AFTAB NARCO : आफताब ने नार्को को भी दिया धोखा या पूरा सच बता दिया, ये रिपोर्ट चौंका देगी

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Aftab Narco Test : आफताब ने नार्को टेस्ट में क्या बोला. क्या उसके नार्को टेस्ट से पुलिस की जांच में कोई खास फायदा होने वाला है. क्या आफताब ने ऐसी कोई बड़ी जानकारी दी है जो अब तक की पूछताछ में उसने पुलिस को नहीं बताया था. ये तमाम सवाल हैं जो हर कोई आफताब के नार्को से जानना चाहता है. आफताब के नार्को में आखिर क्या मिला जो अब तक पुलिस को जानकारी नहीं थी. इस बारे में नार्को टेस्ट करने वाली टीम से जुड़े एक खास डॉक्टर ने बताया कि ऐसी कोई अलग जानकारी नहीं मिली जो इससे पहले आफताब ने पुलिस को नहीं बताई थी. यानी आफताब ने नार्को में भी वही बातें बताईं जो अभी तक पुलिस की पूछताछ के दौरान बताई थी.

जैसे श्रद्धा की हत्या कैसे और कब की. तो वही जवाब दिया जो उसने पुलिस को बताई थी. ज्यादातर अंग्रेजी में बोलते हुए उसने कहा कि हां मैंने श्रद्धा का मर्डर किया है. हड्डियों को फेंकने के साथ कटे हुए सिर कों कहां फेंका. तो ऐसे सवाल पर भी वही जवाब दिए. जैसे हड्डियों को महरौली के जंगलों में और कटे हुए सिर को एक तालाब में फेंका था. इसी तरह श्रद्धा के फोन को लेकर भी उसने मुंबई के एक क्रीक में फेंके जाने की जानकारी दी है.

अगर सूत्रों की तरफ से दी गई इस जानकारी को सच मान लिया जाए तो एक बात तय है कि या तो आफताब बेहद शातिर है जो पुलिस के साथ नार्को टेस्ट को भी ठीक वैसे ही चकमा दे रहा है जैसा वो चाहता था. या फिर वाकई वो हर बार सच बोल रहा है. लेकिन अगर वो पुलिस और नार्को टेस्ट दोनों में सच बोला है तो फिर श्रद्धा का कटा हुआ सिर अभी तक क्यों नहीं मिला. ये बेहद ही हैरान करने वाला सवाल है. या फिर जैसे कि बेहद शातिर और दिमाग को कंट्रोल में करने वाला शख्स पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट को भी चकमा दे सकता है तो कहीं आफताब भी वैसा शातिर तो नहीं है.

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हर सवाल का जवाब बेहद आराम और इत्मीनान से दिए

सूत्रों की मानें तो आफताब ने फॉरेंसिक साइकोलॉजिस्ट के पूछे हर सवाल का जवाब इत्मीनान से दिया. और जैसा कि अब तक वो करता रहा है, उसने ज्यादातर सवालों के जवाब अंगेजी में ही दिए। टेस्ट के दौरान आफताब पहले कई सवालों पर चुप ही रहा, लेकिन जब उससे दोबारा वही सवाल पूछे गए, तो उसने जवाब दिया। कुछ इसी तरह उसने कुछ सवालों के जवाब देने में थोड़ा वक्त लिया।


इस नार्को टेस्ट के जरिए वैसे तो पुलिस और फॉरेंसिक एक्सपर्ट श्रद्धा के कत्ल की साजिश से लेकर उसकी लाश के टुकडे टुकडे करने और उन्हें निपटाने के पूरे सिक्वेंस को समझना चाहते थे, लेकिन इन सवालों के केंद्र में श्रद्धा का कटा हुआ सिर, उसका मोबाइल फोन, हथियार और कत्ल के वक्त पहने गए श्रद्धा के कपडे ही ज्यादा थे। टेस्ट के दौरान आफताब से बहुत से सवाल पूछे गए, लेकिन इन सवालों में जो सबसे अहम थे, वो हैं.

