Shraddha Case : अंग्रेजी Dexter देख श्रद्धा को टुकड़ों में काटा तो हिंदी मूवी दृश्यम की तर्ज पर दफनाया

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Shraddha Case : अंग्रेजी Dexter देख श्रद्धा को टुकड़ों में काटा तो हिंदी मूवी दृश्यम की तर्ज पर दफन...
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Delhi Shraddha Murder : दिल्ली के छतरपुर में श्रद्धा वाल्कर की हत्या अचानक क्या आवेश में आकर हुई? या फिर कई महीनों की साजिश के बाद श्रद्धा का मर्डर (Shraddha Murder) हुआ? ये वो सवाल हैं जिसकी तलाश तो दिल्ली पुलिस भी कर रही है. श्रद्धा मर्डर केस की अगर बारीकियों को समझें तो यही लगता है कि कई महीनों की साजिश रचने के बाद इसे अंजाम दिया गया. इसके पीछे कई वजहें हैं. क्योंकि दिल्ली में आने के 10 दिन बाद ही आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी थी.

श्रद्धा मर्डर और उसकी लाश को काटने के लिए आफताब ने भले ही अंग्रेजी वेबसीरीज डेक्स्टर (Dexter) देखी हो लेकिन 35 टुकड़ों में कटे जिस्म को हमेशा के लिए दफनाने के लिए उसने हिंदी फिल्म दृश्यम (Drishyam) का सहारा लिया. उसने लाश के इतने टुकड़े कर अलग-अलग हिस्सों में दफनाया कि उसकी कड़ियों को जोड़ना आसान नहीं होगा.

इसके अलावा, श्रद्धा के फोन से मर्डर के एक महीने बाद तक एक्टिव रखा और सोशल मीडिया पर दोस्तों को जवाब देता रहा. इसके बाद उसी फोन को महाराष्ट्र में जाकर कहीं फेंक दिया. अब पुलिस श्रद्धा की लोकेशन भी खंगालती तो वहीं का पता चलता. इस तरह मर्डर की साजिश की शुरुआत अंग्रेजी वेबसीरीज से की तो उसे अंजाम हिंदी फिल्म दृश्यम की तर्ज पर दिया. लेकिन कहते हैं ना कि क्रिमिनल चाहे कितना भी शातिर क्यों ना हो, उसकी असलियत एक ना दिन सामने आ ही जाती है. इस आफताब की कहानी भी आखिरकार 6 महीने में दुनिया के सामने आ ही गई.

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वो जानता था श्रद्धा गायब होगी तो फैमिली में तुरंत कोई नहीं पूछेगा?

आफताब और श्रद्धा दोनों 8 मई को दिल्ली आए थे. कुछ दिनों तक होटलों में रहे. फिर छतरपुर में 10 हजार रुपये में किराए का कमरा लिया था. उसी कमरे में 18 मई को ही श्रद्धा की हत्या कर दी थी. इसके बाद आफताब ने श्रद्धा के शरीर को 35 टुकड़ों में काट दिए थे. ऐसे में सवाल है कि आखिर दिल्ली आने के बाद ही आफताब ने क्यों कत्ल किए. इससे पहले वो पहाड़ी वादियों में घूमने गया था. क्या वहां भी कत्ल की साजिश रच रहा है.

असल में तफ्तीश में यही लगता है कि आफताब मुंबई में रहते हुए ही श्रद्धा को अपनी जिंदगी से दूर करना चाहता था. क्योंकि श्रद्धा अब अपने रिश्तों को शादी के डोर में बांधना चाहती थी. जबकि आफताब जिस डेटिंग ऐप बंबल से श्रद्धा से मिला था, उसी ऐप से उसे और भी लड़की मिल गई थी. अब वो नए रिश्ते में बंधना चाहता था.

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इधर, पुराना रिश्ता पीछा नहीं छोड़ रहा था. चूंकि मुंबई में उसका और श्रद्धा दोनों का परिवार जानता था. वो ये भी जानता था कि श्रद्धा के परिवार में ज्यादा ध्यान रखने वाली मां अब जिंदा नहीं है. पिता से उसका ज्यादा नाता नहीं है. ऐसे में अगर अचानक श्रद्धा कहीं गायब भी हो जाए तो ज्यादा कोई पूछने वाला नहीं है.

