13 साल की बच्ची के क़ातिल की तलाश में 294 साल पहले क्यों लौटी इटली पुलिस? जानिए इटली के इतिहास की सबसे बड़ी तफ्तीश

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05 Apr 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:16 PM)

murder case of yara gambirasio in italy

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तारीख थी 26 नवंबर 2010 इटली का एक छोटा सा शहर ब्रेमबैट दी सोपरा (brembate di sopra) आठ हजार की आबादी वाला ये शहर बेहद खूबसूरत है। इटली के शहर मिलान से एक घंटे की दूरी पर बसा ये शहर दो नदियों के बीच बसा हुआ है । इसी शहर में रहती थी 13 साल की बच्ची यारा गैमबीरासियो (yara gambirasio) ।

शाम करीब 5.15 बजे यारा पास के ही जिम में जिमनास्टिक की ट्रेनिंग करने के लिए घर से निकली। मोबाइल फोन उसके साथ था। प्रैक्टिस के लिए लगभग हर रोज वहां जाया करती थी। शाम सात बजे से पहले वो अपने घर भी लौट आया करती थी लेकिन उस दिन वो सात बजे तक नहीं पहुंची।

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घरवाले घबराए मां ने 7.11 बजे यारा के मोबाइल पर फोन किया गया लेकिन वो सीधे वॉयस मेल में चला गया। इसके बीस मिनट बाद यारा के पिता ने पुलिस को कॉल कर दिया। ये कॉल इस राज्य की राजधानी बेरगामो (bergamo) की पुलिस को की गई थी। इस मामले की जांच मिली 45 साल की महिला पुलिस अधिकारी लेटीजिया रुगेरी को। बेहद तेजतर्रार इस अफसर ने तुरंत तफ्तीश शुरु कर दी।

रुगैरी तमाम पुलिसवालों के साथ मौके पर पहुंच गईं। यारा के जिम इंस्ट्रक्टर से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वो यहां पर आई थी लेकिन वो चली गई। पुलिस को ये भी पता चला कि यारा ने शाम 6.44 बजे अपनी एक दोस्त को मैसेज किया था।

इसके बाद यारा की किसी से बात नहीं हुई। यारा जिस जिम में जाती थी वो दरअसल एक स्पोर्ट कॉम्पलेक्स था और काफी बड़ा था। कुछ लोगों ने ये भी बताया कि यारा को लाल रंग की कार वाले दो लोगों से बात करते हुए भी देखा गया था ।

हालांकि पुलिस ने सबसे पहले तय किया कि खोजबीन के लिए कुत्तों को बुलाया जाए। कुत्ते मौके पर पहुंचे और वो जिम और यारा के घर के रास्ते पर ना जाकर दूसरे ही रास्ते की ओर गए। ये एक कुछ छोटा सा गांव था जिसका नाम मापैलो था। यारा के मोबाइल की भी आखिरी लोकेशन इसी गांव की थी और यारा के मोबाइल के बंद होने का वक्त था शाम 6.49 बजे का।

पुलिस ने परिवार के लोगों से तफ्तीश की शुरुआत की और उनसे यारा से जुड़े तमाम सवाल पूछे। कहीं परिवार में ही किसी फूट के चलते यारा को गायब तो नहीं कर दिया गया था। पुलिस की रडार पर यारा का परिवार था । परिवार में मां-पिता के अलावा तीन भाई-बहन और थे। हालांकि परिवार की तफ्तीश में पुलिस को कुछ भी संदिग्ध नज़र नहीं आया। पुलिस ने उस दिन मापैलो गांव से गुजरने वाले या फिर वहां पर एक्टिव सभी मोबाइल फोन का डाटा निकाला। उस दिन करीब 15 हज़ार मोबाइल मापैलो के आसपास एक्टिव थे।

इनमें से एक मोबाइल मौरक्कन मूल के एक आदमी मोहम्मद फिक्री का था। पुलिस ने जब उस फोन का वायरटेप निकलवाया तो उसमें पुलिस ने सुना कि फिक्री किसी से कह रहा है कि भगवान उसे माफ करे लेकिन उसने उस लड़की को नहीं मारा है।

