Ghaziabad Gangrape : गाजियाबाद गैंगरेप घटना का ये है पूरा सच, नकली किरदारों की असली कहानी

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Ghaziabad Gangrape inside Story : यूपी के गाजियाबाद में निर्भया जैसे गैंगरेप की घटना ने सभी का दिल दहला दिया. लेकिन जिस तरह से पुलिस ने इसका खुलासा किया वो और भी ज्यादा चौंकाने वाला है. पुलिस के दावे को सच मानें तो उस 32 साल की नर्स महिला से गैंगरेप हुआ ही नहीं. बल्कि दो दिनों तक बंधक बनाकर गैंगरेप करना. उसके प्राइवेट पार्ट (Private Rape) में रॉड डालना. और फिर सुनसान सड़क पर आधी रात के बाद फेंका जाना. ये सबकुछ पहले से बनाई हुई कहानी थी. यानी इस गैंगरेप की स्क्रिप्ट पहले ही लिख दी गई थी.

यानी कुल मिलाकर ये नाटक था. इसके नाटक के पीछे एक प्रॉपर्टी का विवाद है. और पीड़ित महिला के अलावा तीन अन्य किरदार. जिसमें मुख्य साजिशकर्ता महिला का बेहद करीबी शख्स है. आखिर में जब महिला बदहवास हालत में सड़क पर पड़ी थी तो उसका वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल करना भी स्क्रिप्टेड ही था. अब भले ही गैंगरेप की ये घटना स्क्रिप्टेड थी लेकिन इस घटना ने एक लड़की से रेप को लेकर कई अजीब और अनसुलझे सवाल छोड़ गई.

गैंगरेप की पूरी स्क्रिप्ट को समझने से पहले 13 सितंबर 2021 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुई रेप की घटना और उसमें जज के फैसले को बताते हैं. असल में पॉक्सो कोर्ट के जज शैलेश शर्मा ने बच्ची से रेप केस में फांसी की सजा देते हुए कहा था कि ....

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जब किसी के साथ रेप होता है तो उसकी आत्मा की हत्या कर दी जाती है. अब वो सिर्फ शरीर से जिंदा रहती है लेकिन आत्मा नहीं होती. और जब उसे शारीरिक रूप से मार दिया जाता है, तो उसका शरीर भी मर जाता है.

जज के इस फैसले में रेप पीड़िता के उस दर्द को बताया है जिसे सिर्फ और सिर्फ वही लड़की महसूस कर सकती है. सच में रेप केस में एक लड़की की आत्मा की हत्या कर दी जाती है. अगर वो जिंदा रहती है तो वो सिर्फ एक जिंदा लाश होती जिसमें कोई आत्मा नहीं होती.

इस फैसले का जिक्र गाजियाबाद की घटना में सिर्फ इसलिए किया है ताकि एक रेप केस की गंभीरता को हर कोई समझ सके. अगर वाकई पुलिस का दावा पूरी तरह से सच है तो जरा सोचिए जिस पीड़िता ने गैंगरेप होने की बात कही. शरीर को नोंचने की बात कही. प्राइवेट पार्ट में रॉड डालने का दावा किया. वो वाकई रेप था या फिर रेप का मजाक. रेप केस का मजाक भी सिर्फ एक प्रॉपर्टी को किसी भी कीमत पर पाने के लिए किया.

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अब जानते हैं गाजियाबाद गैंगरेप का पूरा मामला

Ghaziabad Gangrape Case : 18  अक्टूबर 2022 की आधी रात के बाद करीब साढ़े 3 बजे सड़क किनारे एक महिला बोरे में बंधी हुई मिली थी. उसे देखकर कुछ लोगों ने मदद की. उसे बोरे से बाहर निकाला. वो बदहवास हालत में तड़प रही थी. उस समय कुछ लोगों ने उसका वीडियो भी बना लिया. पीड़िता 38 साल की नर्स है. उस महिला ने उस समय बताया था कि दो दिन पहले यानी 16 अक्टूबर को गाजियाबाद से दिल्ली जाने के लिए ऑटो का इंतजार कर रही थी. उसी दौरान स्कॉर्पियो सवार 4 लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था.

