दुनिया भर के 35 देशों के अपराधियों की कलाई जकड़ती है भारत के इस शहर की मज़बूत हथकड़ी

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अलीगढ़ में बबलू ख़ान और सुरभि तिवारी के साथ गोपाल शुक्ल की रिपोर्ट

Latest Crimetak Special: अलीगढ़ के ताले और अलीगढ़ की तालीम के बारे में तो दुनिया अच्छी तरह जानती है। लेकिन अलीगढ़ की एक तीसरी ख़ासियत भी है, जिसके बारे में दुनिया को शायद बहुत कम पता है। दिल्ली की स्मार्ट पुलिस हो या मुंबई की हाईटेक पुलिस या फिर दुबई की दबंग पुलिस, अपराधियों को पकड़ने और उन्हें कलाई से जकड़ने के लिए दिल्ली, मुंबई और दुबई के अलावा दुनियाभर के क़रीब 35 राज्यों या प्रॉविंस की पुलिस अलीगढ़ की हथकड़ियों का ही इस्तेमाल करती है।

तालों से तो अलीगढ़ को पूरी दुनिया में अनोखी और मज़बूत पहचान मिल ही चुकी है लेकिन ये शायद बहुत कम लोगों को पता है कि अकेले हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया के क़रीब दो दर्जन से ज़्यादा देशों के मुलज़िमों को जिस हथकड़ी से जकड़ा जाता है, ‘वन क्लिक लॉक’ वो भी अलीगढ़ में ही बनती है, और वो भी ऑन डिमांड। मुगलों के ज़माने में बने अलीगढ़ में अंग्रेज़ों के ज़माने से ताले और हथकड़ियां बनाई जा रही हैं।

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पुलिस पहनाती है 'लोहे का कंगन'

Latest Crimetak Special: हालांकि ये अभी तक साफ़ नहीं हो सका है कि इंसानों ने कबसे मुज़रिमों को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़ना शुरू किया। लेकिन हिन्दुस्तान में द्वापर युग के समय में ही हथकड़ियों और बेड़ियों के इस्तेमाल की झलक मिलती है जब मथुरा के राजा कंस ने अपने बहनोई और कृष्ण के पिता वासुदेव और माता देवकी को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर कारागार में डाल दिया था।

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उस युग से लेकर अब तक इन हथकड़ियों और बेड़ियों की बहुत बार सूरत बदल चुकी है। हालांकि हथकड़ी का ज़िक्र आते ही अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं। तुर्रम से तुर्रम ख़ां हथकड़ियों को देखकर पसीने से तरबतर हो जाता है। लेकिन ये भी सही है कि हथकड़ियों के बगैर पुलिस बिना ज़ेवर वाली दुल्हन कहलाती है। और यही लोहे के ज़ेवर पुलिस जब मुजरिमों को पकड़ती है तो उन्हें पहनाती है।

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अंग्रेज़ों के जमाने की हथकड़ी

Latest Crimetak Special: अलीगढ़ के मोहल्ला सराय मान सिंह में मौजूद रुद्रा इंटरप्राइजेज फैक्टरी अलीगढ़ की ऐसी ही नामी और पुरानी फैक्टरी है जो हिन्दुस्तान के अलग अलग सूबों के साथ साथ दुनिया के कई देशों की पुलिस के लिए हथकड़ी बनाती है।

रूद्रा इंटरप्राइज़ेज़ को चलाने वाले सुधांशु मिश्रा के मुताबिक ये उनका ख़ानदानी पेशा है। इसकी शुरूआत उनके बाबा एसपी मिश्रा ने 1932 में की थी।

नए ज़माने की हथकड़ी का पहला सैंपल इस देश से आया

Latest Crimetak Special: आज़ादी के परवाने रहे एस पी मिश्रा ने सबसे पहले अंग्रेज़ों के जमाने में ही पुलिस के लिए हथकड़ी बनाने का काम शुरू किया था। उसके बाद एस पी मिश्रा के बेटे उदय मिश्रा ने हथकड़ियों के इस कारोबार को नई जान दी जब उन्होंने इंग्लैंड से नए ज़माने की हथकड़ी का नमूना मंगाकर उसे अलीगढ़ में ढाला और फिर उसे पूरी दुनिया में फैला दिया। आज एस पी मिश्रा की तीसरी पीढ़ी इस कारोबार को आगे बढ़ा रही है।

अलीगढ़ के मोहल्ला सराय मान सिंह में मौजूद रूद्रा इंटरप्राइजेज़ की फैक्टरी में इन दिनों तो हिंजेस मोड हैंडकफ़ बनाई जा रही है। लेकिन इसी फैक्टरी में फिक्स्ड हैंड कफ और एडजस्टेबल हैंड कफ भी बनाई जाती है।

