बेटे ने पूछा, मेरा बाप कौन है? बिनब्याही मां ने 27 साल पहले हुए रेप की दर्द भरी कहानी सुना दी

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Real Rape Story : क्राइम की ऐसी कहानी (Crime Story) शायद ही आपने कभी सुनी होगी. इस रियल कहानी में एक मां का दर्द है. तो एक बेटे का हौंसला. वही बेटा, जिसके सिर पर नाजायज औलाद का दाग लगा है. इस कहानी में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले दो दरिंदें भी हैं. जो 12 साल की एक लड़की की आबरू लूटते हैं. तब उस बच्ची का ये पता नहीं था कि उसके जिस्म को ये दरिंदे नोंचते क्यों हैं. उसे दर्द होता है. चीखती है तो ये ऐसा क्यों कहते हैं कि इस बारे में अपनी दीदी और जीजा को मत बताना. वरना तुम्हारे दीदी-जीजा को ही मार देंगे. फिर वो लड़की गर्भवती होती है.

डॉक्टर के पास ले जाया जाता है. ताकी पेट में पल रहे बच्चे को दुनिया में आने से पहले मार दिया जाए. पर डॉक्टर हाथ खड़े कर लेते हैं. ये कहकर कि अगर बच्चे के साथ कुछ किया तो जिस जिस्म में वो पल रहा है वो भी बेजान हो जाएगी.

आखिरकार उस बच्चे को जन्म देना पड़ा. आखिरकार उस मां को बिनब्याही मां बनना पड़ा. और आखिर में वो लड़की मां बनकर भी अपने बच्चे को कभी गोद में नहीं खिला सकी. हमेशा के लिए दूर रही. क्योंकि परिवार ने उस बच्चे को दूर के रिश्तेदार को दे दिया. समय के साथ वो लड़की बड़ी होती है. करीब 28 साल की उम्र में उसकी शादी होती है. पुरानी सभी बातें भुलाकर. लेकिन कहते हैं कि कपड़े पर लगे दाग तो धुल सकते हैं लेकिन जिस्म पर लगी एक खरोंच भी उम्र के किसी पड़ाव पर कई बार उभरकर सामने आ जाती है.

इस लड़की के साथ भी ऐसा ही हुआ. बचपन में इस लड़की से जब दो लोगों ने रेप किया था और उससे एक बच्चा भी हुआ था. शादी के कई साल बाद उस लड़की के पति को इस बात की भनक लग जाती है. तब तक वो लड़की एक और बच्चे की मां बन चुकी थी. पर ये संतान कोई नाजायज नहीं थी.

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बाकायदा इसके पिता का नाम था. पर पुराने दाग की वजह से इस लड़की के ही चरित्र पर सवाल उठाया जाता है. और फिर वो अकेली हो जाती है. ना अपने परिवार की. और ना ही ससुराल की. अब वो लड़का जो नाजायज था. उसे कोई दूर का रिश्तेदार पाल रहा होता है. उसे भी पता चल जाता है कि जिनकी गोद में खेला और बड़ा हुआ वो मेरे असली मां-बाप नहीं हैं. तो फिर असली पिता कौन हैं? ये पता लगाने के लिए वो अपनी असली मां के पास आता है. फिर सवाल करता है...मेरा बाप कौन है? फिर वो मां क्या कहती ...जानते हैं आगे क्राइम की रियल कहानी (Crime Ki Kahani) में उसी मां की जुबानी...

यूपी के शाहजहांपुर में रेप की ये घटना झकझोर देगी

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लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि मामला यूपी के शाहजहांपुर का है. यहां 12 साल की उम्र में लड़की से हुए रेप के बाद जन्मे बच्चे और पूरी घटना करीब 28 साल बाद सामने आती है. बेटे के कहने पर मां उन दो दरिंदों का नाम बताती है. बेटा और मां दोनों थाने जाते हैं. पुलिस इस रेप की घटना पर यकीन नहीं करती है. फिर ये वकील के पास जाते हैं.

