अल ज़वाहिरी की मौत अमेरिका को बेची थी पाकिस्तान ने, ISI की गहरी साज़िश का दावा

ADVERTISEMENT

अल ज़वाहिरी की मौत अमेरिका को बेची थी पाकिस्तान ने, ISI की गहरी साज़िश का दावा
social share
google news

ISI Mastermind: आयमन अल ज़वाहिरी (Al Zawahiri) ये नाम अब किताबों और इबारतों का हिस्सा होकर रह गया है। अल क़ायदा (Al Qaida) का सरगना अल ज़वाहिरी को मौत के घाट उतारने का दावा अमेरिका (America) की तरफ से किया गया था। 31 जुलाई को काबुल में अमेरिका के एक ड्रोन (Drone) से मारी गई मिसाइल के हमले में अल ज़वाहिरी की मौत हो गई थी। और ये दावा करने खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन मीडिया के सामने आए थे।

अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद एक ही झटके में ऐसा लगा कि अमेरिका ने फिर आतंकवाद के खिलाफ छेड़ी अपनी जंग में बड़ा हाथ मारकर दुनिया के कई दूसरे देशों के मुकाबले एक लंबी छलांग लगा ली है।

लेकिन तभी एक और बात भी सामने आई। जिसने कान खड़े कर दिए। और उन खड़े कानों ने जो सरगोशी सुनी उसका लब्बोलुआब कुछ ऐसा था जिसमें पाकिस्तान एक बेवफा देश बनकर सामने आता नज़र आया।

ADVERTISEMENT

एक रिपोर्ट के हवाले से कहा जा रहा है कि असल में ज़वाहिरी की मौत पाकिस्तान ने अमेरिका को बेची थी। पाकिस्तान ने ही अल ज़वाहिरी को पहले भरोसे में लिया और फिर उसकी लोकेशन अमेरिका को बेच दी। और इस कदम से पाकिस्तान ने एक तरह से एक तीर से कई निशाने साधने का जुगाड़ कर लिया है।

ISI Mastermind: रिपोर्ट में यहां तक दावा किया जा रहा है कि अल जवाहिरी के मारे जाने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और हक्कानी नेटवर्क की गहरी साज़िश है। दावा यही है कि अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी में तालिबान की हुकूमत के बाद हक्कानी नेटवर्क का दबदबा काफी बढ़ गया है। ऐसे में हक्कानी नेटवर्क की मर्जी और उसके फरमान की वहां कोई नफरमानी नहीं कर सकता।

ADVERTISEMENT

बताया जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क की देख रेख में ही अल क़ायदा के सरगना अल ज़वाहिरी ने काबुल में अपनी रिहाइश और अपने मिशन को ज़मीन दे रखी थी।

ADVERTISEMENT

यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज़ की मानें तो अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आने तक अल जवाहिरी को पाकिस्तान में ही छुप कर रहने की सलाह दी गई थी। माना ये भी जा रहा था कि जब तक अल ज़वाहिरी पाकिस्तान में छुपा हुआ था तो आस पास क्या अल क़ायदा के लोगों को भी अल ज़वाहिरी के ठिकाने का कुछ अता पता नहीं था।

हालांकि कुछ खुफिया खबरों में ये दावा किया जा रहा था कि अल क़ायदा के ओसामा बिन लादेन की तर्ज पर अल जवाहिरी के पाकिस्तान में ही छुपे होने की आशंका थी। लेकिन पूरे मुल्क में कहां है इसका पता कोई नहीं लगा सकता था। और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की रजामंदी के बगैर किसी को भी ये मालूम नहीं हो सकता था कि अल जवाहिरी का असली ठिकाना कहां है।

अब सवाल यही उठता है कि जब अल ज़वाहिरी पाकिस्तान में पूरी तरह से सुरक्षित था..वहां उसकी जान को कोई खतरा भी नहीं था यहां तक कि उसका संगठन का काम भी बड़ी ही आसानी से चल सकता था तो वो पाकिस्तान को छोड़कर अफगानिस्तान क्यों चला गया।

ISI Mastermind: न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आने के बाद अल जवाहिरी को पाकिस्तान के मुकाबले अफ़गानिस्तान में अपना ठिकाना बनाना ज़्यादा सुरक्षित लगने लगा था। हालांकि ये साफ नहीं है कि इसी वजह से ही अल जवाहिरी पाकिस्तान छोड़कर अफगानिस्तान गया। लेकिन माना जा रहा है कि पाकिस्तान और तालिबान हुकूमत के रिश्तों में वो गर्मजोशी नहीं दिखी लिहाजा अल कायदा के सरगना को अफ़गानिस्तान में रहना ज़्यादा सुरक्षित लगने लगा था।

और अल जवाहिरी की इसी मंशा को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के अफसर ताड़ गए। उन्हें लगने लगा कि अल क़ायदा के सरगना का ऐसा सोचना एक तरह से उनके इंतज़ाम पर सवाल खड़े करता है। ये बात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को नागवार गुजरी।

दूसरी तरफ ये भी माना जा रहा है कि पाकिस्तान अमेरिका जैसे मुल्क की उंगली पकड़े रहना चाहता है ताकि आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके पाकिस्तान को वक्त वक्त पर मदद भी मिल सके। लिहाजा वो फिर से इसी कोशिश में था कि जैसे भी हो वो अमेरिका का भरोसा फिर से हासिल कर सके।

और अल जवाहिरी की जिद ने पाकिस्तान के हुक्मरानों को ये सौदेबाज़ी का मौका दे दिया।

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के आकाओं को खुश करने के लिए ही पाकिस्तान ने अपनी कुछ मामूली शर्तों के साथ अल जवाहिरी की मौत का सौदा कर लिया। इससे उसने जिस सबसे बड़े निशाने को साधा कि उसकी अपनी एक विश्वसनीयत कायम हो जाएगी जो ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद उसके खुलास से घटी थी।

पाकिस्तान नहीं चाहता था कि किसी भी तरह अल जवाहिरी का पता अमेरिका को उसके पाकिस्तान में रहते हुए ही लगे, इसलिए जैसे ही अल जवाहिरी ने काबुल में अपना ठिकाना बनाया, अमेरिका के साथ ISI ने सौदा कर लिया...और काबुल की हुकूमत और हक्कानी नेटवर्क के नेटवर्क का सहारा लेकर जवाहिरी की लोकेशन बेच दी।

अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता की बातों पर यकीन किया जाए तो जवाहिरी की मौत के पीछे पाकिस्तान का हाथ है...लेकिन न तो पाकिस्तान और न ही अमेरिका इस बात को खुलकर किसी से कह सकते हैं। मगर पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, और इससे अच्छा मौका उसे और नहीं मिलने वाला था।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    यह भी पढ़ें...

    ऐप खोलें ➜