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अगवा करने के बाद उसे एक कमरे पर ले जाया गया. जहां पांचवा आरोपी भी था. उन लोगों ने महिला को दिनों तक बंधक बनाकर रखा. उस दौरान महिला नर्स के साथ गैंगरेप किया गया. उसे प्रताड़ित किया गया. प्राइवेट पार्ट में रॉड भी डाल दी. इसके बाद उसे बोरी में बंद करके गाजियाबाद के सुनसान जगह पर ले आए और फिर सड़क पर फेंक दिया था. जहां उसे फेंका गया था वो जगह गाजियाबाद का नंदग्राम था. और तारीख थी 18 अक्टूबर. समय आधी रात बाद साढ़े 3 बजे.

यहां कुछ लोगों ने मदद की और पुलिस को सूचना दी गई. जिसके बाद इस घटना की तुलना निर्भया केस से की गई. मीडिया में ये खबर सुर्खियां बनीं. और यही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती. गाजियाबाद से लेकर लखनऊ तक सरकारी अमला हिल गया. पुलिस की बड़ी फोर्स जांच में जुट गई. आईजी से लेकर एसएसपी तक खुद जांच में जुट गए. आखिरकार 2 दिन बाद इस केस का खुलासा किया गया. लेकिन जब पुलिस ने केस की जानकारी दी तो गैंगरेप के पीछे एक स्क्रिप्टेड कहानी सामने आई.

पुलिस ने निर्भया जैसे गैंगरेप की घटना की बताई असली कहानी

 Ghaziabad Gangrape Real Story : आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि गैंगरेप की घटना पूरी तरह से गलत है. ऐसी कोई घटना नहीं हुई. ना ही उस महिला नर्स को 16 अक्टूबर को अगवा किया गया. और ना ही उसे बंधक बनाया गया. हां, उसके प्राइवेट पार्ट में कुछ नुकीली चीज मिली है. जिसकी जांच हो रही है. लेकिन जब वो नंदग्राम में 18 अक्टूबर की देर रात में मिली थी उस समय इस बारे में कोई चर्चा नहीं की थी. ऐसे में उस गैंगरेप की घटना के पीछे क्या है पूरा सच...जानते हैं.

पुलिस ने दावा किया कि महिला ने 53 लाख रुपये की प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा चाहती थी. उस प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा है. जिस पक्ष से विवाद चल रहा है उसके खिलाफ पहले भी पुलिस में छोटी-मोटी शिकायतें कराई थी. लेकिन मामला नहीं बना. इसलिए ऐसी सनसनीखेज वारदात को सामने लाना था जिसके बाद दूसरा पक्ष खुद ही प्रॉपर्टी देने को मजबूर हो जाए. अब इसके लिए एक कहानी की जरूरत थी.

उस कहानी में कुछ किरदार की. और उस स्क्रिप्ट का जो मुख्य किरदार की कहानी थी गैंगरेप की. अगर मीडिया खुद इस केस को नहीं चर्चा में लाती तो सोशल मीडिया पर वायरल कराने वालों को भी जोड़ा था. बाकायदा उसके लिए एक शख्स को ऑनलाइन 5 हजार रुपये की पेमेंट भी की गई थी.

अब इस केस में महिला के करीबा दोस्त आजाद और दो अन्य साथी गौरव शर्मा व अफजल को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. गैंगरेप की नकली कहानी तैयार करने का असली डायरेक्टर खुद आजाद है. जबकि गौरव और अफजल इसके सहयोगी.

तो आखिर 16 से 18 अक्टूबर तक असल में हुआ क्या था जिसे गैंगरेप बताया गया

Ghaziabad Gangrape Reality News : पुलिस ने बताया कि 16 अक्टूबर की रात में महिला नर्स का अपहरण नहीं हुआ था. उस दिन महिला के भाई के गाजियाबाद में बर्थडे पार्टी थी. उसमें वो शामिल होने आई थी. बर्थडे पार्टी के बाद वो नंदग्राम गाजियाबाद से ऑटो लेकर पहले दिल्ली पहुंची. दिल्ली के एक इलाके में बने जनता फ्लैट में वह रहती है. बच्चे भी साथ रहते हैं. पति से कुछ विवाद भी चल रहा है. यहां बच्चों को अपने बहन के पास छोड़ती है फिर कुछ जरूरी काम बताकर लौट आती है.