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कोर्ट के आदेश पर 1994 में हुए रेप की घटना की 4 मार्च 2021 को एफआईआर दर्ज होती है. पुलिस पर दबाव बनता है तो जांच शुरू होती है. बेटा ही बार-बार आवाज उठाता है. तब डीएनए टेस्ट कराया जाता है. इसमें मां-बेटे के साथ रेप करने वाले एक आरोपी का डीएनए मैच हो जाता है. जिसके बाद पुलिस एक आरोपी को गिरफ्तार करती है जबकि मुख्य आरोपी डीएनए सैंपल देने के बाद ही फरार हो जाता है. उसकी तलाश अभी जारी है. इस दर्द भरी कहानी के बारे में जानते हैं उसी पीड़ित महिला की जुबानी...

वो रेप पीड़ित कहतीं हैं...

मैं करीब 12 साल की थी जब अपनी बहन के पास पढ़ाई करने के लिए शाहजहांपुर गई थी. मेरी बहन स्कूल में टीचर थी जब मेरे बहन और बहनोई घर से बाहर निकलते थे दो लड़के हमारे घर में घुस आते थे. उन दोनों में मेरे साथ रेप किया. वो टॉर्चर सहकर आज भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं. आंखों में आंसू आ जाते हैं. उन लोगों ने कई बार मेरे साथ दुष्कर्म किया. वो लोग धमकाकर भी जाते थे कि अगर मुंह खोला तो बहन बहनोई को जान से मार देंगे.

कुछ महीने बाद मेरी तबीयत खराब रहने लगी. तो डॉक्टर को दिखाया गया तो प्रेग्नेंसी का पता चला. घरवालों ने अबॉर्शन कराने के लिए मन बनाया लेकिन डॉक्टर ने मना कर दिया क्योंकि मेरी उम्र कम थी. अबॉर्शन करने पर मेरी जान को खतरा था. इसलिए मजबूरी में डिलीवरी करानी पड़ी.

इसकी शिकायत मेरे बहन बहनोई ने उन दोनों लड़कों के घरवालों से की तो दोनों भाइयों ने मिलकर बहन बहनोई को बहुत मारा था. फिर मेरी बहन बहनोई ने रामपुर ट्रांसफर करा लिया. रामपुर में ही मेरे बच्चे का जन्म हुआ. मैंने उस बच्चे को देखा भी नहीं और मेरी मां ने किसी को दे दिया था.

मां बाप ने कहा था कि इस किस्से को भूल जाओ. साल 2000 में मेरी शादी हो गई, अच्छी खासी खुशहाल जिंदगी बीत रही थी कि मेरे पति को मेरे साथ हुई इस घटना की जानकारी हो गई. हमारे बीच झगड़े होने लगे, मेरे चरित्र पर उंगली उठाई जाने लगी तो आखिर में मैं अपने बेटे (जो शादी के बाद हुआ था बेटा) को लेकर लखनऊ आ गई.

जिस बेटे को गोद दिया गया था वहां पर लोग उसे प्रताड़ित करने लगे. नाजायज औलाद, तू मुस्लिम है कहकर लोग ताना मारने लगे. जिन लोगों ने मेरा बेटा गोद लिया था वह मेरी रिश्तेदारी में ही थे. इसलिए सबको पता चल गया था कि वह मेरा बेटा ही है. जब मेरा बेटा बहुत परेशान हो गया तो एक दिन मेरे पास आकर सवाल करने लगा. मैं जिनके साथ रह रहा था वह मेरे पिताजी नहीं है. वह मेरी मां भी नहीं है. तो मैं कौन हूं आप मुझे बताइए.

पीड़ित महिला कहती हैं कि छोटे पर तो मैं बेटे के इन सवालों को टाल देती रही. कई बार उसे डाट देती थी. किसी तरह चुप करा देती थी. लेकिन वह बड़ा हो गया तो वह जिद पकड़ लिया कि मुझे बताइए मेरे पिता कौन हैं? वो कहता था कि सबके पिता हैं. लेकिन जिन्हें मैं पिता कहता हूं वो तो मेरे पिता है नहीं. इसलिए मेरे पिता कौन हैं, अब मुझे जानना है.