श्रद्धा का कत्ल किस तारीख को किया?
श्रद्धा को क्यों मारा?
श्रद्धा को कैसे मारा?
लाश के टुकडे कैसे किए?
टुकडे करने के लिए हथियार कहां से खरीदे?
टुकडों को घर में कितना वक्त तक रखा?
टुकडों को कैसे और कहां रखा?
लाश के टुकडों को कहां-कहां ठिकाने लगाए?
हथियार कहां फेंके?
कत्ल के बाद छह महीने तक क्या कुछ किया?
अगर कत्ल गुस्से में और गलती से किया तो तभी पुलिस के सामने सरेंडर क्यों नहीं किया?

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आफताब के नार्को टेस्ट : कब क्या-क्या हुआ


नार्को एनालिसिस टेस्ट के दौरान उसे एक साथ कई दवाएं दी जानी थी और इसी के साथ उसकी सेहत की पल-पल कर निगरानी होनी थी, अस्पताल के डॉक्टर्स और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने नार्को टेस्ट की प्रक्रिया शुरू करने पहले आफताब को कुछ के लिए सेटल होने यानी शांत होने का समय दिया। इस दौरान डॉक्टरों ने आफताब से मामूली बातचीत की और फिर उसके ब्लड पेशर, पल्स रेट, हार्ट बीट, बॉडी टेंपरेचर और दूसरे पैरामीटर्स की जांच की गई।

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मकसद नार्को से पहले ये पूरी तरह सुनिश्चित करना था कि आफताब ना तो पहले से बीमार है और ना ही उसे किसी तरह की कोई जिस्मानी या जेहनी परेशानी है। जांच में जब एक के बाद एक ये सारे पैरामीटर्स बिल्कुल सही पाए गए, तो फिर डॉक्टरों ने नार्को टेस्ट की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया।

सुबह 9.50 मिनट : नार्को टेस्ट की प्रक्रिया शुरू

सुबह ठीक नौ बजकर पचास मिनट पर ऑपरेशन थियेटर में नार्को टेस्ट की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। इसके तहत सबसे पहले आफताब को डॉक्टरों ने एक कंसेंट फॉर्म सौंपा और उसे तसल्ली से पढ़ कर उस पर साइन करने यानी इस टेस्ट के लिए अपनी रजामंदी देने की बात कही। इस फॉर्म पर ना सिर्फ नार्को टेस्ट करनेवाले डॉक्टरों की टीम के, बल्कि मौके पर मौजूद फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और दूसरे अधिकारियों के भी नाम लिखे थे। सूत्रों की माने तो आफताब ने अब तक के अपने रवैये के मुताबिक ही पूरी तसल्ली से कंसेट फॉर्म को पढ़ना शुरू किया और संतुष्ट हो जाने के बाद उस पर दस्तखत भी कर दिए।

और तो और कंसेंट फॉर्म देने से लेकर, उसके बारे में आफताब को बताने, समझाने और उसकी रजामंदी के बाद ही टेस्ट कंडक्ट करने के बारे में उसे जो जानकारी दी गई, उसकी पूरी की पूरी प्रक्रिया की भी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। आफताब को बताया गया कि उसके हां कहने के बाद उसे कुछ दवाएं दी जाएंगी, जिसके बाद वो कुछ देर के लिए नीम बेहोशी की हालत में चला जाएगा और इसी दौरान उससे केस से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे और उन सभी के सभी सवालों और जवाबों को रिकॉर्ड किया जाएगा। और नियम के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया की भी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।