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ऐसे में पुलिस इस एंगल की भी जांच कर रही है कि जब मई 2022 से पहले आफताब हिमाचल में घूमने गया था तब भी कहीं वो उसे मारना तो नहीं चाहता था. क्योंकि हिमाचल के कई ऐसे हिल स्टेशन हैं जहां से किसी को गहरी खाई में धक्का में देकर मारा जा चुका है. लेकिन शायद इस खतरनाक मंसूबे को अंजाम देने में आफताब कामयाब नहीं हो सका.

इसलिए उसे दिल्ली आना पड़ा. यहां आने के बाद वो दिल्ली के कई होटलों में रहा. शायद यहां भी उसे मौका नहीं मिल पाया. इसके बाद उसने दिल्ली के उस एरिया में कमरे की तलाश की जहां से कुछ दूरी पर जंगल वाला एरिया हो. जहां हत्या के बाद वो उसके शव को ठिकाने लगा सके और किसी को भनक भी नहीं लगे.

जानबूझकर जंगल से थोड़ी दूरी पर छतरपुर में कमरा लिया

Crime Story : आशंका है कि यही सोचकर उसने दिल्ली के महरौली एरिया के छतरपुर में किराए का कमरा लिया. कमरा लेने के बाद कुछ दिनों सेटल हुआ. फिर तुरंत मौका मिलते ही लड़ाई-झगड़े के दौरान ही आफताब ने श्रद्धा की गला घोंटकर हत्या कर दी. अब श्रद्धा का मर्डर तो कर दिया लेकिन उसकी लाश को जंगल में दफनाना बड़ी चुनौती थी. वो लाश को उठाकर नहीं ले जा सकता था. इसके बाद उसने तमाम तरीके तलाशे. गूगल पर सर्च किया. कैसे लाश के कई टुकड़े आसानी से किए जाए. लाश को जब काटेंगे तो खून निकलेगा.

इसलिए गूगल पर ये भी सर्च किया कि कैसे खून को साफ किया जाए. फिर उसने उस केमिकल का भी पता लगाया जिससे खून साफ भी हो जाए और कोई सबूत भी ना मिले. वो केमिकल था सल्फर हाइड्रो क्लोरिक एसिड (Sulphur Hydrochloric Acid). इसके इस्तेमाल से खून ऐसे साफ हो जाता है कि फॉरिंसक जांच के दौरान कोई सैंपल नहीं मिलता है. मर्डर के बाद उसने श्रद्धा के खून से सने और अपने कपड़े दोनों के उतार लिए थे. इसके बाद उसे आने वाले दिनों में एमसीडी के कचड़े वाली वैन में डाल दिया था. ताकी किसी को कोई सबूत नहीं मिले.

सीने पर बैठकर श्रद्धा का आफताब ने किया था मर्डर

How Shraddha Killed By Aftab : श्रद्धा की हत्या करने वाला आफताब दिल्ली पुलिस से सिर्फ अंग्रेजी में बात कर रहा है. वो हर सवाल का जवाब घूमाकर दे रहा है. लेकिन बिना किसी संकोच के उसने कहा, Yes I Killed her. 13 नवंबर से दिल्ली पुलिस की कस्टडी में आए आफताब ने श्रद्धा की हत्या करने को लेकर कई जानकारी दी है. आइए जानते हैं उसने क्या कहा है...

पुलिस : श्रद्धा का कत्ल कब और कैसे किया?

आफताब : 18 मई बुधवार की रात श्रद्धा से झगडा हुआ था। झगडा इससे पहले भी होता था। मगर उस रोज बात बढ गई। हम दोनों में हाथापाई हुई। फिर मैंने श्रद्धा को पटक दिया। इसके बाद उसके सीने पर बैठ कर दोनों हाथों से उसका गला दबाने लगा। थोडी देर बाद ही वो दम तोड चुकी थी।

पुलिस : फिर लाश के साथ क्या किया?

आफताब : उस रात श्रद्धा की लाश घसीट कर बाथरूम ले गया। पूरी रात लाश वहीं पडी रही।

पुलिस : लाश के टुकडे कैसे और कब किए?

