UP Crime: बिजली चोरी, 9 मुकदमें 18 साल की सजा, यूपी के सबसे बड़े बिजली चोर को किया गया बरी

TANSEEM HAIDER

16 Dec 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:32 PM)

Court News: उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी के नौ मामलों में दो दो साल कैद यानी कुल 18 साल कैद और जुर्माना की सजा पाए आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए बरी कर दिया है।

CrimeTak
follow google news

UP Court News: उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी (Power Theft) के नौ मामलों में दो-दो साल कैद यानी कुल 18 साल कैद (Imprisonment) और जुर्माना की सजा पाए आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने इस आदेश के पीछे निजी स्वतंत्रता और बुनियादी अधिकारों की संरक्षा की अपनी भूमिका का भी हवाला दिया है। 

बिजली चोरी के जुर्म में पिछले कई सालों से जेल में बंद एक आदमी को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने रिहा करने का आदेश दिया। आदेश पारित करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वैसे तो हमारे सामने आया कोई भी मामला छोटा बड़ा नहीं होता। लेकिन अगर हम निजी स्वतंत्रता से संबंधित ऐसे मामलों में कुछ नहीं करेंगे तो हमारा यहां बैठने का मतलब क्या रह जाता है।  

यह भी पढ़ें...

चीफ जस्टिस ने कहा कि हम यहां ऐसे ही लोगों की सिसकियां सुनने के लिए हैं। इसीलिए तो हम रातों को जागते हैं। अगर हम उनकी सुरक्षा नहीं करेंगे तो नागरिकों की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी। स्वतंत्रता और जीवन का अधिकार तो किसी भी नागरिक का अभिन्न और अकाट्य अधिकार है। इसकी सुरक्षा सुप्रीम कोर्ट की पूरी जिम्मेदारी है। न कम न ज्यादा! कैद की सजा भुगत रहा याचिकाकर्ता इकराम बिजली चोरी के अलग अलग नौ मामलों में दोषी पाया गया।

ट्रायल कोर्ट ने सभी मामलों में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 136 और आईपीसी की धारा 411 के तहत अलग अलग दो दो साल कैद और हजार हजार रुपए नकद जुर्माने की सजा सुनाई। इन नौ अलग अलग मामलों में बाकी अभियुक्त तो अलग अलग थे। सिर्फ इकराम सभी में कॉमन था। सभी अभियुक्तों के साथ उसे भी सभी नौ मामलों में दो दो साल सजा हुई। क्योंकि उसने भी अपना अपराध कोर्ट के सामने कबूल कर लिया था।

कोर्ट ने भी इसके बाद उसकी हिरासत की अवधि को सजा में ही एडजस्ट करते हुए आदेश में लिख दिया था कि सभी मुकदमों की सजा एक के बाद एक चलेंगी। यानी नौ मुकदमों के लिए 18 साल सजा। 2015 में सुनाई गई सजा के बाद ए अब तक इकराम सात साल सलाखों के पीछे गुजार चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा।

    follow google newsfollow whatsapp