सुबह 10.10 मिनट : इंजेक्शन के जरिए एनिस्थीसिया की डोज दी गई


आफताब को समझाने-बुझाने और उसकी रज़ामंदी लेने के ठीक दस मिनट बाद उसे अपनी बेड पर लेटने को कहा गया और फिर सुबह दस बजकर दस मिनट पर उसे इंजेक्शन के जरिए एनिस्थीशिया समेत दूसरी जरूरी ड्रग्स की खुराक दी गई। इस दौरान डॉक्टरों ने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि आफताब को दी जा रही एनिस्थीसिया और दूसरी दवाओं की डोज बिल्कुल सही हो। ना थोडा कम और ना थोडा ज्यादा। क्योंकि डोज कम होने पर आफताब नीम बेहोशी की हालत में पहुंचने से रह सकता था। ऐसे में नार्को टेस्ट के दौरान वो डॉक्टरों और फॉरेंसिक एक्सपर्टस को भी धोखा भी दे सकता था। जबकि डोज ज्यादा होने पर ना सिर्फ उसके गहरी बेहोशी में चले जाने का खतरा था, बल्कि ज्यादा डोज से उसकी जान भी जा सकती थी।

ऐसे में एनिस्थीशिया का इंजेक्शन लगाने के बाद डॉक्टरों ने सबसे पहले आफताब के शरीर पर उसका एफेक्ट देखने और समझने की कोसिश की। एनिस्थीशिया का असर सबसे पहले उसकी आंखों और जुबान पर ही दिखा। आम तौर पर एनिस्थीशियात इंसान के सीएनएस यानी सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अपना असर दिखाता है और उसे सबकॉन्शियस स्टेट में ले जाता है। यानी इंसान अपने आस-पास की चीजों को महसूस तो कर सकता है, लेकिन पूरी सक्रियता से रिएक्ट नहीं कर सकता। इस हाल में जहां आंखें बंद होने लगती हैं, वहीं जुबान भी लड़खड़ाती हुई महसूस होती है। बहरहाल... जब एनिस्थीशिया और दवाओं की डोज के बाद डॉक्टरों को आफताब के पूरी तरह नीम बेहोशी में चले जाने की तसल्ली हो गई, तो फिर उससे सवाल जवाब का सिलसिला शुरू किया गया।

सुबह 11.50 बजे : नार्को के बाद उसे कुछ देर के लिए नॉर्मल किया


आफताब से सवाल जवाब का ये सिलसिला लगभग दो घंटे तक चलता रहा और दोपहर 12 बजने से महज दस मिनट पहले नार्को टेस्ट की ये प्रक्रिया पूरी हो गई। इसके बाद आफताब को एक बार फिर से सेटल होने यानी नीम बेहोशी की हालत से बाहर आने के लिए थोड़ा और वक्त दिया गया और दौरान उसे कुछ और जरूरी दवाएं भी दी गईं। डॉक्टरों ने पहले उसे ऑब्जरवेशन में रखा। यानी कुछ देर के लिए उसकी निगरानी की और फिर जब वो होश में आने लगा, तो उससे बातचीत कर साइकोलॉजिकल थेरेपी के जरिए उसे जल्द से जल्द नॉर्मल करने की कोशिश की गई।

दोपहर 1.00 बजे : आफताब नॉर्मल हुआ तो तिहाड़ जेल भेजा गया


दवाएं, डॉक्टरों की कोशिश और साइकोलॉजिकल थेरेपरी के जरिए नार्को टेस्ट के करीब एक घंटे बाद यानी दोपहर एक बजे तक आफताब पूरी तरह नॉर्मल हो चुका था... और फिर जल्द ही जेल और कैदियों की सुरक्षा में तैनात थर्ड बटालियन की गाड़ी आफताब को लेकर डॉक्टर अंबेडकर अस्पताल से तिहाड़ जेल के लिए रवाना हो गई। और कुछ इस तरह श्रद्धा मर्डर केस का खुलासा होने के पूरे 18 दिन बाद आरोपी कातिल आफताब का नार्को टेस्ट पूरा हो चुका था।

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