37 साल जेल में रहा, डीएनए जांच हुई तो पता चला बेगुनाह है!

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37 साल जेल में रहा, डीएनए जांच हुई तो पता चला बेगुनाह है!
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क्या है पूरा मामला?

ये मामला अमेरिका का है और वो साल था सन 1983, 18 साल की बारबरा ग्राम्स की लाश डेंटल ऑफिस के बाहर यार्ड में मिली। उसकी हत्या रेप के बाद पीटने से हुई थी, केस की जांच करने वाले अधिकारियों ने महिला के गाल पर काटने के निशान को रॉबर्ट डुबोइस के दांत के निशान के साथ मैच कराने के बाद उन्हें इस मामले में फंसाया। रॉबर्ट डुबोइस को बारबरा ग्राम्स के रेप और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। उन्हें दोषी मानकर उन कैदियों के साथ 37 साल तक रखा गया, जिन्हें सज़ा-ए-मौत दी जा चुकी थी।

क्यों साबित नहीं कर पाए बेगुनाही?

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अगर अपराधी गुनाह करता है, तो उसकी सज़ा भी उसे दी जाती है। सोचिए रॉबर्ट डुबोइस को अपनी ज़िंदगी के 37 साल जेल के अंदर गुजारने पड़े, वो भी बिना किसी गुनाह के। इस दौरान हर सुनवाई में रॉबर्ट डुबोइस चीख चीखकर कहता रहा कि वो बेगुनाह लेकिन उसके खिलाफ झूठे सबूत इस तरह गढ़े गए थे कि किसी को उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ।

कैसे साबित हुई बेगुनाही?

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जब रॉबर्ट ने ज़िंदगी से उम्मीद छोड़ दी थी, तब चमत्कार हुआ और अदालत ने इस मामले में डीएनए जांच की बात मान ली। DNA Test हुआ और ये साबित भी कि इस मामले में जो सबूत पेश किए गए थे वो बनावटी थे, जबकि हकीकत ये है कि रॉबर्ट ने ये गुनाह किया ही नहीं था। हालांकि अब काफी देर हो चुकी है, रॉबर्ट की ज़िंदगी के कीमती साल जेल में बर्बाद हो चुके हैं। डीएनए टेस्ट से ये बात सामने आ गई कि 37 साल से जेल में वो जिस गुनाह की सज़ा भुगत रहे थे, वो दरअसल उन्होंने कभी किया ही नहीं था। इस टेस्ट से रॉबर्ट डुबोइस की बेगुनाही साबित होने के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। कोर्ट ने अगर साल 2020 में मृत महिला के डीनएन सैंपल और रॉबर्ट डुबोइस के सैंपल को मैच नहीं कराया होता तो उनकी ज़िंदगी जेल में ही बीत जाती।

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रॉबर्ट को मिल सकता है अरबों रुपयों का मुआवज़ा

सच सामने आने के बाद रॉबर्ट ने उन पुलिस अधिकारियों और फोरेंसिक टीम पर मुकदमा ठोंक दिया है, जिन्होंने अपनी गलती की सज़ा उन्हें दी। रेप और हत्या के झूठे मामले में फंसाने और उनकी ज़िंदगी तबाह करने के लिए तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। रॉबर्ट ने मामले में फेडरल कोर्ट के तीन पूर्व डिटेक्टिव, एक पूर्व सार्जेंट और फोरेंसिक डेंटिस्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, अब वो केस जीतते हैं तो उन्हें हर्जाने के तौर पर 1.85 मिलियन डॉलर मिल सकते हैं।

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