Kidney scam in Gujarat : 5 साल बाद सभी गवाह मुकरे, किडनी रैकेट के सभी आरोपी बरी

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27 Jan 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:12 PM)

5 साल बाद इस वजह से किडनी रैकेट के सभी आरोपी हो गए बरी kidney scam in gujarat ahmedabad victim turns hostile Read more crime and court news on crime tak

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Kidney scam in Gujarat Ahmedabad : आज से करीब 5 साल पहले, गुजरात का पंडोली नामक गांव खूब चर्चा में रहा था। ऐसा इसलिए चूंकि वहां से एक ऐसी खबर आईं जिसने चौतरफ़ा कोहराम-सा मचा दिया था। एक ऐसी घटना जिसके तार भारत समेत विदेशों से भी जुड़ते नज़र आएं थें।

ये ख़बर थी एक इंटरनेशनल किडनी (Kidney scam) चलाने वाले रैकेट की, जहां पर मजबूर लोगों को आरोपी अपने चंगुल में फंसाकर उन्हें मामूली रकम देते थे। इतना ही नहीं, ये लोग गैरकानूनी तरीके से इस स्कैम को अंजाम देने का कार्य करते थे जिसके तार भारत में गुजरात समेत अन्य राज्यों से भी जुड़ा था।

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ये मामला तब सामने आया जब पीड़ितों में से किसी एक ने पुलिस को बताया कि उसे और उसके गांव के कई लोगों को पैसे की लालच देकर मजबूर किया गया था जिसके एवज में उन्हें अपनी किडनी बेचने के लिए राजी किया गया था।

हालांकि, गुजरात को हिला देने वाला ये मामला उस समय कमजोर पड़ गया जब 13 पीड़ितों में से कुछ तो कोर्ट में अपने बयान से ही पलट गए।

वहीं, ये मामला फरवरी 2016 में चर्चा में था। जब पेटलाड पुलिस में अमीरमिया मालेक ने शिकायत दर्ज की थी, जिसमें मालेक ने आरोप लगाया था कि उसकी किडनी कंसेंट के बिना निकाल दी गई थी। जिसके लिए उन्हें 2.3 लाख नकदी रकम दिए गए थे। फिर तो पुलिस तफ्तीश में जुट जाती है और आगे जांच में 13 विक्टिम भी सामने आते हैं। इनमें 11विक्टिम पंडोली से, तो 1-1 विक्टिम चांगा और कानाजरी गांवों के थे।

साथ ही जांच में ये सामने आया था कि पीड़ितों में से अधिकतर लोग कर्ज में डूबे गरीब किसान और दिहाड़ी मजदूर थे। आरोपी ऐसे ही मजबूर और बेबस लोगों को अपना शिकार बनाता था फिर इन्हें देश में न्यू दिल्ली, चेन्नई और विदेश में श्रीलंका के अस्पतालों में ले जाया गया, जहां उनकी किडनी निकाल दी गई थी।

फिर तो तलाश में जुटी पुलिस अपने मुखबिरों कि मदद से इनमें शामिल लोगों कि गिरोह को धर दबोचा था। जिसमें पुलिस ने आरोपी मुकुल चौधरी को वालोद से, तो शेरालेखन पठान को अहमदाबाद से, और गिरोह में मौजूद रफीक वोहरा को पंडोली से, तो जावेदखान दाउदखान को मायानगरी मुंबई से और द ग्रेट मास्टरमाइंड संतोष उर्फ ​​अमित राउत को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था।

गौर करनेवाली बात तो ये हैं कि जब गुजरात के अदालत में सुनवाई हुई थी, तो 10 विक्टिम समेत 39 गवाहों को भी पेश किया गया था, लेकिन किसी ने भी ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे की आरोपी को सजा हो सके।

वहीं विक्टिम अरविंद गोहेल ने कहा कि उसे अपने परिवार के मेडिकल खर्च लिए रूपयों की जरूरत थी। जिसके लिए उन्होनें ये काम में हामी भर दिया था। फिर उन्हें पहले चेन्नई और फिर श्रीलंका ले जाया गया जहां पर उनके बॉडी पार्ट्स में से किडनी निकाल दी गई। इसपर अदालत ने कहा कि ये एक अलग केस जरूर था, लेकिन पुलिस ने इसकी जांच सही से नहीं की।

इसके साथ ही वहीं मौजूद पीड़ितों के एक जोड़े ने कहा कि उन्होंने अपने नज़दीकी रिलेटिव्स को अपनी किडनी दान कर दी थी और जिसके बदले में उन्हें पैसे मिले थे।साथ ही एक विक्टिम, अशोक गोहेल ने कोर्ट से कहा कि उसने अपनी वाइफ के ज्वैलरी पाने के लिए अपनी किडनी बेच दी थी, जिसे जनाब ने अपनी मां के इलाज के लिए बेच दिया था।

इनमें से किसी भी पीड़ित ने कोर्ट को ये नहीं बताया कि उन्हें या तो बेवकूफी से ठगा गया, या फिर किसी के साथ कोई जबरदस्ती किया गया या तो उनकी इच्छा के बिना उनकी किडनी निकाल दी गई हो।

इस केस से जुड़े सभी आरोपियों को 12 जनवरी 2022 को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था। वहीं, जज साहब का मानना था कि इस केस को जीवन देने के लिए एकमात्र सबूत था कई पीड़ित। जो कि समय पर मुकर गए थे जिससे ये केस भी हल्का पड़ गया।

जज साहब का मानना था कि पीड़ितों की किडनी खो गई थी। केवल विक्टिम ही इस बात का सबूत दे सकते हैं कि उनके अंगों को किसने, कैसे और कहाँ निकाला। लेकिन दुर्भाग्यवश सभी पीड़ित-गवाहों ने अपना बयान दिया है कि उन्होंने अपनी मर्ज़ी से अपनी किडनी दी है, और किडनी किसे मिला इसके बारे में कोई सबूत नहीं है।

इस बात के सबूत हैं कि कुछ पीड़ितों ने कमाई और मजबूरी के लिए अपनी किडनी बेच दी, लेकिन इस इस बात का कोई भी सबूत नहीं है कि उन्हें इस काम के लिए बहकाया गया या लालच दिया गया।

NOTE : ये स्टोरी क्राइम तक के साथ इंटर्नशिप कर रहीं अश्विनी सिंह ने लिखी है।

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