अमेरिका से अलीगढ़ तक चलती है 'वन क्लिक हैंडकफ'

Latest Crimetak Special: असल में इसी हिंजेस मोड हैंडकफ को ही वन क्लिक हैंडकफ भी कहा जाता है, जिसे हिन्दुस्तान से लेकर अमेरिका तक की पुलिस इस्तेमाल करती है। इसमें डबल लॉक होता है। ये हथकड़ी देखने में दुबली पतली भले लगे और वज़न में भी काफी हल्की है। मगर कार्बन स्टील से तैयार होने वाली ये 350 ग्राम की हथकड़ी है बेहद मज़बूत। हिंजेस मोड हैंडकफ की शुरूआत 2010 में हुई थी। जिसे एक झटके में कलाई में पहनाई जा सकती है।

जबकि पुराने ज़माने की फिक़्स्ड साइज की हथकड़ी का वज़न 450 से 500 ग्राम का होता है। उसके चार साइज़ होते थे, दो इंच, सवा दो इंच, ढाई इंच और पौने तीन इंच। लेकिन उन्हें अपने साथ लेकर चलना और उसका इस्तेमाल करना अपने आप में एक बेहद वक़्त खपाऊ होता है साथ ही साथ उसका वज़न कैदी के लिए बेहद कष्टकारी होता है।

हिन्दुस्तान में हथकड़ियों का इकलौता सप्लायर

Latest Crimetak Special: रूद्रा इंटरप्राइजेज के सुधांशु मिश्रा के मुताबिक ये हथकड़ियां वो राज्यों की पुलिस के दिए गए ऑर्डर के मुताबिक ही तैयार करते हैं। दिल्ली मुंबई एक अलावा, असम पुलिस, मध्यप्रदेश पुलिस बिहार पुलिस और गोवा की पुलिस भी अलीगढ़ से ही हथकड़ियां बनवाकर ले जाती हैं और अपने यहां के अपराधों की कलाई को जकड़ लेती हैं। लेकिन बात सिर्फ हिन्दुस्तान के ही मुलजिमों की कलाई तक सीमित नहीं है। सात समंदर पार के मुलजिम भी इसी अलीगढ़ के रुद्रा इंटरप्राइज़ेज़ की हथकड़ियों में जकड़े जा रहे हैं।

रुद्रा इंटरप्राइजेज में इंटरनेशनल बिज़नेस को देखने वाले सुधांशु मिश्रा ने एक बेहद दिलचस्प और मज़ेदार क़िस्सा भी सुनाया। उस क़िस्से के ताल्लुक फिल्मों से है। असल में फिल्मों में अक्सर अपराधी को हथकड़ी में जकड़े हुए या फिर हथकड़ी के साथ साथ बेड़ियों में जकड़ा हुआ दिखाया जाता है।

फिल्मों तक में पहुँची अलीगढ़ की हथकड़ी

Latest Crimetak Special: वो सारी की सारी हथकड़ियां अलीगढ़ के मिश्रा जी ही मुहैया करवाते हैं। और ये मिश्रा जी और कोई नहीं पहले उदय मिश्रा थे लेकिन अब उनकी जगह उदय मिश्रा के बेटे इस काम को देख रहे हैं। लेकिन फिल्मों में पिछले 50 साल से अलीगढ़ के मिश्रा जी की ही हथकड़ियां फिल्मी पर्दे के गुनहगारों को लगाई जा रही हैं।

कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट कर चुके सुधांशु मिश्रा का कहना है कि मलेशिया से लेकर नाइजीरिया तक में उनके यहां की हथकड़ियों- बेड़ियों की सप्लाई हो रही है। इसके अलावा खाड़ी के कई देशों से भी मांग होने लगी है। हालांकि हथकड़ियों की इस होड़ में उन्हें चीन से अच्छी खासी टक्कर मिल रही है। लेकिन दुनिया भर में हथकड़ियों के क़रीब 200 करोड़ के कारोबार में अलीगढ़ का हिस्सा दस प्रतिशत है।

दुनिया भर में अपनी हथकड़ियों के ज़रिए पूरे मार्केट की कलाई को जकड़ने की जिद ठाने बैठे रुद्रा इंटरप्राइजेज़ का मानना है कि वो जल्द ही दो से तीन तरह की नई डिजाइन की हथकड़ियां बाजार में लाने वाले हैं, जो उन्हें चीन और दूसरे मुल्कों के मुकाबले काफी आगे ले जाकर खड़ा कर देगी।

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