पेट में लेकर चल रहा था 70 'बम' जहाज से उतरने के बाद आया पकड़ में...

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उसने अपना नाम फ्यूमो इमेन्यूल बताया और वो अफ्रीकी देश मोज़ाम्बिक का रहने वाला है।उसके सामान की तलाशी ली गई लेकिन उसमें से कुछ नहीं मिला। नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास पुख्ता सूचना थी कि इस शख्स के पास ड्रग की खेप है लेकिन सामान की परत दर परत तलाशी लेने के बावजूद भी ब्यूरो को वो नहीं मिला जिसकी वो तलाश कर रही थी।

ब्यूरो ने तय किया कि वो फ्यूमो को जाने देंगे। शिष्टाचार के तौर पर ब्यूरो ने फ्यूमों को छोड़ने से पहले पानी पीने के लिए दिया लेकिन उसने पानी पीने से मना कर दिया। ये बात ब्यूरो के लोगों के लिए नई नहीं थी। दरअसल ये ब्यूरो के कर्मचारियों की चाल थी ये पता लगाने के लिए कि उनकी पकड़ में आया ये शख्स swallower तो नहीं है।

ब्यूरो का अंदाजा ठीक था दरअसल फ्यूमो ने अपने पेट में एक दो नहीं बलकि 70 कैप्सूल छिपा रखे थे। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया और शौच के रास्ते ब्यूरो ने 70 कैप्सूल में बंद एक किलो से भी ज्यादा की कोकीन बरामद की जिसकी इंटरनेशनल मार्केट में कीमत दस करोड़ रुपये है।

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अब आपको बताते हैं कि आखिर ये swallowers कौन होते हैं?कैसी होती है इनकी रहस्यमयी दुनिया? क्यों ये अपने पेट में ऐसा बम लेकर चलते हैं जो अगर फट जाए तो चंद मिनटों में ही उनकी मौत हो जाएगी। क्यों वो अपनी जान को दांव पर लगा देते हैं।

कौन होते हैं सॉलोअर्स ?

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दुनिया भर के एयरपोर्ट्स और बॉर्डर्स पर नामालूम कितने ही सुरक्षा जांच से गुज़र कर हर रोज़ लाखों लोग अपनी मंज़िलों तक पहुंचते हैं, लेकिन ऐसे शातिर लोगों की भी इस दुनिया में कोई कमी नहीं, जो ऐसे तमाम सुरक्षा इंतज़ामों को धत्ता बता कर वो सबकुछ कर गुज़रते हैं, जिन्हें आईन-क़ानून की निगाह में गलत या गैरकानूनी कहा जाता है... और सॉलोअर्स इन्हीं लोगों में शुमार हैं...

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दरअसल, कस्टम और पुलिस की निगाह से बचने के लिए ये सॉलोअर्स अक्सर ड्रग्स और सोने जैसी क़ीमती चीज़ें अपने पेट में भर लेते हैं और अपने ठिकाने तक पहुंचने के बाद उन्हें पेट से निकाल कर खुले बाजार में बेच कर मोटी कमाई करते हैं... जबकि कई पेट में ड्रग्स के पैकेट फट जाने की वजह से मौत के मुंह में समा गए...

आमतौर पर हिंदुस्तान में सॉलोअर्स अपने पेट में कोकीन छिपा कर पहुंचते हैं... क्योंकि कोकीन हिंदुस्तान में नहीं मिलता... जबकि साउथ अफ्रीका समेत दुनिया के कुछ ख़ास हिस्सों में पैदा होने वाले कोका प्लांट से बनाए जाने वाले इस ड्रग्स की हिंदुस्तान की हाई प्रोफ़ाइल सोसायटी में बड़ी मांग है... और इसी मांग को देखते हुए अक्सर सॉलोअर अपने पेट में कोकीन छिपा कर यहां ले आते हैं...

आमतौर पर सॉलोअर्स इन कोकीन को कंडोम की थैलियों में पैक कर निगल लेते हैं और चुपके से हिंदुस्तान में दाखिल हो जाते हैं... फिर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच कर ये थैलियों में बंद कोकीन निकाल कर उन्हें बेच दिया जाता है...कई बार सॉलोअर प्लास्टिक या रबर के छोटे-छोटे कैप्सुल बना कर उन्हें किसी ऑयली चीज़ के सहारे निगल लेते हैं और इस तरह तस्करी का काम पूरा होता है...

एक ऐसे सॉलोअर का राज़ दुनिया के सामने जब खुला जब वो पेट में सोने के बिस्कुट छिपा कर उन्हें हिंदुस्तान लेकर पहुंचा था... इस सॉलोअर को पेट में ज़्यादा सोना होने की वजह से तेज़ दर्द की शिकायत हुई और उसे गंगा राम अस्पताल में भर्ती होना पड़ा... लेकिन यहां जैसे ही डॉक्टरों ने उसके पेट का एक्सरे किया, सारी बात साफ़ हो गई... इसके बाद एक ऑपरेशन से उसकी जान तो बच गई, लेकिन वो पुलिस की जाल से नहीं बच सका...

कोकीन के उलट हिंदुस्तान से हेरोईन, एफीड्रिन, शूडो एफीड्रिन और चरस जैसे ड्रग्स बाहर तस्करी के ज़रिए भेजे जाते हैं... लेकिन ना तो ये कोकीन की तरह बेहद महंगा नहीं होने की वजह से इन ड्रग्स की तस्करी के लिए सॉलोअर्स की ज़रूरत नहीं पड़ती... और अक्सर तस्कर ऐसे ड्रग्स कभी जूते-चप्पलों में, कभी किसी बैग में, मूर्ति में या औजारों में छिपा कर ले जाते हैं... ख़ास कर बड़ी खेप की तस्करी के लिए कई बार हैवी मशीनरी का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मशीन के वजन में 10-20 किलो ड्रग्स भी आसानी से खपा दिया जा सके...

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