CDS बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी देने की असली वजह ये है, पहली बार बना ये नया नियम

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CDS बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी देने की असली वजह ये है, पहली बार बना ये नया नियम
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तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर (Helicopter Crash) हादसे में शहीद हुए भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया. इनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार के दौरान प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें 17 तोपों की सलामी दी गई. लेकिन रिटायरमेंट के बाद सीडीएस नया पद था.

ऐसे में अभी सीडीएस को कितने तोपों की सलामी दी जाएगी. इसके लिए कोई नया नियम नहीं बना था. लेकिन अचानक जब ये हादसा हुआ तो तीनों सेनाओं के प्रमुख व सीनियर अधिकारियों को जिस तरह से 17 तोपों की सलामी दी जाती है, उसी तरह पर तुरंत नया नियम बनाकर इन्हें भी सलामी दी गई.

तोपों की सलामी को लेकर लोगों के मन में अक्सर ये सवाल उठते हैं कि आखिर ये क्यों दी जाती है? इसके पीछे क्या वजह है? अलग-अलग मौकों पर तोपों की संख्या अलग क्यों होती है? आमतौर पर भारत में 21 तोपों की सलाम दी जाती है. लेकिन बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है?

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भारत में तोपों की सलामी की परंपरा ब्रिटिश राज से ही शुरू हुई थी. उन दिनों ब्रिटिश सम्राट को 100 तोपों की सलामी दी जाती थी. अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और कनाडा सहित दुनिया के कई देशों में अहम राष्ट्रीय दिवसों पर 21 तोपों के सलामी की परंपरा रही है. भारत में गणतंत्र दिवस के मौके़ पर राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है.

17 तोपों की सलामी से किया गया सम्मानित

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17 तोपों की सलामी हाई रैंक वाले सेना अधिकारी, नेवल ऑपरेशंस के चीफ और आर्मी और एयरफोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ को दी जाती है. भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद नया है. चूंकि ये पद सेना से जुड़ा हुआ है इसलिए उन्हें भी 21 नहीं बल्कि 17 तोपों की ही सलामी दी गई. कई मौके पर भारत के राष्ट्रपति, सैन्य और वरिष्ठ नेताओं के अंतिम संस्कार के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है.

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कब शुरू हुई ये परंपरा

कहा जाता है कि तोपों की सलामी देने का प्रचलन 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ था. उन दिनों जब भी किसी देश की सेना समुद्र के रास्ते किसी देश में जाती थी, तो तट पर 7 तोपें फायर की जाती थीं.

इसका मकसद ये संदेश पहुंचाना था कि वो उनके देश पर हमला करने नहीं आए हैं. उस समय ये भी प्रथा रही थी कि हारी हुई सेना को अपना गोला-बारूद खत्म करने के लिए कहा जाता था. जिससे वो उसका फिर इस्तेमाल न कर सके. जहाजों पर सात तोपें हुआ करती थीं. क्योंकि सात की संख्या को शुभ भी माना जाता है.

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