अपनी बहन को इस बारे में भनक नहीं लगने दी थी. बस ये बताया था कि उसे प्रॉपर्टी वाले विवाद में धमकी मिल रही है. इसके बाद 16, 17 और 18 अक्टूबर की शाम तक वो अपने घर में ही बंद रही. उस दौरान आजाद भी उसके साथ ही रहा था. दोनों ने अपने फोन को भी बंद कर रखा था. इधर, मां के घर नहीं लौटने से उसके बच्चे ने महिला के भाई यानी अपने मामा को फोन कर जानकारी दी. गाजियाबाद में लड़की के भाई ने पुलिस में 17 अक्टूबर को लापता होने की सूचना दी. फिर अगले दिन 18 अक्टूबर की तड़के महिला बोरे में बंद मिली. गैंगरेप की घटना होने का दावा किया गया.

पर पुलिस की जांच में पता चला कि जब ये घटना की सूचना दी गई तब आजाद भी महिला के साथ ही था. इससे पहले उसने भी अपना फोन बंद किया हुआ था. असली कहानी ऐसे है कि 18 अक्टूबर की देर रात में आजाद, गौरव और अफजाल ने महिला को उसके घर से लिया था. लाल गाड़ी में बैठाकर गाजियाबाद के नंदग्राम इलाके में ले आए. यहां उसे बोरे में डाला और नंदग्राम में सड़क पर उतार दिए थे. जांच में पता चला कि आजाद दिल्ली के वेलकम इलाके का रहने वाला है. जिस प्रॉपर्टी का विवाद है वो दिल्ली के शाहदरा में है. इसे आजाद ने समीना नाम की महिला से खरीदा था.

इसके बाद आजाद ने उस प्रॉपर्टी की पावर ऑफ अटॉर्नी दीपक जोशी के नाम पर कर दी थी. आरोपी आजाद ने दावा किया कि फरवरी 2022 में दीपक जोशी से महिला नर्स ने प्रॉपर्टी ली और पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम करा ली. लेकिन कब्जा नहीं मिला. बस विवाद यहीं से शुरू हुआ. इसे लेकर दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में एक केस भी चल रहा है. जिस पर अभी फैसला नहीं हुआ है.

इस मामले में महिला ने शाहरुख, उसके भाई जावेद समेत कुल 5 लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था. जांच में पता चला कि जिस मकान में शाहरुख रहता है असल में उसी प्रॉपर्टी का सौदा हो रहा था. जिसकी पावर ऑफ अटॉर्नी खुद आजाद ने पहले दीपक जोशी और फिर महिला नर्स के नाम पर करा रहा था. इसलिए शाहरुख से प्रॉपर्टी का विवाद था. जांच में ये भी पता चला कि आजाद प्रॉपर्टी डीलर भी है. वो मकान पर गलत तरीके से कब्जाने की भी साजिश रचता है. उसी साजिश का ये भी एक हिस्सा था. वहीं, दूसरा आरोपी गौरव गाजियाबाद के विजयनगर में फोटोग्राफी की दुकान चलाता है और अफजाल नाली-सड़क बनवाने की ठेकेदारी लेता है.

पुलिस की जांच में पता चला कि जिस कार से महिला नर्स को फेंका गया था वो दूसरे आरोपी गौरव की थी. पुलिस ने इस कार को भी बरामद कर लिया है. पुलिस का ये भी दावा है कि महिला ने खुद ही अपने प्राइवेट पार्ट में कोई नुकीली वस्तु डाली थी. जिसकी जांच की जा रही है. इसे आजाद और महिला दोनों ने एक साथ ही एक इलेक्ट्रिकल लोहे की दुकान में जाकर खरीदा था.

 पुलिस की जांच में ये भी पता चला है कि आजाद और महिला नर्स दोनों एक दूसरे से बेहद करीबी हैं. दोनों पिछले डेढ़ महीने से इस साजिश की तैयारी कर रहे थे. किसी भी तरह से दूसरे पक्ष को जेल में पहुंचाना चाहते थे. इसके लिए कई बार दिल्ली में भी उन्हें फंसाने की तैयारी की थी. लेकिन सफल नहीं हो पाए थे. इसलिए गाजियाबाद को चुना था. लेकिन आखिरकार यहां भी इनकी असलियत सामने आ गई.

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