What is IPC Section 121? क्या है IPC की धारा 121? इसमें भी हो सकती है फांसी की सजा

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IPC Section 121
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Gorakhnath temple attack Today News : गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर परिसर के बाहर PAC जवानों पर हमला करने के मामले के दोषी IIT इंजीनियर मुर्तुजा अब्बासी (IIT engineer Murtuza Abbasi) को फांसी की सजा सुनाई गई है. इस मुर्तुजा अब्बासी को देश के खिलाफ जंग छेड़ने की आईपीसी की धारा-121, हत्या के प्रयास की धारा-307 समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. इस केस में पिछले 60 दिनों से लगातार NIA कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. इसके बाद 30 जनवरी को एनआईए कोर्ट ने सजा का ऐलान किया.

What is IPC Section 121?: भारत सरकार के खिलाफ जंग या युद्ध छेड़ना या इस तरह की कोइ कोशिश करना बहुत ही गंभीर अपराध में से एक है. IPC (Indian Penal Code) में ऐसे अपराध को परिभाषित किया गया है. वहीं IPC की धारा 121 (IPC Section 121)  में ऐसा करने वाले या वालों के खिलाफ मौत या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. IPC की धारा 121 में क्या कुछ कहा गया है आइए जानते हैं.


जो कोई भी भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ता है, या इस तरह के युद्ध को छेड़ने का प्रयास करता है या इस तरह के युद्ध को छेड़ने के लिए उकसाता है, तो ऐसे अपराध को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में परिभाषित किया गया है, आईपीसी की धारा 121 (Section 121) में ऐसा करने वाले या वालों के खिलाफ मौत या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.

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धारा 121 के अनुसार, यदि कोई भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करता है, या ऐसा युद्ध करने की कोशिश करता है या फिर युद्ध करने के लिए उकसाता है, तो वह व्यक्ति मृत्युदंड  या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा. वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा.

धारा 121 एक गैर-जमानती और कॉग्निजेबल ऑफेंस है. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध (Cognizable offenses) है. दरअसल, ये अपराध गंभीर और संगीन प्रकार के होते हैं. जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट (Sessions court) में होती है. इस अपराध में समझौता नहीं हो सकता.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
What is India Penal Code ? भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा बताती है. साथ साथ अपराध करने पर क्या दंड मिलेगा, ये भी बताती है, यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई थी.

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अब आपको बताते है कि भारतीय दंड संहिता की तमाम धाराओं के बारे में। शुरुआत करते है, IPC की धारा 1 से.

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