What is Narco Test : नारको टेस्ट में अपराधी कैसे सच बोलने लगता है? क्या होता है नारको टेस्ट?

ADVERTISEMENT

What is Narco Test : नारको टेस्ट में अपराधी कैसे सच बोलने लगता है? क्या होता है नारको टेस्ट?
social share
google news

Shraddha Murder Case : श्रद्धा मर्डर केस में  बीते 13 नवंबर को दिल्ली को हिलाकर रख दिया. पीड़‍िता की मौत की गुत्थी सुलझाने में जांच एजेंसियां जुटी हुई हैं. लेकिन अभी भी श्रद्धा का कटा हुआ सिर कहा है. वो कौन सी असली वजह थी जिसके चलते उसने हत्या की. इन सारी वजहों पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है.

ऐसे में नारको टेस्ट में ही अब श्रद्धा हत्याकांड का पूरा सच सामने आने की उम्मीद है. नारको टेस्ट (Norco Test) लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी मिल गई है. आइए जानते हैं Crime tak के Knowledge Segment में क्या है नार्को टेस्ट...

Narco Test kya hota hai: नारको टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जो कि आम भाषा में कहें तो अपराधी या आरोपी व्यक्ति से सच उगलवाने के लिए किया जाता है. और इस टेस्ट में ऐसा कहा भी जाता है कि इसमें सच उगलवाने की पूरी संभावना रहती है.

ADVERTISEMENT

Kiska kiya jata hai Narco test : नारको टेस्ट में अपराधी को कुछ दवाइयां दी जाती हैं इस दवाई को खाते ही इंसान का एक्टिव दिमाग पूरी तरह से सुस्त अवस्था में चला जाता है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं. जैसे आपने देखा होगा कि अक्सर किसी ने ज्यादा शराब अगर पी ली हो तो उसका दिमाग पर कंट्रोल नहीं होता है. ऐसे में कहा जाता है कि ये आदमी शराब पीकर झूठ नहीं बोलता, उसी तरह इस टेस्ट में भी आदमी पूरी तरह से अपने दिमाग को एक सुस्त अवस्था में ले जाता है. जिसके बाद व्यक्ति की लॉजिकल स्किल थोड़ी कम पड़ जाती है. और वह जानबूझकर या फिर दिमाग लगाकर मनगढ़ंत बातें नहीं कह पाता है.

नारको टेस्ट में सोडियम पेंटोथल (sodium pentothal) का इंजेक्शन लगाया जाता है. इस इंजेक्शन को ट्रूथ ड्रग (Truth Drug) नाम से जाना जाता है. कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन खून में ये दवा पहुंचते ही व्यक्त‍ि सुस्त अवस्था में पहुंच जाता है. उस व्यक्त‍ि से अर्धम‍ूर्छित अवस्था में टीम अपने पैटर्न से सवाल करती है. 

ADVERTISEMENT

  • डॉक्टर (फिजिकल एग्जामिन, दवा देना)

ADVERTISEMENT

  • फॉरेंसिक एक्सपर्ट (इंजेक्शन देने के बाद सवाल जवाब)

  • जांच अधिकारी (जांच के लिए पूछताछ)

  • मनोवैज्ञानिक (मानसिक रूप से जब दिमाग असंतुलित होता है तो उसका  एग्जामिन करना)

  • इस दौरान सुस्त अवस्था में सोच रहे व्यक्ति से सवाल-जवाब घटनाक्रम आदि के बारे में पूछा जाता है. इस दौरान व्यक्त‍ि में तर्क क्षमता काफी कम होती है, ऐसे में उससे सच उगलवाने की गुंजाइश बढ़ जाती है. 

    अक्सर क्राइम के मामलों में अगर झूठी कहानी बनाई गई होती है तो उसे स्थापित करने के लिए कई और झूठ बोलने पड़ते हैं, जिसमें व्यक्त‍ि को ज्यादा दिमाग लगाना पड़ता है. लेकिन जब दिमाग श‍िथ‍िल होता है तो उससे सच निकलवाना ज्यादा आसान होता है. अक्सर लोग अर्ध बेहोशी के दौरान बातों को घुमा-फिरा नहीं पाते हैं. ऐसे में फॉरेंसिक और मनोवैज्ञानिकों की टीम झूठ पकड़ लेती है. 

    बता दें कि साल 2010 में केजी बालाकृष्णन की तीन जजों की खंडपीठ ने कहा था कि जिस व्यक्ति का नार्को टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट लिया जाना है उसकी सहमति बहुत जरूरी है. इसीलिए सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी को नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट से अनुमत‍ि लेना जरूरी होता है. 

      follow on google news
      follow on whatsapp

      ADVERTISEMENT

      ऐप खोलें ➜