4 दिसंबर 2010 को पुलिस ने फिक्री को गिरफ़्तार कर लिया । फिक्री जिस वैन का इस्तेमाल कर रहा था उसमें पड़े गद्दों से पुलिस को खून के निशान भी मिले थे। पुलिस को लगा कि मामला सुलझ गया लेकिन जब तफ्तीश आगे बढ़ी तो फिक्री बेकसूर निकला और पुलिस को उसे छोड़ना पड़ा।

अचानक ये मामला इतना ज्यादा सुर्खियों में आया कि यारा के घरवाले मीडिया की मौजूदगी से परेशान होने लगे। यारा को गुमशुदा हुए कई महीनों का वक्त बीत चुका था । उसकी फोटो तमाम अखबारों और टीवी चैनलों पर दिखाई जा रही थी। 26 फरवरी 2011 का दिन था यारा को गुमशुदा हुए तीन महीने का वक्त गुजर चुका था।

यारा के शहर ब्रैमबेट दी सोपरा से करीब दस किलोमीटर दूर पर है एक छोटा सा शहर चिगनोलो द इसोला (chignolo d'isola)। यहां पर एक शख्स बहुत बड़े घास के मैदान में रिमोट से कंट्रोल होने वाला एक प्लैन उड़ा रहा था। इस आदमी को झाड़ियों में जूते नजर आए वो जब थोड़ा आगे बढ़ा तो एक लड़की की लाश वहां पर पड़ी हुई थी जिसके सड़ने की शुरुआत हो चुकी थी।

ये लाश यारा की थी। लाश पर से पुलिस को यारा के कपड़े, उसका आईपॉड, घर की चाबियां, सिम कार्ड और उसके मोबाइल की बैट्री मिली लेकिन मोबाइल गायब था। पोस्टमॉर्टम किया गया और पोस्टमॉर्टम में डॉक्टरों को यारा की सांस की नली में लाइम मिट्टी के अंश मिले थे। उसके कपड़ों से पुलिस को जूट की रस्सी के टुकड़े भी मिले । उसके साथ रेप नहीं किया गया था। उसके जिस्म पर कई घाव थे और डॉक्टरों के मुताबिक हमलावर ने उसे बुरी तरह से घायल करने के बाद मरने के लिए छोड़ दिया था।

लाइम एक तरह की मिट्टी होती है जिससे पुलिस अंदाजा लगा रही थी यारा को मारने वाले शख्स का ताल्लुक बिल्डिंग ट्रेड से हो सकता है। फॉरेंसिक की टीम ने यारा की मोबाइल बैटरी से और उसके ग्लोव से डीएनए के दो सैंपल निकाले ।

इन सैंपल का मिलान पुलिस ने अपने पास मौजूद अपराधियों के डीएनए से किया लेकिन किसी से भी इस सैंपल का मिलान नहीं हो सका। तफ्तीश चल रही थी और लाश मिलने के दो महीने बाद पुलिस के हाथ एक और कामयाबी लगी।

ये कामयाबी यारा के अंडरवियर से मिले डीएनए सैंपल की शक्ल में थी। अब इस मामले को सुलझाने के लिए इस केस की जांच अधिकारी रुगैरी ने कई टीमें बनाईं और सबको अलग-अलग जिम्मेदारी दी गईं।

कुछ पुलिसवालों को यार के घरवालों, दोस्तों और जिम के लोगों के डीएनए सैंपल लेने के लिए कहा गया। एक टीम को मोबाइल का डाटा निकालने के काम पर लगाया गया ताकि उस दिन यारा के गायब होने की जगह के आसपास मौजूद मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों का डीएनए सैंपल लिए जा सकें।

ये तफ्तीश इटली की आजतक की सबसे महंगी तफ्तीश है । लाश मिलने के करीब दो महीने तक यारा की लाश को सुबूत इक्टठा करने के लिए मोर्चरी में रखा गया था। मई 2011 के आखिरी हफ्ते में यारा की लाश का अंतिम संस्कार कर दिया गया। पूरा इटली यारा को विदाई देने में रो रहा था और पुलिस यारा के कातिल को पकड़ने के इरादे को और भी मजबूत करती जा रही थी।

