े थोड़े हटे हुए थे लेकिन उसके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे. और ना ही जहां लड़की मृत मिली थी वहां पर कोई सामान बिखरा था. जबकि अगर कोई बाहरी व्यक्ति हमला करता तो लड़की को चोट लगना और सामान जरूर बिखरते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ था. इसके बाद आरोपी पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तब उसने पूरी घटना स्वीकार कर ली.

आरोपी ने बताया कि उसने दृश्मय फिल्म देखकर ही बेटी को मारने की साजिश रची. इसीलिए कुछ दिन पहले ही दूसरी पत्नी और उसके बेटे को मायके भेज दिया था. इसके बाद रात में ही बेटी के मुंह पर तकिया से दबाकर हत्या कर दी थी.

घटना के बाद सुबह होते ही वकील और दूसरे लोगों के पास गया. ताकी किसी को भी शक ना हो कि मैं घटना के समय घर पर ही था. लेकिन आखिर में वही हुआ जिसका डर था. जिस फिल्म को देखकर आरोपी ने पूरी साजिश रची उसी फिल्म को पुलिस भी देख चुकी थी. जिससे आरोपी की असलियत सामने आ गई.

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