जब और बड़ा हो गया तब उसने कहा कि मुझे बताओ नहीं तो मैं सुसाइड कर लूंगा. मेरा अस्तित्व ही नहीं है. आप मुझे कुछ बताते नहीं हो, जिनके साथ रहता हूं वह गंदा खून कह कर दुर्व्यवहार करते हैं. तो मेरी जिंदगी कैसे चलेगी मैं कैसे जिऊं.

मैंने बहुत समझाया लेकिन नहीं माना तो मैंने पूरी आपबीती उसको बताई. बेटे ने मेरी बात सुन कर कहा की मम्मी आप अकेली नहीं हो मैं आपके साथ हूं. अब यह लड़ाई हम दोनों लड़ेंगे. बहुत कठिन वक्त था, जिस बच्चे को मैंने जन्म दिया मैंने उसको देखा भी नहीं. उस बच्चे को 10 साल बाद देखा, तो हम बता नहीं सकते, मेरे पास शब्द नहीं है, क्या तकलीफ हो रही थी क्या हमारे ऊपर गुजरी है. हस्बैंड ने छोड़ दिया, मां-बाप से रिश्ते खत्म हो गए, रिश्तेदारों ने साथ देना बंद कर दिया. जिंदगी में बिल्कुल अकेले पड़ गए थे.

बेटे की जिद पर जिंदगी में पहली बार मिली असली खुशी

अब बेटे का सपोर्ट मिल रहा है. मेरे बेटे ने कहा कि जो सजा आपने जिंदगी में काटी है अब दूसरों को सजा काटने की बारी है. जिन लोगों ने आपके साथ ऐसा किया है, मेरी जिंदगी बर्बाद किया है वह लोग सुकून से जी रहे हैं. मैं आपके साथ हूं. आप लड़ाई लड़ो, उनको पकड़वाएंगे, उनको सजा करवाएंगे. बेटे का इतना हौसला मिला. अगर मैं यह कदम नहीं उठाती यह लड़ाई नहीं लडती तो मेरे बेटे ने कह दिया था की लड़ाई लड़ो नहीं तो हम सुसाइड कर लेंगे.

मुझे यह नहीं पता था कि मेरे साथ दुष्कर्म करने वाले दोनों भाइयों में मेरा बेटा किसका है. तो हम मां बेटे के साथ उन दोनों भाइयों गुड्डू और नकी हसन की डीएनए सैंपलिंग हुई. डीएनए सैंपलिंग बड़े भाई नकी हसन से मैच हुई जो अभी फरार है. छोटा भाई गुड्डू पकड़ा गया है नकी हसन उर्फ ब्लडी फरार है.

शुरू में पुलिस का रिस्पांस ठीक नहीं था. मैंने जब अपने वकील से बात की तो वकील ने भी कहा कि अब तो कुछ भी नहीं है. कहां से सुबूत लाएंगे. जब थाने गए तो वह खुद ही कहने लगे कि आप कैसे साबित करेंगे.

1 साल 2 साल का मामला हो तो ठीक है तो पूरे 27 साल बाद आ रही है तो कैसे सुबूत इकट्ठा होंगे. 1 साल तक पुलिस ने बहुत टहलाया, मेरी कंप्लेंट तक दर्ज नहीं हुई. लेकिन जब कोर्ट में अर्जी दी तब जाकर 4 मार्च 2021 को एफआईआर दर्ज हुई, तब पुलिस ने मेरा पूरा सपोर्ट किया. मुख्य आरोपी भले ही फरार है लेकिन कब तक फरार रहेंगे जो सजा हमने काटी है अब उनकी सजा काटने की बारी है.

INPUT : लखनऊ से संतोष कुमार की रिपोर्ट

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