जहां से यारा की लाश मिली उसी के पास एक क्लब भी था। पुलिस ने तय किया कि इस क्लब में आने जाने वाले सभी लोगों के डीएनए सैंपल भी लिए जाएंगे ताकि उनका मिलान यारा की लाश से मिले डीएनए सैंपल से कर लिया जाए।

जल्द ही पुलिस के हाथ एक कामयाबी लगी। क्लब से लिए गए एक शख्स का सैंपल यारा की लाश से मिले डीएनए सैंपल से काफी मेल खाता था। इस शख्स का नाम था डेमियानो। हालांकि जिसे पुलिस कामयाबी मान रही थी वो अचानक हताशा में बदल गई क्योंकि जिस दिन यारा का क़त्ल हुआ डेमियानो इटली में नहीं बल्कि किसी दूसरे देश में था। हां ये बात जरुर थी कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट को लगता था कि यारा का कातिल डेमियानो का कोई दूर का रिश्तेदार हो सकता है।

पुलिस ने तफ्तीश शुरु की तो पता चला कि डेमिनीयो की मां ने यारा के घर में घरेलू नौकर के तौर पर दस साल तक काम किया था। पुलिस ने डेमिनियो और उसकी मां जैनी के फोन को भी निगरानी पर लगाया लेकिन दोनों की बातचीत में कुछ भी संदिग्ध नहीं था।

इस केस की जांच को देख रहीं रुगैरी अब केवल डेमियानो और उसके रिश्तेदारों के बारे में पता लगा रहा थी । यहां तक की उसने डेमियानो के फैमिली ट्री का साल 1716 तक का पता भी लगा लिया था।

पता चला कि डेमियानो के पूर्वज गोरनो नाम के एक गांव से निकले थे। इसमें रहने वाले परिवार सदियों से इसी गांव में रह रहे हैं। ये भी मालूम हुआ कि डेमियानो के पिता का एक भाई था जिसका नाम ग्यूसैपे था जिसकी मौत साल 1999 में हुई थी।

पुलिस ने गुपचुप तरीके से साल 2011 में ग्यूसैपे की पत्नी से उसके पति का ड्राइविंग लाइसेंस और एक पोस्टकार्ड हासिल किया । ग्यूसैपे ने इन दोनों चीज पर स्टैंप चिपकाई थी जिसे चिपकाने के लिए उसने अपने थूक का इस्तेमाल किया था।

इन दोनों चीजों पर पुलिस को ग्यूसैपे के थूक का सैंपल उन्हें मिला । इस सैंपल की जांच जब डीएनए के लिए कराई गई तो पुलिस की बांछे खिल गईं । डीएनए का सैंपल उस सैंपल से मेल खाता था जो यारा की लाश से मिला था । पुलिस को यकीन था कि यारा का कत्ल करने वाला शख्स ग्यूसैपे का ही बेटा है।

ग्यूसैपे के तीन बच्चे थे जिनमें दो लड़के थे और एक लड़की थी। दोनों लड़कों के सैंपल लिए गए लेकिन ये सैंपल कातिल के डीएनए से मेल नहीं खाते थे और न ही ग्यूसैपे के बेटों के कोई औलाद थी।

ऐसे में पुलिस एक बार फिर कामयाबी के नजदीक पहुंचकर कामयाबी से कोसों दूर थी। जमाने के हिसाब से तो ग्यूसैपे की एक ही शादी हुई थी लेकिन पुलिस को लगता था कि यारा को मारने वाला कातिल ग्यूसैपे का नाजायज बेटा हो सकता है।

ये बेहद मुश्किल काम था लेकिन पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी। तफ्तीश में पुलिस को पता चला कि ग्यूसैपे हर साल अकेले मई के महीने में दो हफ्ते के लिए स्पा रिसॉर्ट जाया करता था। अब पुलिस की टीम ने इस स्पा के रिकॉर्डों को खंगालना शुरु किया । ये देखा गया कि ग्यूसैपे के इस रिजोर्ट में रहने के दौरान कौन-कौन महिला भी यहां पर रह रही थी। हालांकि इतनी कसरत के बाद भी पुलिस की टीम के हाथ खाली ही थे।

