नए ज़माने में नटवरलाल का बाप आया पुलिस के शिकंजे में, गब्बर सिंह के बराबर का था इनाम

GOPAL SHUKLA

25 Mar 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:16 PM)

दिल्ली पुलिस ने पकड़ा शातिर ठग, पकड़ा गया महाठग, महाठग को ऐसे पकड़ा पुलिस ने, गब्बर सिंह के बराबर के इनाम वाला ठग, पियूष तिवारी को नासिक से पकड़ा।

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चार राज्य, 24 महीने और 36 मुक़दमें

LATEST CRIME NEWS: दिल्ली पुलिस ने एक महाठग को पकड़ने में कामयाबी हासिल की। ये ठग इतना शातिर है कि कम से कम चार राज्यों की पुलिस को इसका बेसब्री से इंतज़ार था। उसके ख़िलाफ तीन दर्जन से ज़्यादा धोखाधड़ी के मामले हैं और अगर इन मामलों को रुपयों में कनवर्ट कर दिया जाए तो ये ठग कम से कम 1000 करोड़ रुपये की ठगी तो कर ही चुका है।

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हालांकि उसके सिर पर रखे गए पुलिस के इनाम के हिसाब से उस कद को लेकर कुछ शक हो सकता है क्योंकि उस हिसाब से तो वो बस एक गब्बर सिंह था जिस पर पूरे पचास हज़ार रूपये का इनाम रखा गया था। लेकिन साहब कमाल का ठग है। तभी तो महज 24 महीनों में ही 36 से ज़्यादा ठगी के मुकदमें दर्ज हुए। पुलिस की पेशानी पर तब बल पड़ गए जब उन्हें पता चला कि उसकी बीवी तो और भी बड़ी शातिर है जो दो और दो पांच करने में उस्ताद है।

बीवी भी दो दूनी पांच करने में अव्वल

LATEST THUG STORY:पीयूष तिवारी नाम है इस नए ज़माने के नटवरलाल का। जो इस वक़्त दिल्ली पुलिस की हथकड़ियों में जकड़ा जा चुका है। दिल्ली यूपी पंजाब और मध्यप्रदेश समेत उसके ख़िलाफ कम से कम 37 मुकदमों की फाइल तैयार है। कमाल तो ये है कि उसके ख़िलाफ़ एक भी सब स्टैंडर्ड मुकदमा नहीं है, सब के सब धोखाधड़ी के ही मुकदमें हैं।

मज़ेदार बात पिछले छह महीने से पीयूष और पुलिस के बीच चुहे बिल्ली का खेल चल रहा था। पीयूष के बारे में बता चला है कि उसके ख़िलाफ़ सारे मुक़दमे 2016 से लेकर 2018 के बीच ही दर्ज हुए। जब पीयूष दौड़ते दौड़ते थक गया तो उसने अपना नाम बदलकर पुलिस के बचने की कोशिश की इसीलिए अपना नाम बदलकर पुनीत भारद्वाज रख लिया था मगर पुलिस ने फिर भी धप्पा कर दिया।

नासिक में जहां पीयूष उर्फ पुनीत छिप कर रह रहा था, पुलिस वहां पहुंच गई और उसे पकड़ लिया। उसके पकड़े जाने के बाद ही पुलिस को पता चला कि उसकी पत्नी भी उसके गोरख धंधे में बराबर की पार्टनर है, लेकिन वो पहले ही सरकारी ससुराल पहुँच गई।

पुलिस ने चली थी ऐसी चाल

THUG STORY IN HINDI: पुलिस ने जब पीयूष तिवारी से पूछताछ की तो उसने जो कुछ बताया उसमें से आधी बातें तो पुलिसवालें के सिर के ऊपर से निकल गईं। हालांकि कुछ बातें जो समझ में आईं उसके मुताबिक 2011 में पीयूष ने आठ कंपनियां बनाई थी। जबकि 2018 तक 15 से 20 शेल कंपनियां बनाई।

2016 में इसके घर पर इनकम टैक्स की रेड हुई थी और 120 करोड़ रुपए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बरामद कर लिए। बस यहीं से उसके अच्छे दिन ख़त्म हो गए थे। और उसका धंधा मंदा पड़ गया, साथ ही वो जांच एजेंसी के रडार पर भी आ गया। तब उसने जांच एजेंसी की आंखों में धूल झोंकने के लिए लोगों को फ्लैट के नाम पर ठगना शुरू कर दिया। वो एक ही फ्लैट एक वक़्त में कई कई लोगों को बेच दिया करता था, और दिखाने के तौर पर एडवरटाइजिंग की कंपनी चला रहा था।

लेकिन जब उसके फरेब के क़िस्सों से पुलिस की फाइलें भरने लगीं और दिल्ली एनसीआर में वो ज़रूरत से ज़्यादा बदनाम हो गया तो पुलिस उसके पीछे पड़ गई। पुलिस से बचने के लिए उसने फौरन इलाके से अपना टिकट कटाया और महाराष्ट्र भाग गया। वहां और नासिक में पुनीत भारद्वाज बन कर रहने लगा।

उत्तरी जिले के डीसीपी सागर प्रीत कलसी के मुताबिक जैसा देश वैसा भेष की तर्ज पर ही इस शातिर को क़ानून के शिकंजे में लाना पड़ा। क्योंकि पुलिस पिछले छह महीनें से उसके पीछे पड़ी हुई थी। पुलिस को जब उसके महाराष्ट्र में नासिक का पता मिला तो पुलिस की टीम वहां पहुँच गई। वहां पुलिस ने भी चाल चली। पुलिस को ये पता चला था कि पुनीत प्याज़ का धंधा करता है और फूड चेन चला रहा है। तब पुलिस ने अपना हुलिया बदला और व्यापारी बनकर प्याज का धंधा करने पीयूष तिवारी के पास पहुँच गए और उसकी आंखों से आंसू निकालकर ही दम लिया।

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