आफताब : 19 मई को मैं बाजार गया। लोकल मार्केट से तीन सौ लीटर का एक फ्रिज खरीदा। कीर्ति इलेक्ट्रॉनिक शॉप से। एक दूसरे दुकान से आरी खरीदी। फिर मैं घर लौट आया। रात को उसी बाथरूम में आरी से लाश के टुकड़े करने शुरू किए। मैंने कुछ दिनों के लिए शेफ की नौकरी भी की थी।उससे पहले करीब दो हफ्ते की ट्रेनिंग भी ली थी। इस दौरान चिकन और मटन के पीस करने की भी ट्रेनिंग मिली थी। 19 मई को मैंने लाश के कुछ टुकड़े किए थे। उन्हें पॉलीथिन में डाला, फिर उन टुकडों को पॉलीथिन समेत फ्रिज के फ्रीजर में रख दिया था। बाकी लाश फ्रिज के निचले हिस्से में।

पुलिस : कितने दिनों तक लाश के टुकडे किए?

आफताब : दो दिनों तक। 19 और 20 मई को।

पुलिस : लाश के टुकडों को ठिकाने लगाना कब शुरू किया?

आफताब : 19 मई और 20 मई की रात पहली बार लाश के कुछ टुकडे फ्रीजर से निकाल कर बैग में रखे थे। पहली रात बैग में कम टुकडे रखे थे। क्योंकि लाश के टुकड़ों के साथ देर रात बाहर निकलने में घबरा रहा था कि कहीं रास्ते में पुलिस तलाशी ना ले ले।

पुलिस : पहली बार लाश के टुकडे कहां फेंके?

आफताब : 19 और 20 मई की रात महरौली के जंगल में टुकडे फेंके थे। पर जंगल के ज्यादा अंदर नहीं गया था।

पुलिस : कितने दिनों में लाश के सारे टुकडे ठिकाने लगाए?

आफताब : ठीक से याद नहीं। लेकिन कम से कम बीस दिन तक मैं लाश के टुकडे फेंकता रहा था।

पुलिस- लाश के टुकडे कहां कहां फेंके?

आफताब : मैं सिर्फ़ छतरपुर और महरौली के आस-पास ही जाता था। ज्यादा दूर जाने में पकडे जाने का खतरा था।

पुलिस : बीस दिनों तक घर में लाश या लाश के टुकडे थे। इस दौरान तुम्हारा रुटीन क्या था?

आफताब : चूंकि घर में लाश थी इसलिए मैं घर से बाहर निकलता ही नहीं था। ना ही किसी पडोसी से मिलता या बात करता था। मैं बार-बार टुकडों को फ्रिज के निचले हिस्से से फ्रीजर में और फ्रीजर में रखे टुकडों को नीचे रख कर उनकी अदला बदली किया करता था। ताकि लाश की बू बाहर ना आ सके। घर, फ्लोर, बाथरूम इन सबकी केमिकल से सफाई किया करता था।

पुलिस- पूरी लाश ठिकाने लगा देने के बाद तुमने क्या किया?

आफताब : मैंने फिर से पूरे घर की सफाई की। फ्रिज खाली होने के बाद फ्रिज को भी केमिकल से अच्छे से साफ किया। बाथरूम, फर्श, दीवार, चादर, कपडे हर चीज को धोया और साफ किया। ऐसा सबकुछ इसलिए किया क्योंकि एक तो घर से लाश की बू निकालनी थी, दूसरी मैं ये यकीन कर लेना चाहता था कि घर के अंदर खून या मांस के कोई भी सबूत ना छूट जाए। मैं जानता था कभी ना कभी ये सच बाहर आएगा और तब इस घर और फ्रिज की जांच भी होगी। इसीलिए अपनी तरफ से मैंने हर सबूत को धो डाला।

पुलिस : जिससे तुम प्यार करते थे उसकी लाश के साथ ऐसा बर्ताव करने से पहले तुमने एक बार भी कुछ सोचा नहीं?

आफताब : नहीं। मुझे गुस्सा आया था। इसलिए मैंने श्रद्धा को मार डाला। लेकिन मैं नहीं चाहता था कि उसकी मौत का सच घर से बाहर जाए। श्रद्धा के घरवाले भी उससे दूर ही रहते थे। उसकी अपने घरवालों से ही बात नहीं होती थी। मुझे पता था कि उसे कोई ढूंढने नहीं आएगा। इसीलिए लाश को इस तरह ठिकाने लगाना जरूरी था। और मैंने वही किया।

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