एक मुसीबत और थी ग्यूसैपे के थूक से जो डीएनए सैंपल मिले थे उसको कातिल के डीएनए के मिलान को साबित करने के लिए डीएनए के कुछ और नमूने भी चाहिए थे । लिहाजा पुलिस ने ग्यूसैपे की कब्र को ही खुदवाकर उसमें से डीएनए के सैंपल निकलवाए ताकि अगर कातिल पकड़ा जाए तो कहीं वो अदालत से सुबूतों की कमी की वजह से ना छूट जाए।

ग्यूसैपे पेशे से ड्राइवर था और वो कई औरतों को टेक्सटाइल फैक्ट्रियों में छोड़ने का काम करता था। पुलिस ने ग्यूसैपे के साथ काम करने वाले ड्राइवरों से बातचीत की ताकि कुछ सुराग मिल सके। सुराग की शक्ल में एक महिला का नाम सामने आया इस्टर अर्जुफ्फी ।

इस्टर ग्यूसैपे के पड़ोस में रहा करती थी। 19 साल की उम्र में उसकी शादी हो गई और वो पास की ही टेक्सटाइल फैक्ट्री में काम किया करती थी। इस्टर के संबंध उसके पति से अच्छे नहीं थे। ये भी पता चला कि इस्टर और ग्यूसैपे में करीबी रिश्ते थे । पुलिस ने तुरंत इस्टर के डीएनए सैंपल लेकर उसकी जांच की।

कामयाबी पुलिस के कदमों में थी इस्टर ही वो महिला थी जो यारा के कातिल की मां थी। तफ्तीश में पता चला कि इस्टर साल 1970 में उस जगह को छोड़कर चली गई थी जहां पर ग्यूसैपे रहता था लेकिन दोनों का अफेयर चलता रहा ।

साल 1970 में ही इस्टर ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया जिनमें एक लड़की और एक लड़का था। लड़के का नाम था मैसीमो बॉसैटी। अब मैसीमो की उम्र 42 साल हो गई थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके तीन बच्चे थे। वो मपैलो में ही रह रहा था जहां आखिरी बार यारा का फोन बंद किया गया था। वो पेशे से बिल्डर था।

कातिल का पता चल गया था लेकिन अभी पक्का करना था कि मैसीमो ही वो कातिल है जिसने यारा की जान ली थी। ये इतने चोरी छिपे किया गया कि पुलिस में एक दो लोगों को छोड़कर किसी को भी पता नहीं था कि कातिल की पहचान कर ली गई है।

15 जून 2014 को रुगैरी ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों को पकड़ने के बहाने से मापैलो गांव के बाहर ही एक चैक पोस्ट लगाया। मैसीमो भी काम खत्म कर के जब अपने घर लौट रहा था तो उसको भी breathalysing टेस्ट देने के लिए कहा । पुलिस ने breathalysing मशीन ठीक न होने का बहाना बनाकर दो बार उसके नमूने लिए।

रातों रात ही मैसीमो के थूक के नमूनों को डीएनए जांच के लिए भेजा गया और वो हूबहू यारा की लाश पर मिले डीएनए से मेल खा गए। 16 जून को इटली पुलिस ने यारा के कत्ल के आरोप में मैसीमो को गिरफ़्तार कर लिया।

खुद इटली के गृहमंत्री ने यारा केस सुलझने का ऐलान टीवी पर किया । मैसीमो ने पुलिस को बताया कि वो जवान हो रही बच्चियों पर बुरी नजर रखता था। वारदात वाले दिन भी उसने यारा के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की लेकिन जब उसने इसका विरोध किया तो उसने उस पर कई वार किए जिसकी वजह से वो बेहोश हो गई।

मैसीमो को लगा कि यारा की मौत हो गई है और वो घबराहट में उसे मौका-ए-वारदात से दस किलोमीटर दूर एक घास के मैदान में झाड़ियों में फेंक कर भाग गया। वारदात करने से पहले ही उसने अपना फोन बंद कर लिया था और फिर अगली सुबह उसने अपना मोबाइल ऑन किया जिसकी वजह से मोबाइल डाटा में उसके मोबाइल नंबर नहीं आया और इसी वजह से पुलिस ने उसका डीएनए भी नहीं लिया था।

इटली के इतिहास में ये केस बेहद अहम माना जाता है और इतने साल गुजर जाने के बावजूद भी लोगों की जुबान पर यारा और उसके कातिल का जिक्र आ ही जाता है।

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